Monday, September 22, 2014

तेरे बड़े ओसारे में .................

बारिश की बूंदों में ....एक छतरी के निचे ....आज फिर तेरी गली - घर का एक चक्कर लगा आया हूँ ...तेरे बड़े ओसारे में रखी ...उस भींगी अकेली कुर्सी पर ...पल भर के लिए अपनी रूह को बैठा आया हूँ ...कुछ तो तुमने भी महसूस किया होगा ...मै फिर से सरेआम भींग आया हूँ ...
~ RR

No comments: