बहुत पहले की बात है ! एक दोस्त को इंजीनियरिंग में 'मैकेनिकल ब्रांच' मिला ! उसके बाबु जी का बयान था - 'जीप वाला नौकरी नहीं मिलेगा - एस डी ओ नहीं बन् पायेगा' ! बेहद निराशजनक शब्दों में ! शायद उसके बाबु जी की चाहत थी - सिविल इंजिनियर बनता - बिहार सरकार में इंजीनीयर होता - कंकरबाग में जमीन खरीदता - फिर उसमे चार मंजिला मकान - दरवाजे पर् एक जीप खड़ी होती ! दोस्त एकदम अड़ा रहा - पढूंगा तो मैकेनिकल ही वरना कुछ नहीं !
इस् पिता की अभिलाषा कहाँ से आई ?
मेरे इस् मैकेनिकल दोस्त की एक दोस्त होती थी ! बेहद ख़ूबसूरत ! एक देर शाम "नोट्स" आदान प्रदान करना था ! अब उसके घर जाना था ! मै प्लस टू ज़माने में गैरों के लिये काफी 'सोबर' और नजदीक से जानने वालों के लिये 'बदमाश' ! अब दोस्त के 'दोस्त' के घर जाना था ! देर शाम था ! कार चलाने सिर्फ मुझे ही आता - ऊपर से मै काफी 'सोबर' - कहीं भी किसी से पहली मुलाकात में - एक इम्प्रेशन बढ़िया बनने का डर - मेरे दोस्त को सता रहा था ! खैर , मन मार् के वो मुझे लेकर गया !दोस्त के दोस्त के घर पहुंचे ! एक ड्राईंग रूम खुला - वहाँ से दूसरा ड्राईंग रूम - फिर तीसरा ड्राईंग रूम ! मेरा माथा घूम गया ! टेंशन में हम सोफा पर् धम्म से जा गिरे ! ख़ाक ..इम्प्रेशन बनेगा ! तीन ड्राईंग रूम देख और तीनो बेमिसाल -
हम तीन दिन तक सोचते रहे - बिहार सरकार !
मेरे गाँव में - हमारे घर के ठीक सामने वाले घर से - एक चाचा जी - इंजीनियरिंग में टॉप किये ! इंजीनियरिंग में टॉप बोले तो पक्का इंजिनियर - उनके फाईनल ईयर प्रोजेक्ट को देश भर में सहारा गया ! अब वो एम टेक करने लगे ! इरादा कुछ और था - होस्टल के लॉबी के सभी विद्यार्थी - यू पी एस सी दे रहे थे - ये भी बैठ गए ! आई ये एस बन् गए ! इनके बाबु जी इनको लेकर मेरे बाबु जी के पास आये ! सर झुका ! मेरे बाबु जी बोले - सर क्यों झुकाए हो ? हाकीम बन् गए :)) खुश रहो ! आई एस एस चाचा बोले - नहीं ....मन था अमरीका जा कर कुछ रिसर्च करता ! खैर हाकीमगिरी में अठारह साल गुजारे और अब देश के सबसे धनी व्यक्ती के कंपनी में सबसे बड़े मैनेजर हैं :))
क्या सामाजिक दबाब ने विश्व से एक बेहतरीन वैज्ञानिक नहीं छिन लिया ??
मार्च महीने में पटना जा रहा था ! राजधानी एसी टू में आर् ए सी ! साथ में उमर में काफी छोटा लड़का ! बात शुरू हुई - हम पूछे - बाबु क्या करते हो ? बोला - सर , मै फलाना स्टेट में फलाना अधिकारी हूँ ! मैंने बोला - हूँ ..आई ए एस हो - और मै मुस्कुरा दिया ! मेरी मुस्कान थोड़ी टेढी थी ! उसने हंसते हुए बोला - सर , मै ईमानदार रहूँगा ! मै जोर से हंस दिया ! वो काफी शरमा रहा था - टी टी को बुला - मैंने उसको फर्स्ट क्लास में भेज दिया !
क्या जरुरत आ पडी - उसको यह बोलने की - 'मै ईमानदार रहूँगा' !
बहस जारी रहेगी ....क्रमशः
5 comments:
Hmmmm! Badhiya hain!
Bahut badhiyan laga.
Jab tak log colonial mentality seupar nahi niklenge..ye hall jari rahega....lal batti aur upari kamai...ka
Great, as usual.
क्या जरुरत आ पडी - उसको यह बोलने की - 'मै ईमानदार रहूँगा' !.........bahut badiaa bhai;)
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