Thursday, January 7, 2010

रविश कुमार


 हिंदी इलेक्ट्रोनिक मीडिया रिपोर्टिंग में दो नाम हैं - जो बेमिसाल है - कमाल खान और रविश कुमार ! बहुत पहले की बात है - इनका कोई रिपोर्ट देखा और अपने एक स्कूल के सिनिअर से पूछा - भैया , ये बिहारी लगता है ! वो बोले - हाँ बिहारी है और वैशाली में ही रहता है ! तब से आँखें रविश कुमार को खोजने लगी ! हर रिपोर्ट मै देखने लगा - पाकिस्तान यात्रा , पंजाब के स्कूल की दास्ताँ और इसरो की चाँद यात्रा तो दिल को छू गयी ! मै काफी दिनों से "ब्लॉग दुनिया " में था ! पर , कभी ख्याल ही नहीं आया की - रविश कुमार भी ब्लॉग लिख सकते हैं ! एक दिन खोजा और रविश कुमार का "क़स्बा" मिल गया - जो नयी सड़क पर बना था ! एक ही सांस में सब कुछ पढ़ गया ! बहुत ही बढ़िया लगा था ! अब मै हर रोज उनके "क़स्बा" पर जाने लगा - साथ में और भी कई दोस्त जाने लगे ! अति सुन्दर लिखते हैं ! पर , वो भी एक मानव है - उनकी भी अपनी खुद की एक सोच होगी - जो उनके कार्य से अलग होगी ! यह मैंने कभी नहीं सोचा और उनके एक लेख पर हुयी बहस - हिंदुस्तान दैनिक के पहले पृष्ठ की खबर बन गयी ! दुःख हुआ - बहुत ही ज्यादा ! यहाँ - मुझे अपनी "ताकत" का यह्सास हुआ !आम आदमी कितना कमज़ोर होता है ! 
 खैर , समय बलवान होता है - सम्बन्ध थोडा सुधरे - उनके "क़स्बा" के बिना चैन कहाँ ! "खुशामद" और "पैसा" सबको अच्छा लगता है ! शायद मै मीडिया का नहीं हूँ और न ही एन ड़ी टी वी में नौकरी की लालसा है सो कभी कभी उनके "क़स्बा" में कड़वी बातें कर देता हूँ - जो उनको बिलकुल ही पसंद नहीं आती होगी ! पर , मेरी भी मजबूरी है ! हम दोनों ने शायद एक ही वर्ष में मैट्रिक पास किया है ! हम उम्र हैं - वो "ख़ास" हैं ...मै " आम" रह गया ! वो कभी कलक्टर का परीक्षा नहीं दिए और मैंने कभी आई आई टी की नहीं ! वोह कहते हैं - मैंने भी आई आई टी की परीक्षा नहीं दी - परीक्षा वाले दिन दरवाजा बंद कर के सो गए ! शायद प्रतिस्पर्धा से घबराते हैं ! तभी तो कई साल से एक ही जगह लटके हुए हैं ! :)
अब वो एंकरिंग करते हैं ! रिपोर्टिग के बेताज बादशाह थे ! कंपनी ने एंकरिंग में धकेल दिया ! शुरुआत उतनी अच्छी नहीं रही ! पर , सुना है अब वो रंग - बिरंगे स्वेटर में अपनी हम उम्र महिलाओं में लोक-प्रिये हो रहे हैं ! कई दिन हो गए - टी वी नहीं देखा ! शायद अगले महीने से देखूं ! सम्संग का एल ई ड़ी वाला टी वी लेने के बाद !


रविश फेसबुक पर भी लोकप्रिय हैं ! कुछ ही दिनों में उनके २००० दोस्त हो जायेंगे ! वो कुछ भी लिख देते हैं - कम्मेंट्स की वर्षा हो जाती है ! मेरे गाँव के इमली के पेड़ के नजदीक वाला भूत भी इतना लोकप्रिय नहीं हुआ होगा !


रविश कुमार , बिहार के "मझऊआ " कहे जाने वाले जिला - पूर्वी चंपारण के शिव मंदिर के लिए महशूर "अरेराज" के पास के रहने वाले हैं ! वो अपने पिता से बहुत करीब थे - उनके ब्लॉग पर कई जगह उन्होंने अपने पिता की चर्चा की है ! पटना के बेहतरीन अंग्रेज़ी स्कूल - लोयला से पढ़े लिखे हैं ! सब से बड़ी खासियत यह है की वो - रीअक्टिव नहीं हैं - मध्यम वर्ग से आते हैं - सो मध्यम वर्ग की रहन - सहन और सोच पर पकड़ है और यह उनके लेखनी में नज़र आता है ! शालीनता और सोच से वो अपने उम्र से काफी आगे हैं ! पत्नी शिक्षिका हैं और एक प्यारी बेटी भी है !


मै हमेशा ही उनके किसी स्पेशल रिपोर्ट की आशा में लगा रहता हूँ - नहीं मिलाने पर ...यू टिउब पर उनको देखता हूँ !
रंजन ऋतुराज सिंह - इंदिरापुरम !

10 comments:

Randhir Singh Suman said...

nice

Kulwant Happy said...

लोकप्रिया मिलती है, लेकिन लोकप्रियता को पाने से ज्यादा मुश्किल उसको संभाल पाना होता है। दीपक चौरसिया का नाम चला था, लेकिन गुम हो गया। रविश के लहजे का मैं तो बहुत बड़ा प्रशंसक हूं, सच पूछों तो
समानताएं भी मिल गई। जैसे उसके ब्लॉग़ की डेट 16 फरवरी, मेरी सालगिरह। मेरा पहला ब्लॉग था, कच्ची सड़क किसी कारण वश मेरे हाथों से ही उड़ गया। तो इनकी नई सडक पर कस्बा है। मुझे इनकी गम्भीरता अच्छी लगती है।

Sarvesh said...

Bahut badhiya jankari di Ravish ke baare me Mukhiya jee.
I too visit his blog sometimes and now I get chance to read is popular posts when Mukhiya jee clicks likes to on his facebook which becomes visible to me.

Fighter Jet said...

bahut din ho gaye Indian news chanel dekhe hue...ab lagta hai Ravish jee ko dekhna hi padega..waise important news ki jankari rakhta hu....par aaj kal Aljazeera channel jyada bhata hai...:)

उम्दा सोच said...

कमाल खान पर मै सहमत हूँ पर रवीश जी ने कई बार नाउम्मीद किया है उन्हें स्टारडम से बाहर आ कर खुद को परिपक्व करने की ज़रुरत लगती है!

देखिये रिपोर्ट देना और खबरों का विश्लेषण दोनों अलग चीज़ है, रिपोर्ट के मामले में रविश जी बेजोड़ रहे है पर विश्लेषण के मामले में उनमे भटकाव पाया है ! इलेक्ट्रोनिक मीडिया वैसे भी स्वक्षंद माध्यम नहीं है, पाश्चात्य का भारी दबाव सदा उसपर हावी रहा है, यहाँ ये भी कारण हो सकता है जो रविश भाई की मजबूरी हो !

संजय शर्मा said...

आदमी बढ़िया है,रविश भाई . जैसे शेखर सुमन जमल बिहारी हैं वैसे ही बिहार इन्हें भी देखना चाहता है .पहली बार बिहार पर सकारात्मक पोस्ट पढ़ा इनके ब्लॉग पर. अच्छा लगा .
ये लोग सकारात्मक अपने चैनल पर भी दिखाएँ.
कमाल खान सही में कमाल के हैं .सच का सामना हो तो कमाल खान मुझे काफी निडर लगे. अभी तक .
लेकिन रिपोर्ट रविश जी की सुनी और पढ़ी जाती है
चंपारण को लेकर आपकी बात से असहमति जताता हूँ.
बहुत सारी शुभकामनाएं

Ram N Kumar said...

aadmi wo ache hai, isme koi shak nahi hai

Ranjan said...

संजय भैया , सर्वेश भाई और राम जी - जब मै 'रविश कुमार' के बारे में लिख रहा था तब आप तीनो मेरे जेहन में थे - क्योंकि रविश कुमार के लेख 'दवा में जाति' का विरोध हम सभी ने संजय भैया के अगुवाई में किया था ! हमारा विरोध रविश के लेख पर था - रविश से नहीं ! जब रविश कुमार ने खुद को दबे जबान "बिहारी" कह ही दिया तो अब ऐसा लगा की इस सितारे पर कुछ लिखना चाहिए ! बिहारी लोग जहाँ रहे "आबाद" रहे ! इसी मनोकामना के साथ - दालान से "रंजन"

cardiac_carnage said...

Mukhiya Jee...Aise hi Likhte rahiye..

I am your fan sir...

Unknown said...

Ranjan bhaiya, baaki aapko mie de dunga ravish bhaiya kae bare mae..