अभी हाल में गुलाम अली साहब नॉएडा आए थे - एक महिला मित्र के अनुरोध और गुलाम अली साहब को सामने से गाते हुए देखने की इच्छा मुझे उनके काफी कैरीब ले गयी ! उनकी आवाज़ को आंखों से सुन कई गुजरे बरस याद आ गए !
पर मेरे पसंदीदा मेंहदी हसन साहब है ! गला में बीमारी की वजह से शायद अब वोह नही गाते हैं - " उसने जब मेरी तरफ़ प्यार से देखा होगा - मेरे बारे में बड़े गौर से सोचा होगा " मेरी पसंदीदा है ! फ़िर से वोह वाला ग़ज़ल - " मुझे तुम नज़र से गिरा तो रहे हो - मुझे तुम कभी न भुला पाओगे "
और अंत में
"वादा कर के अगर आप नही आयेंगे - नाम बदनाम ज़माने में वफ़ा का होगा "
पर मेरे पसंदीदा मेंहदी हसन साहब है ! गला में बीमारी की वजह से शायद अब वोह नही गाते हैं - " उसने जब मेरी तरफ़ प्यार से देखा होगा - मेरे बारे में बड़े गौर से सोचा होगा " मेरी पसंदीदा है ! फ़िर से वोह वाला ग़ज़ल - " मुझे तुम नज़र से गिरा तो रहे हो - मुझे तुम कभी न भुला पाओगे "
और अंत में
"वादा कर के अगर आप नही आयेंगे - नाम बदनाम ज़माने में वफ़ा का होगा "
इन्तेज़ार में
रंजन ऋतुराज सिंह , नॉएडा