Monday, October 22, 2007

आज सोमवार है !

आज "सोमवार" है ! सच पूछिये तो आज "काम" पर आने का मन एकदम नही करता है ! सुबह सुबह बच्चा लोग भी स्कूल नही जाना चाहता है ! "कसाई" की तरह उनको तैयार कर के स्कूल भेजना पङता है ! इधर "त्यौहार" वाला मूड हो गया था ! अचानक आज सुबह पता चला की आज सोमवार है ! मौसम भी अजीब है ! कच्ची धुप थोडी अच्छी लगती है ! मन कर रहा है कि हरे हरे घास - ( दूभ) पर एक चटाई बिछा के - भागलपुरी चादर ओढ़ के एक नींद मार लें ! बीच बीच मे कोई ग्रीन लेबल वाली चाय देता रहे और हाथ मे एक उपन्यास ! फिर दोपहर को उठ कर भर पेट आलू दम कि सब्जी के साथ चावल ! फिर एक नींद !
मेट्रो मे ज़िंदगी अजीब है ! हर कोई पैसा के पीछे भागता नज़र आता है ! यहाँ पैसा भी है ! कोई "लहर" गिनने का भी पैसा कमा लेता है ! वैसे , "पैसा और खुशामद " सबको अच्छा लगता है ! हम कोई अपवाद नही है ! "राजा" इसलिए "राजा" होता था कि उसके पास धन होता था !
रमेश मिला ! पूछे कि भाई हम दोनो एक साथ दिल्ली आये थे ! तुम गाडी पर गाडी बदल रहे हो ! और एक हम हैं :(
कहने लगा - "मुखिया जी " , हम यह नही सोचते कि - आज सोमवार है और कल इतवार था ! बस यही फर्क है ! "लहर" गिनने से हमको शरम नही है ! "बीबी" को माथा पर सवार नही किये हैं ! जम के मेहनत करते हैं ! अपना -पराया का भेद भाव किये बिना जेब काटने से हिचकते नही हैं !
एक सांस मे ही सब कुछ कह गया ! हम चुप रह गए ! लेकिन मेरे अन्दर का अर्जुन जाग रहा था ! अब असली महाभारत होगा ! मुखिया जी पैसा कमा के गर्दा गर्दा कर देंगे ! मालूम नही - मैंने क्या क्या सोच लिया !
सोचते सोचते - फिर नींद आने लगी और मैं मखमली दूभ कि तलाश मे निकल पडा !
जरा , एक कप ग्रीन लेबल चाय ! आज सोमवार है ! कुछ भी करने का मूड नही बन रहा है !


रंजनऋतुराज सिंह , नॉएडा

9 comments:

Gaurav Singh said...

Ranjan da.. Kindly dont spoil us with such tempting ideas..-:) I have suddenly started missing home and dhoop and a cup of tea. Ha aha.. Metro has taken a huge toll on life..

Ahmad Rasheed said...

Oye bhai mukhiya jee. Same thing has happen with me when I wake up in the morning of Saturday. Bhai aaisa lagta hai ki koi gale pe chaku chala raha hai jante ho woh chaku kaun si hai woh hai " Paisa" Riyal" Dollar...!" jo chubhti bhi hai to accha lagta hai ... hahahahahaha. waise yeh dil ko chune wala sacchi haqiqat hai bhai jo aap ne aapne qalam se nahi apne hath se computer ke screen pe chaapi hai. Maza aagaya.
Love.
Tumhara Bhaiyya.

Udan Tashtari said...

किस किस को देखियेगा
किस किस पे रोईये
आराम बड़ी चीज है
मूँह ढ़क के सोईये.

--बहुत शुभकामनायें कि आपको ग्रीन लेबल चाय और आलूद्म्म के साथ चावल भी मिल जायें. :)

Manish Kumar said...

छोटे शहरों में यही एक सहूलियत है । खासकर जब आप कॉलोनी में रहते हों और औना पौना करने का कोई जुगाड़ आपके पास ना हो तो अपने आसपास सब का जीवन स्तर एक सा दिखता है...

Ajit Chouhan said...

bahut badhiya sir..ye padh ke humko jaada ka din yaad aa gaya jab hum log chat per chataiya bicha kar din mein soote thee.monday morning to life ka sabse painful part hai......:(

Sarvesh said...

Monday morning is painful, lekin 'Lahar' kee baat samajh me nahin ayee. Agle message me Lahar ko Vishtar se samjhaya jaye

Fighter Jet said...

kya khub kahi hai...solah aane sach

Navrang said...

BhaiSahab - Main aapko janta to nahi pad aape kuch Blogs padh kar aisa laga ki aap mere 'kind of' alter-ego hain....

Bhagalpuri chadar...chatai pe let ke...green label chai...aur sham ko Chura Bhuja with Matar...kya baat hai...Jindagi ki bhagdor me Insaan ki yeh seemingly choti baaton me Badi Khusiyan kahi choop si jaati hain....yooh hi Likhte rahiye ...

Samir

Shwetank's WebBlog said...

रंजन भाई ..तुम तो यार हो तो मलाई मार के क्या लिखना सोमवार का कष्ट वही जाने जो आर्थिक माया मोह से ऊपर है
वैसे यहाँ gulf में तो दोहरा मार है
एक तो दिन था अपना इतवार, साला यहाँ इतवार ही सोमवार है ... श्वेतांक