Friday, October 3, 2014

ए खुदा मेरी मुहब्बत का गवाह तू भी है .....

ए खुदा मेरी मुहब्बत का गवाह तू भी है
अगर ये खता है तो कसूरवार तू भी है
अब तू मुझे देख मुस्कुराता क्या है ..
बार बार मुझसे नज़रे चुराता क्या है ..
उसे देख तेरे दिल में आता क्या है ...
गीता - कुरान की कसमें खाता क्या है
मेरी हर एक सजा गैरों को सुनाता क्या है
फिर मेरे संग रातों को जागता क्या है
कुछ देर मेरी ईबाबत को भी बर्दास्त कर
कुछ देर इस पत्थर को भी खुदा कर
इस गहराई में खुद को भी पाक कर
ए खुदा मेरी मुहब्बत का इलज़ाम तुझ पर भी है
अगर ये इलज़ाम सही है फिर खतावार तू भी है


@RR - १० जनवरी - २०१३ 

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