Saturday, September 8, 2007

बिदाई : श्री मदन मोहन Jha



कुछ कह नही सकते ! लेकिन "बिदाई" हमेशा दुखदायी होती है ! "कफ़न मे जेब नही होती " ! बस और बस रह जाते हैं - आपके कर्म !
"झा" जीं , आप कहॉ गएँ हैं ? आप तो हम लोगों के बीच मे ही हैं ! कौन कहता है - आप चले गए ? झूठ बोलता है ! देखिए ना , कल मीटिंग है - नए बहाल शिक्षक गन के पेंशन का ! सिन्हा जीं , आ रहे हैं ! बहुत सारा बेजुबान फ़ाइल आपका इंतज़ार कर रहा है ! बिहार के शिक्षा के बुनियादी ढांचा को संवारना है ! उठिये ना ! आराम - हराम है ! यही ना , आप कहते हैं !
"नितीश जीं " आप रो क्यों रहे हैं ? Brishan पटेल जीं आप फूट फूट कर क्यों रो रहे हैं ! क्या हो गया ? "झा जीं " कुछ बोलते क्यों नही ?
किसी अफसर कि क़ाबलियत कि मिशाल यही है कि उनके जाने के बाद - मंत्री और मुख्य मंत्री फूट फूट कर रो रहे हैं !
आप बहुत याद आएंगे ! सच्ची श्रद्घांजलि यही होगी कि उनके सुरु किये हुये कामो को बिना किसी रुकावट के जारी रहे !
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पटना। मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव और 1976 बैच के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी डा. मदन मोहन झा का शुक्रवार को अहले सुबह आकस्मिक निधन हो गया। वे 56 वर्ष के थे। हाजीपुर में गंगा घाट पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। स्व. झा अपने पीछे धर्मपत्नी श्रीमती निशा झा, पुत्र सौरव और पुत्री नेहा को छोड़ गए। डा. झा के निधन की खबर से पूरे सरकारी महकमे और शिक्षा जगत में शोक की लहर दौड़ गयी है।

मूलत: भागलपुर जिले के भागलपुरा गांव निवासी डा.मदन मोहन झा के निधन के वक्त उनकी धर्मपत्‍‌नी श्रीमती निशा झा मौजूद थीं। उनके करीबी रिश्तेदार बीएन झा ने बताया कि रिश्ते में उनके ममेरे बहनोई डा. झा के माता-पिता श्रीमती भवानी देवी और शकुन लाल झा जीवित हैं। उन्होंने बताया कि रात साढ़े तीन बजे अचानक उन्हें बेचैनी महसूस हुई। तत्काल एम्बुलेंस बुलाई गई और पीएमसीएच के इन्दिरा गांधी हृदय रोग संस्थान ले जाया गया,जहां चिकित्सकों ने रात के करीब साढ़े चार बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया।
डा. झा के निधन की खबर से पूरे सरकारी महकमे और शिक्षा जगत में शोक की लहर दौड़ गयी है। राज्य सरकार ने इनके निधन पर एक दिन के राजकीय शोक की घोषणा करते हुए शुक्रवार को सरकारी विभागों में अवकाश घोषित कर दिया। उनकी अंत्येष्टि शुक्रवार की देर शाम पूरे राजकीय सम्मान के साथ हाजीपुर स्थित कौनहरा घाट पर कर दिया गया। घाट पर बिहार सैन्य पुलिस की गोरखा बटालियन के जवानों ने 12 राइफलों की गारद सलामी दी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, रामाश्रय प्रसाद सिंह, वृषिण पटेल, अश्विनी चौबे, मुख्य सचिव अशोक कुमार चौधरी, गृह सचिव अफजल अमानुल्लाह, कैबिनेट सचिव गिरीश शंकर, अपर पुलिस महानिदेशक अभ्यानंद, महाधिवक्ता पीके शाही, बिहार राज्य धार्मिक न्याय परिषद के प्रशासक आचार्य किशोर कुणाल, पटना के डीएम डा. बी. राजेन्दर, वरीय आरक्षी अधीक्षक कुन्दन कृष्णन, आईएएस आमीर सुबहानी, डा. दीपक प्रसाद, वैशाली के डीएम लल्लन सिंह, आरक्षी अधीक्षक अनुपमा निलेकर सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

अपने कैरियर का आगाज पटना विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर के रूप में करने वाले डा.मदन मोहन झा ने आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की उपाधि अर्जित की थी। शिक्षा पर उनकी ख्यातिनाम पुस्तक आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रेस से प्रकाशित हुई। प्राथमिक शिक्षा और विकलांग शिक्षण पद्धति के राष्ट्रीय विशेषज्ञ माने गए डा.झा भारतीय प्रशासनिक सेवा में 1976 में आए। डा. झा ने धनबाद और सहरसा समेत कई जिलों के जिलाधिकारी के रूप में महत्वपूर्ण कार्य किया। वे भारत सरकार में संयुक्त सचिव भी रहे। बिहार सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर योगदान दे चुके डा. झा 2011 में सेवानिवृत्त होने वाले थे पर नियति को कौन जानता है..!
रंजन ऋतुराज सिंह , नौएडा

1 comment:

Unknown said...

Swadeshey pujtey raja,
Viddwan Sarvatra pujyatey..