Monday, August 13, 2007

रविश जीं का ब्लोग !

NDTV के रिपोर्टर के रुप मे हम सभी ने इनको देखा और परखा है ! बिहार के चम्पारण जिला के रहने वाले हैं ! इस साल इनको रामनाथ गोएंका अवार्ड भी मिला है ! दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास मे स्नाकोत्तर हैं ! जनसत्ता के माध्यम से पत्रकारिता शुरू कि ! खुद भी सावर्ण होते हुये भी सावर्ण को गरिआते देर नही लगती है ! सामाजिक न्याय मे विस्वास रखते हैं ! मंडल - कमंडल के दौर से गुजरे हैं ! अल्प्संखयोंकों के प्रति खास स्नेह हैं ! मेरी नज़र मे पत्रकार नही होते तो शायद लालू -राबरी के मंत्रिमंडल मे होते !
भाषा पर इनकी जबर्दस्त पकड़ है ! अगर आप ने इनकी रिपोर्टिंग देखी हो तो मेरा यह मनाना है कि मेरी तरह आप भी मंत्रमुग्ध हो गए होंगे ! लीजिये , इनकी एक रचना
पिता- कितना मिलता है?
पुत्र- काम चल जाता है।
पिता- कितना?
पुत्र- खर्चा इतना कि बचता नहीं।
पिता- कितना?
पुत्र- स्कूल, दवा और किराया।
पिता- कितना?
पुत्र- साल भर से नया कपड़ा नहीं खरीदे।
पिता- कितना?
पुत्र- बैंक में एक रुपया नहीं।
पिता- कितना?
पुत्र- दिल्ली में रहना महंगा है।
पिता- कितना?
पुत्र- टैक्स भी भरना है।
पिता- कितना?
पुत्र- आपके पास कुछ है?
पिता- है। चाहिए।
पुत्र- कितना?
पिता- उतना तो नहीं।
पुत्र- कितना?
पिता- रिटायरमेंट के बाद मकान में लग गया।
पुत्र- कितना?
पिता-चुप...
पुत्र- चुप
नोट-( कहानी ख़त्म नहीं हुई। खत्म नहीं हो सकती। चलती रहेगी। बस आप बता दीजिए। किस किस घर में इस सवाल का जवाब बाप और बेटे ने ईमानदारी से दिया है)

रंजन ऋतुराज सिंह
, नौएडा

3 comments:

Mukund Kumar said...

Bahut Khub mukhiya jee..Gr8 piece of ur sensibility...true to heart of aam admi...

Gaurav Singh said...

Sacchai kitni karwi hoti hai na!!

rohit said...

suru suru me ravish ji ki baten badi prernadayak lagti hain, joshili, uttejak parantu jab aap unki baton ka vishleshan karenge to payenge ki ek sarthak prayas hota hai unke niji soch ko aam admi ke kano me jabardasti dalne ka, kai bar to samjh se pare ho jata hai ki kab wo samajik samasya me niji samasya ko ghusa dete hain. mai ravish ji ka bahut bada prashanshak raha hun hamesha se or rahunga bhi parantu ja bhi bat unki karyashaili ki ati hai to wo ek swatantra patrkar kam or bhagwa virodhi jyada najar ate hain, kyun ki sarkar ka har kaam bura nhi hota hai ab jahan tarif krni chahiye wahan bhi virodh??? ye darshata hai ki aap niji roop se kunthit ho chuke hain. Kahte hain ki vyaktitwa wo hota hai jo kadi dhoop me bhi chamkta hai or andhere me bhi, ravish ji ab sirf camera ki light me h chamkte hain......unke sabd kalege ko thandhak nhi dete abbbb......kya karen?