Monday, September 22, 2014

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तेरी खिड़की से ....देर शाम ....वो जो आधा चाँद दिखता है ....क्या वो तेरी तरह पिघलता भी है ...
~ RR
आज की रात...घुल जाएगा ...वो मीठा मीठा सा चाँद....नमकीन समंदर के साथ ....:)) 
~ RR
किसी रात .....एक रात के साथ ....जाग के देखो ....सुनो ...क्या क्या कहती है ...वो रात ...सारी रात ....
~ RR
२५ अगस्त २०१४
ख्वाब एक आसमां हैं ...
ख्वाब मुठ्ठी में चंद सितारे हैं ...
ख्वाब एक चाँद हैं ...
ख्वाब चेहरे पे फ़ैली चांदनी है ...
ख्वाब एक गुलाब है ...
ख्वाब महकता बाग़ है ...
ख्वाब एक रात है ...
ख्वाब बेफिक्र नींद है ...
~ RR
२८ अगस्त २०१४

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