बचपन याद है ! बाबा सहकारिता आंदोलन के अपने क्षेत्र के अग्रणी नेता थे - सो - बिहार स्तर के कई सहकारी संस्थाओं में प्रतिनिधि थे ! साल में दो तीन बार सबकी मीटिंग होती थी - बिस्कोमान , सहकारी बैंक , भूमि विकास बैक इत्यादी ! बाबा की लाल बत्ती वाली गाड़ी में मै भी बैठ कर इन मीटिंग में पहुँच जाता था ! वहाँ एक लंबा लाईन लगा होता था - सामने एक आदमी बैठ होता था - जो एक अटैची और एक पैकेट देता था ! अटैची में कागज पत्र होते थे और पैकेट में कुछ सौ रुपये ! अटैची मै लेकर कार में रख देता था और पैकेट बाबा अपने पॉकेट में ! बाद में अन्य जिला से आये लोगों से उनको बात करते सुनता था - टीए कम दिया है ! डीए एक दिन और का मिलना चाहिए था - ब्ला..ब्ला ! हम ज्यादा माथा नहीं लगाते - दोपहर को पसंदीदा मुर्गा भात खाने को मिलता - तपेश्वर बाबु हर टेबल पर् पहुंचते और सबसे हाल समाचार पूछते ! इन्ही एक मीटिंग में बिस्कोमान भवन के निर्माण के मंजूरी मेरे आँखों से मिली थी ! इन्ही मीटिंग में एक बार तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व० बिन्देश्वरी दुबे को मुर्गा का टांग दोनों हाथ और दांत में दबाये हुए अखबार में फोटो छाप दिया था ! :) सब याद है - हमको ! वो मेरा स्वर्णीम काल था ! अब गदहा काल है :( खट रहे हैं :(
हाँ तो बात हो रही थी - टीए डीए पर् ! बाबु जी वर्तमान में पटना के एक कॉलेज में विभागाध्यक्ष हैं - प्रैकटीकल परीक्षा में एग्जामिनर बाहर से आते हैं ! बिहार सरकार / कॉलेज / विश्वविद्यालय का जो हाल है वो किसी से छुपा नहीं है ! वैसे परीक्षक जाते वक्त 'टीए - डीए' को लेकर कुछ हल्ला नहीं मचाये सो बाबूजी को अपने पॉकेट से ही देना पड़ता है !
हम भी शिक्षक हैं ! दूसरे कॉलेज में प्रैक्टिकल परीक्षा लेने जाना पड़ता है ! परीक्षा खत्म होने के बाद - भारी हंगामा होता है ! टीए - डीए को लेकर हम तो चुप ही रहते हैं लेकिन बाकी लोग तो ऐसा करते हैं - जैसे उनका कोई हक मारा जा रहा है ! आयेंगे मोटरसाइकिल से टीए मांगेंगे - कार का ! एकाउंटेंट पूछ बैठेगा - कार नंबर दीजिए - बाहर पाकिंग से किसी का नंबर लिख देते हैं लोग ! एकॉन्टेंट हडकाता है - सरकार का पैसा है - जेल चले जाईयेगा ..ब्ला ब्ला...कौन उसकी बात सुनता है !
यही हाल कॉपी जांचते वक्त होता है ! उपरवाले की मेहरबानी से बड़ी कम उम्र में हेड एग्जामिनर बनने का मौका मिला ! बाकी के परीक्षक माथा नोच लेते थे - सर , एकॉन्टेंट बहुत बदमाश है - दो दिन का का डीए काट लिया ! सेन्ट्रलाईज कॉपी चेकिंग होती हैं ! भारी हेडक हो जाता है ! प्रोफ़ेसर को लेक्चरर वाला डीए मिल गया - हुआ हंगामा - बोला - इज्ज़त चला गया ! हम बोले भाई - दस - बीस रुपैया से क्या बिगड जायेगा ! प्रोफ़ेसर बोलेगा - आप नहीं समझियेगा ..ब्ला ..ब्ला !
कुल मिलाकर मेरी समझ में यही आया की - नौकरी करने वाला - टीए डीए को जन्मसिद्ध अधिकार समझता है - होना भी चाहिए - कंपनी / सरकार के काम से आप जा रहे हैं तो खर्चा पानी तो लगेगा ही ! हम भी गाँव में अपना नौकर को कहीं काम से भेजते हैं तो खर्चा देते ही थे ! लेकिन जब वो नौकर खर्चा में से कुछ बचा कर वापस कर देता था - मन एकदम से गद गद् हो जाता !
अब आईये - किरण आंटी पर् ! एक एनजीओ से पैसा उठाकर दूसरे एनजीओ को पैसा देना - गलत है ! सीधे चंदा मांग लेती ! दरअसल आदत खराब है ! यह विशुध्ध पाकिटमारी है ! आप इतनी ईमानदार थी फिर 'मिजोरम' से क्यों भागना पड़ा ? आप सभी मीडिया की देन हैं और याद रखिये यही मीडिया आपके चमक को खत्म भी करेगा ! आपके जैसे हर स्टेट में दस आई पी एस अफसर हैं ! मीडिया मैनेज ही सब कुछ होता तो - भाजपा के रविशंकर प्रसाद को राज्यसभा में नहीं जाना पड़ता - लोकसभा में जाते ! आपने क्या काम किया जिसके लिये - आप खुद को राष्ट्रिय स्तर की नेता खुद को समझाने लगीं ! बस 'अन्ना' मिल गए - सब कूद गए !
जिस लोकसभा को आपसभी रामलीला मैदान में नौटंकी कर के क्या क्या नहीं कहा - आज उसी लोकसभा में बैठने के लिये - सबकुछ मंजूर है ! टीवी पर् देश के प्रधानमंत्री का मजाक उडाना कहाँ तक सही था ! उनकी मीमीकरी करना ! क्या यह सब एक पूर्व आईपीएस को शोभा देता है ! अवकात में रहिए ! हम भी बिहार से आते हैं जहाँ हर मोहल्ले से दो सिविल सर्वेंट होते हैं ! पर् आप जैसा किसी को नहीं देखा ! हाँ , कॉंग्रेस गलत है ! पर् देश का संविधान उसको पांच साल शासन का अधिकार दिया है - कोई गलत नहीं है ! मैडम , बहुत आसान है - दिल्ली के किसी क्षेत्र को रिप्रेजेंट करना ! देहाती क्षेत्र में बुखार छूट जायेगा ! बेटी की शादी में दो क्विंटल चीनी मांगेगा ! कोई अपने बेटा को नौकरी के लिये कहेगा ! कोई भूख मर जायेगा !
हिम्मत और अवकात है तो - देश का कोई पिछड़ा क्षेत्र से खुद को लोकसभा का उम्मीदवार घोषित कीजिए - चुनाव जीतिए और वहाँ की जनता के दर्द को समझिए ! टीवी पर् बोलना बहुत आसान है ! चार एंकर / न्यूज रीडर से दोस्ती कर - किसी चैनल पर् बोंल लेना आसान है ! असली जनता के बीच रहना आसान नहीं है , मैडम !
और आप केजरीवाल जी , याद है ..रँजन ऋतुराज का नाम ? नहीं याद होगा ! सत्येन्द्र दुबे हत्या कांड के बाद के जन्मे ग्रुप में ही आपका जन्म हुआ था ,ज्यादा नहीं लिखूंगा क्योंकी आपका भी इज्जत दो पैसा का हो गया है ! आई आई टी का सीट आपने खराब किया - फिर सिविल सर्वेंट भी सही ढंग से काम नहीं किये - अब फ्लाईंग शर्ट को ऊपर से पहन - देश के सबसे ईमानदार बन् गए ! हद्द हाल देश की मिडिल क्लास का !
लोकपाल क्या कर लेगा ? दस लाख जनता से आप एक एम पी को चुनते हैं ! कभी किसी एम पी के घर गए हैं ? जितना आपके तनखाह है उतना का लोग उसके घर चाय पी जाता है ! कहाँ से लाएगा वो पैसा ? हर लगन में लाखों रुपैये के नेवता बंट जाता है ! कौन देगा ?
देश के सबसे बेहतरीन दीमाग को आप सिविल सर्वेंट बनाते हैं - देते क्या है - उसको ? पांचवे वेतनमान में - तनखाह थी - आठ हज़ार बेसिक ! अब है पन्द्रह हज़ार बेसिक ! उसका बच्चा भूख रहे और आपलोग ? दो महीना जावा सीख लिये और पचास हज़ार कमाने लगे !
जितना लोग हल्ला करता है - इंटरनेट की दुनिया में - सबसे ज्यादा ट्रैफिक रुल वही तोडता है ! सुबह में ट्रैफिक रुल तोडेगा और शाम को इंटरनेट पर् 'अन्ना - अन्ना' चिल्लाएगा ! गजब का चमड़ी है ! मै गुस्सा में हूँ - मुझे तीन किलोमीटर का सफर ऐसे कार वालों के कारण एक घंटा लगाना पड़ता है ! हद्द हाल है !
दिन में फेसबुक पर् 'अन्ना - अन्ना' चिल्लाएगा और शाम को बेटा बेटी के एडमिशन के लिये स्कूल के दलाल के घर जायेगा ! मत जाओ ..ना ! सेना की नौकरी सबसे बढ़िया - पर् वहाँ जायेगा - कौन ? पड़ोसी का बेटा ! हाय रे ...मिडिल क्लास !
एल पी जी में सब्सीडी क्यों ? डीजल में सब्सीडी क्यों ? शर्म नहीं आती ? - डीजल कार खरीदते वक्त ! आज दिल्ली - मुंबई जैसे शहर में डीजल कार पर् आठ आठ महीना का लाईन है ! डीजल का सब्सीडी किसके लिये है - मेरी जान - मिडिल क्लास ?
भारत में भ्रष्टाचार खून में है ! हीरा चोर - खीरा चोर को पिटता है ! कई ईमानदार लोग भी कई गलत काम कर बैठते हैं - हक समझ कर !
अब कितना लिखा जाए ! कानून भी दोषी है !
माथा खराब है !
रंजन ऋतुराज - इंदिरापुरम !