Tuesday, February 24, 2009

अमिताभ और जया बच्चन से एक सवाल !


अमिताभ और जया बच्चन से एक सवाल !
जया जी का एक बयान आया है ! स्लाम्डाग विदेशी फ़िल्म है - भारत में इतना शोर क्यों हैं ? बात में दम है ! अमिताभ जी सन १९८४ में एक चुनाव लड़े थे - अलाहाबाद से लोकसभा चुनाव ! पर उनके जितने की खुशी में "मुजफ्फरपुर" में मिठाई बटी थी ! वोह भी खासकर एक जाती विशेष के द्वारा ! पटना में भी बटी थी ! इसमे कोई अजीब बात नही है ! हम हर कोई कहीं न कही एक दुसरे से जुड़े हैं ! मेरी पहचान मेरे घर में "रंजन" व्यक्ति विशेष से है ! घर से बहार मेरी पहचान मेरे परिवार से जुडी है ! दुसरे गाँव में मै फलाना गाँव का कहलाता हूँ ! दिल्ली में बिहारी कहलाता हूँ और बंगलुरु और मुंबई में उत्तर भारतीय ! वहीँ अमरीका में एक एशियन और मंगल ग्रह पर एक पृथ्वी वासी ! और जब अमेरिका में कोई भारतीय मिलेगा तब हम उसका जात नही पूछेंगे जैसा की हम बिहार में कोई बिहारी मिले तो ऐसा कर सकते हैं ! अगर मुजफ्फरपुर के कायस्थ जाती के लोग अमिताभ की १९८४ की अल्लाहबाद की जीत में अपनी खुशी खोज सकते हैं फिर हम सब भारतीय "रहमान , गुलज़ार और पुत्तोकोटी " में अपनी जीत क्यों नही ?
ठीक उसी तरह यह सिनेमा को बनाया तो विदेशी लोग हैं - लेकिन इस सिनेमा में कई कलाकार या सभी सभी के कलाकार भारतीय हैं संगीत भारतीये हैं और अधिकतर तकनिकी लोग भारतीये हैं ! रहमान साहब और बोब्बी जिंदल में फरक है ! रहमान साहब विशुध्ध भारतीय हैं और हम सबको उनको नाज़ है ! वैसे उन्होंने ने कई सिनेमा में बहुत ही बढ़िया संगीत दिया है !
हर कलाकार और तकनिकी लोग अपने आप में सम्पूर्ण हैं - यह सौभाग्य है की सब को एक ऐसे छत के नीचे काम करने का अवसर मिला - जहाँ से एक राह निकली और "ऑस्कर" ..."ऑस्कर" और नई पीढी को प्रेरणा !
जहाँ तक गरीबी को दिखने से लोगों को ऐतराज है फ़िर तो हमारे अधिकतर सिनेमा गरीबी और भ्रष्टाचार के इर्द गिर्द ही घुमते हैं !
चलिए गुलज़ार साहब के गीत से इस लेख को समाप्त करते हैं -
"आपकी आंखों में कुछ महके हुए से राज हैं ...आप से भी ख़ूबसूरत आपके अंदाज़ हैं ....."
और सुभास घई की सलाह "जय हो " शब्द को इस गीत से जोड़ना सचमुच कमाल हो गया !
रंजन ऋतुराज सिंह - इंदिरापुरम !

9 comments:

Himanshu Pandey said...

उन्हें कुछ तो कहने दीजिये.
धन्यवाद इस प्रविष्टि के लिये.

सच्चा शरणम

संगीता पुरी said...

सुंदर बातें कही....पढना अच्‍छा लगा।

Anonymous said...

लगता है अब हमारी चिंताएं 'जय हो' तक ही आकर खत्म हो जाएंगी।

उपाध्यायजी(Upadhyayjee) said...
This comment has been removed by the author.
उपाध्यायजी(Upadhyayjee) said...

बहुत उम्दा !! मनुष्य जैसे जैसे कुँए से तलाब, फिर नदी और बाद में समुद्र में पहुचता है वैसे वैसे उसकी पहचान का दायरा और परिचय का scope बढ़ते जाता है | इस लिए मूलतः हम बहुत खुश हैं चाहे रहमान तमिल में बोलें या अंग्रेजी में बोले तो वो ऐसे मंच पर जहाँ तमिल भी हिंदी का पडोसी और साथी है |

डॉ .अनुराग said...

इन्हें उनकी निजी राय समझिये ..वैसे मै भी इसे भारतीय फिल्म नहीं मानता ..क्यूंकि कोई भी ऐसी फिल्म जो वहां के सिनेमाघरों में रिलीज़ न हुई हो ,अंग्रेजी भाषा में न हो .उसके लिए अलग श्रेणी है...वैसे आप अगर ये फिल्म देखेगे तो एक सधाहरण स्तर की कहानी पायेगे ....उससे अच्छी आपको आमिर ओर wednesday जैसी फिल्म लगेगी .पर फिल्म एक निजी पसंद है...इसलिए सबकी राय अलग अलग हो सकती है

Anurag Harsh said...

Jai ho........

kumar Dheeraj said...

बिल्कुल ज्वलंत सवाल आपने उठाया है फिर ऐसे सवालो से अमिताभ जी का क्या नाता है । अगर इस फिल्म में अमिताभ कोई किरदार में होते तो वे इस तरह का वयान नही देते । जबकि वास्तव में रहमान की जीत हमारी जीत है । हम उसका स्वागत करते है कि एक हमारा कलाकार दुनिया में देश का नाम रौशन कर रहा है । तभी तो जय हो कि धूम पुरी दुनिया में हो रही है शुक्रिया

Abid Hussain said...

"Jai Ho", from my viewpoint its a pucca desi film, story, characterization, background, drama, music and songs. Which you cant get in any firangi film. Its diff. point that, not all the industry persons are happy on the feat.But should we introspect and remember which Mr. Big B's movie have the right content and balance of performance from everyone to fetch the same. He and Bollywood is greatly obsessed with only masala and formula based paisa-wasool films.
Only, I can say tht we should be encouraging to others if we cant help them.