Saturday, March 15, 2008

झारखण्ड फ़िर एक बार और बिकेगा !

कई साल पहले मई एक सरस्वती के आराध्य के घर गया पर आश्चार्य हुआ की उनके यहाँ "लक्ष्मी" की फोटो लगी थी - पूछने पर बताया गया की - सभी "रास्ते" यहीं आते हैं ! यह बात आज तक मेरे मानस पटल पर अंकित है लेकिन दिल मनाने को तैयार नही है ! पर कब , तक ?

राज्यसभा चुनाव आते ही फ़िर से एक बार - वनवासियों का प्रदेश "झारखण्ड" बिकने को तैयार है ! मुकेश अम्बानी के दूत श्री परिमल नाथ्वानी जी निर्दालिये उम्मीदवार के रूप मे राज्य सभा के लिए तैयार है ! जीत स्वाभाविक है ! पर कई साल जमीन के धूल चाटने वाले राजनीतिक उम्मीदवारों का क्या होगा ?

पैसा मे बहुत दम है - यह मेरा ८ वर्षीय बेटा भी जानने लगा है ! शायद उसे एक शिक्षक पुत्र होने और महानगर की संसकृति की दबाब ने बहुत कम उमर मे "काफी परिपक्वा" बना दिया है ! उसे पता है - उसके पिता क्या खरीद सकते हैं और क्या नही - शायद यही "आभाव" उसके उज्जवल भविष्य को इंगित करता है !


रंजन ऋतुराज सिंह , नॉएडा

2 comments:

रवीन्द्र प्रभात said...

बहुत बढिया अभिव्यक्ति , सोचने पर मजबूर कर दिया !

Ram N Kumar said...

Paisa hai to aaj sabkuchh mil jata hai..yahi prove karta hai...
Bahut hi achha aur samayik article...