Thursday, November 10, 2011

बरतुहारी

'बरतुहारी' एक बिहारी शब्द है ! यह एक क्रिया है - जिसका मतलब होता है - किसी कन्या के लिये योग्य वर् की तलाश ! 'बरतुहार' संज्ञा है - जिसमे उस कन्या के माता - पिता , सगे सम्बन्धी शामिल होते हैं ! इस् प्रक्रिया में हास्य - व्यंग और एक दर्द भी शामिल है ! मै किस पक्ष को रख पाता हूँ - अभी लेख के शुरुआत में मेरे लिये कुछ कहना मुश्किल है ! पढ़िए ! 

घर परिवार , ननिहाल , सगे सम्बन्धी , दोस्त महिम सभी जगह कन्यायें होती हैं ! बाबा सामाजिक होते थे ! इस् मामले में मेरे पिता जी भी काफी सामाजिक हैं ! मै भी हूँ ! विशेष क्या कहूँ - बहुत यादें हैं ! कुछ मीठी - कुछ खट्टी और कुछ बहुत तीते ! 

हम जिस दौर / जाति / समाज और आर्थिक स्थिती से आते हैं - वहाँ तीन चीज़ें महतवपूर्ण होती हैं - किसी भी शादी में ! 
१. परिवार 
२. पैसा 
३. लड़का / लड़की 

पहले क्या था ? परबाबा की मृत्यु बहुत पहले हो चुकी थी ! बाबा दोनों भाई पर् अपनी बहन की शादी का जिम्मा था ! बाबा कहते हैं - एक आदमी बेडिंग और एक सूटकेस लेकर चलता था ! धान वाले देस में ! बहन की शादी - बिना धान वाले देस में कैसे कर दे ? क्या ज़माना था ! बाबा के दूर के फुफेरे भाई और काफी घनिष्ठ मित्र 'चम्पारण' के मदन मोहन बाबु ने बात बात में ही कह दिया - चलो मै तुम्हारी बहन की शादी अपने भांजे से तय करता हूँ - और शादी हो गयी ! क्या महत्व होता था - फूफा - मामा के शब्दों का ! लड़का का बाप - काट नहीं सकता ! सम्बन्ध की इज्जत होती थी ! 

पिता जी की शादी में भी ऐसा ही हुआ ! बाबा किसी फुटबॉल टूर्नामेंट में कहीं गए थे ! हाई कोर्ट के जज और बड़े बाबा के साले - राम रतन बाबु आ धमके गाँव - बड़े नाना जी को लेकर - फूलहा लोटा पर् फलदान पड़ गया ! ना तो बाबु जी को पता और ना ही मेरे बाबा को ! तिलक की बात को गोली मारिये ! मेरे ननिहाल वाले जितना सोच के आये थे - आधे में काम फरिया गया ! 

विस्वास था - सम्बन्धी धोखा नहीं देगा ! 

वक़्त बदलने लगा ! सगे सम्बन्धी कहीं छुप गए ! परिवार गौण हो गया ! 'लईका - लईकी' और पैसा ही सब कुछ हो गया ! 

कई बरतुहारी में मै बचपन से जाने लगा - बिस्कुट खाने के लिये ;) धम्म से सोफा पर् बैठा - बिस्कुट खाया और चल दिया ! बड़े फूफा किसान होते हैं ! मुजफ्फरपुर शहर से बिलकुल सटे ही उनका गाँव है ! अच्छे किसान हैं ! बड़ी फुफेरी बहनों के बरतुहारी में घूमना शुरू किया ! अचानक से फूफा जी एक इंजिनियर लड़के के कहाँ गए ! खेत बारी ज्यादा नहीं था - पर् सरकारी नौकरी था ! मेरे गृह जिला में ! लडके के पिता जी ने मेरे फूफा जी को बोला - देखिये , मेरे इंजिनियर लडके की शादी में चेयरमैन साहब जहाँ कहेंगे - वहीँ होगा ! फूफा जी मुस्कुराने लगे - बोले - लडकी चेयरमैन साहब की अपनी बड़ी नतिनी ही है ! तिलक ? जो मिला वो लोग आशीर्वाद समझ ले लिये - तिलक से ज्यादा का सोना मड़वा पर् मेरी फुफेरी बहन को चढा दिए ! 

पर् सभी बरतुहारी इतने मीठे नहीं होते ! मै अपने दर्द को ब्यान नहीं कर सकता हूँ ! पर् इस् दर्द ने मुझमे एक संस्कार क जनम दिया - खासकर इस् विषय पर् ! 

एक बहुत ही नजदीकी कुटुंब की लडकी के लिये एक जगह एक प्रोफ़ेसर साहब के बेटा का  पता चला ! क्या नसीब था - प्रोफ़ेसर साहब का ! तीन बेटा - तीनो के तीन - आई आई टी से पास ! वाणी ऐसी की - लगे जैसे सरस्वती बैठी हो ! पिता जी और मेरे कुटुंब उनके यहाँ गए ! फोटो और बाओडाटा दे दिया गया ! जब काफी दिन हो गए - वहाँ से कोई बुलावा नहीं आया - पिता जी ने मेरे एक कजीन को बोला - जाओ ..प्रोफ़ेसर के यहाँ से बाओडाटा - फोटो मांग लाओ ! जब मेरा कजीन उनके यहाँ गया तो हैरान हो गया ! बोला - उनके यहाँ करीब दो सौ बाओडाटा और फोटो तहिया' के रखा हुआ था ! मन त किया की - प्रोफ़ेसरवा को दें - दू हाथ - घींच के ! दूकान खोल के रखे हुए था ! 

ये चेहरा हो चुका था - वैसे माँ बाप का - जिनकी औलाद सामाजिक पटल पर् कुछ सफल हो चुकी थी ! लोग पागल की तरह वर्ताव करना शुरू कर दिए ! एक बीपीएससी के मेंबर से मेरी गुफ्तगू हो रही थी - बोले - कई  लड़कों को डिप्टी कलक्टर बनवा दिया ! जब लडकी वाले आते थे - तो - मै उन लड़कों का पता दे दिया करता था - अब देखिये - लड़के का बाप बोलता था - लडकी वाले को - देखिये , महराज ...फलाना बाबु का पैरवी लेकर मत आयें ! हद्द हाल हो गया समाज का ! आँख की शर्म जाने लगी ! जिस व्यक्ती ने तुम्हारे बेटा को डीएसपी / डिप्टी कलक्टर बनाने में मदद की - अब तुम उसको ही पह्चानाने से इनकार करने लगे ! जियो ..सफल लड़का के बाप ..जियो ! 

दरवाजे पर् बड़े ठेकेदार / घूसखोर  इंजिनियर / एडीएम के गाड़ी रुकने लगे ! घर से चार कप चाय आया - चारों चार रंग के कप में ! भविष्य यहीं था ! लड़का के बाप को पता ही नहीं - कितना मांगे ? इसमे शादी बिगाड़ने वाले भी सक्रिय हो गए - आपके बेटा का कीमत ऐसा बोंल दिया - जो कोई और दे ही ना सके ! हुआ फेरा ! अब वो ऊँची कीमत लगाने वाला गायब ! अब आप इंतज़ार में ! हा हा हा हा ! 

लड़का ही सबकुछ हो गया ! पटना के एक जज साहब गए - बेटी की बरतुहारी में ! लड़का - आई आई टी , आई ये एस , फिर अमरीका में एम बी ए ! लड़का का बाप खोजा गया - पता चला - एक मडई में बाबा धाम वाला लाल गमछी पहन - मुह में जीवन जैसा बीडी दबाये - तीनतसिया ( ताश के पत्तों से जुआ ) खेल रहा था ! अब परिवार को कौन पूछता है ! लडकी को तो अमरीका में रहना है ! वाह भाई वाह ! जब लडकी को मानसिक प्रताडना और फिर फिजिकल प्रताडना शुरू हुआ ! पटना का एक खास तबका - एन आर् आई के लिये दरवाजे बंद कर दिया ! अब जज साहब कहते फिरते हैं - अगर परिवार बढ़िया है- लड़का बेरोजगार हो - पान गुटखा बेचता हो - गरीब हो - कर दीजिए ! लोग डर चुके थे ! सामाजिक उठा - पटक चल रही थी ! शिकार - बेचारी बेटी हो रही थी ! 

पटना विश्वविद्यालय के एक वीसी होते थे ! बहुत पहले ! एक वाइवा में मुजफ्फरपुर गए ! उनकी बेटी के लिये कुछ योग्य वर् का लिस्ट दिया गया ! कई होनहार के नाम वीसी साहब ने काट दिया ! एक प्रोफ़ेसर ने उन्हें टोका - सर , ई लईका का यू पी एस सी शिओर हैं ! वीसी साहब बोले - ठीक है , ईमानदार निकल गया तो ..टीवी , फ्रीज़ , जर जमीन खरीदने में ही जीवन गुजर जाएगा , मेरी बेटी का सुख कहाँ गया ? फिर वीसी साहब ने मुजफ्फरपुर के एक रईस के यहाँ अपना ओहदा भंजा कर बेटी का बियाह कर दिए ! 

दुनिया जो समझे - लेकिन इस् बरतुहारी में लडकी के पिता की जान निकल जाती थी ! रात का नींद गायब !   

इस् पूरी प्रक्रिया का सबसे घटिया पार्ट होता है - लडकी दिखाना ! आई जस्ट हेट दिस पार्ट ! पर् लडकी का बाप सबसे मजबूर होता है ! मुजफ्फरपुर के एम डी डी एम कॉलेज के गेट के सामने या किशोर कुनाल द्वारा बनाया हुआ पटना का  हनुमान मंदिर , या हथुआ महराज वाला 'हथुआ मार्केट' हो पटना मार्केट या फिर चाणक्य होटल , मौर्या ! देखो ..जितना देखना है देखो - पर् देख कर रिजेक्ट मत करो ! बाप रे ..सच में इससे घटिया कोई और काम नहीं है ! रेप से भी घटिया ! रिजेक्ट की हुई लडकी जब रोती है ..उसके आंसूं में तुम्हारा कई खानदान जल जायेगा ! 

लडकी देखे के जाएगा ? लडका की भाभी , बहन , चाची - जिससे भविष्य में उस लडकी का कभी भी बढ़िया सम्बन्ध नहीं रहेगा ! लेकिन , जायेगा - यही लोग ! 

इस् तरह की घटना का मेरे ऊपर इतना जबरदस्त प्रभाव है - पूछिए मत ! अभी हम पढ़ ही रहे थे - बाबु जी समधी बनने के लिये हडबडाने लगे - कहने लगे - गाभीन गाय  के ज्यादा दाम मिलता है ! हम बोले - जे करना है - करिये ! पर् याद रखियेगा - किसी भी लडकी को शादी की नियत से देख लेने के बाद - ना , मत कीजियेगा - किसी भी हाल में ! मेरे नौकरी पकड़ते - पकड़ते में माँ- बाबु जी एक जगह हडबडा के देख लिये ! फिर ..डिसीजन बदलने लगे ! हमको अपने ही बाबु जी को हडकाना पड़ा - बोले ..चुप चाप फाईनल कीजिए ! माँ बोलने लगी - तुम भी देख लेते- अभी कैरियर बनाने का टाईम है  - हम बोले - रोज बंगलौर में तमिल ब्राह्मण की सुन्दर लडकी को देखता हूँ - सब एक जैसी हैं - कोई फर्क नहीं , कैरियर बनते रहता है - आप लोग डेट फायीनल कीजिए ! दरअसल , मेरे दिमाग में बैठा हुआ था - कुंवारी कन्या का श्राप नहीं लेना है और कोई भी लडकी वस्तु नहीं होती है ! 

समाज खुद अपनी दिशा तय करता है ! अब हमारी बेटी - बहन पढ़ने लगी ! उसकी पढ़ाई की इज्जत होने लगी ! पढ़ी - लिखी बेटी - बहनों का बियाह जल्द तय होने लगा ! समाज में एक सन्देश गया ! मिडिल क्लास आगे आया ! 

पिछले दस सालों में कई सैकडे लोग मुझसे सुयोग्य वर् का लिस्ट मांग चुके हैं ! फिर दुबारा नहीं आते ! बेटी जब फायीनल इयर में रहेगी तो फोन पर् जीना मुश्किल कर देंगे ! रँजन जी , आपका नेटवर्क बहुत लंबा - चौड़ा है - कुछ मदद कीजिए ! फिर अगला साल किसी दूसरे के मुह से सुनायी देता है - फलाना की बेटी का शादी हो गया ! लडकी के पिता - पान के दूकान पर् मिल जायेंगे ! समझाने लगेंगे - राजस्थान वाले हैं , लड़का वहीँ साथ में था - वो लोग भी ब्राह्मण हैं ..ब्ला ..बला ...ब्लाह ! अंत में हम बोलेंगे - अरे ..सर ..बहुत बढ़िया ..लडकी खुश है ..पढल - लिखल है ,,फिर हमको - आपको क्या सोचना ! लडकी के पिता के चेहरे पर् ..एक निश्चिन्त भाव आता है ! क्या करे ..वो बेचारा ! जेनेरेशन इतनी जल्दी बदलेगा - कोई सोचा नहीं होगा ! वो मुझसे इस् शादी का सर्टिफिकेट मांगता है ! मै कौन हूँ ! उसका चेहरा कहता है - समाज के आदमी हो - अप्रूव करो ! कर दिया ..भाई ..अप्रूव ! जाओ ..पति - पत्नी को खुश रहने दो ! 

फुर्सत से केबिन में बैठा हूँ - कुछ कुछ लिख दिया हूँ ! कैसा लगा - कमेन्ट कीजियेगा ! 

रंजन ऋतुराज - इंदिरापुरम !