Saturday, January 18, 2020

हर ज़िन्दगी एक कहानी है ....

हर ज़िंदगी एक कहानी है ! पर कोई कहानी पूर्ण नहीं है ! हर कहानी के कुछ पन्ने गायब हैं ! हर एक इंसान को हक़ है, वो अपने ज़िंदगी के उन पन्नों को फिर से नहीं पढ़े या पढाए, उनको हमेशा के लिए गायब कर देना ही - कहानी को सुन्दर बनाता है ! "अतीत के काले पन्नों में जीना वर्तमान को ज़हरीला बना देता है - और जब वर्तमान ही ज़हरीला है फिर भविष्य कभी भी सुखदायक नहीं हो सकता "
काले पन्ने कभी भी ना खुद के लिए प्रेरणादायक होते हैं और ना ही दूसरों के लिए ! भगवान् भी अवतार बन के आये तो उन्हें भी इस पृथ्वी पर 'अप - डाउन ' देखना पडा ! उनके कष्ट को हमारे सामने पेश तो किया गया पर काले पन्नों को कहानीकार बखूबी गायब कर दिए !
कोई इंसान खुद कितना भी बड़ा क्यों न हो - वो अपने जीवन के एक 'ब्लैक होल' से जरुर गुजरता है - अब वह 'ब्लैक होल' कितना बड़ा / लंबा है - यह बहुत कुछ नसीब / दुर्बल मन / और अन्य कारकों पर निर्भर करता है !
हर इंसान खुद को सुखी देखना चाहे या न चाहे - पर खुद को शांती में देखना चाहता है - कई बार ये अशांती कृतिम / आर्टिफिसियल भी होती है - थोड़े से मजबूत मन से इस कृतिम अशांती को दूर किया जा सकता है - पर कई बार 'लत / आदत' हमें घेरे रहती हैं - आपके जीवन में शांती हो, यह सिर्फ आपके लिए ही जरुरी नहीं है - इस पृथ्वी पर कोई अकेला नहीं होता - यह एक जबरदस्त भ्रम है की हम अकेले होते हैं - हर वक़्त आपके साथ कोई और भी होता है - एक उदहारण देता हूँ - ऋषी / मुनी जंगल में जाते थे - बचपन की कई कहानीओं में वैसे ऋषी / मुनी के साथ कोई जानवर भी होता था - जिसके भावना / आहार / सुरक्षा की क़द्र वो करते थे - ऐसा ही कुछ इस संसार में भी होता है - आप कभी भी / किसी भी अवस्था में 'अकेले' नहीं हैं - इस धरती का कोई न कोई प्राणी आपपर भावनात्मक / आर्थीक / शारीरिक रूप से निर्भर है - या आप किसी के ऊपर निर्भर हैं !
तो बात चल रही थी जीवन के काले पन्नों की ...ईश्वर ने हमें एक बड़ी ही खुबसूरत तोहफा दिया है - "भूलने की शक्ती" - हम अपने जीवन के काले पन्नों को सिर्फ फाड़ना ही नहीं चाहते बल्की उन्हें इस कदर फेंक देना चाहते हैं - जैसे वो कभी हमारे हिस्से ही नहीं रहे - उस काले पन्ने में 'कोई इंसान / कोई काल - समय / कोई जगह' - कुछ भी शामिल हो सकता है ! पर उसके लिए सबसे महत्वपूर्ण है - Out of sight -out of mind - और जब तक यह नहीं होगा - आप काले पन्नों में ही उलझे रह जायेंगे - और आगे की कहानी भी बगैर स्याही ..न जाने क्या क्या लिखेगी :)
हिम्मत कीजिए - कृतिम अशांती और काले पन्नों से बाहर निकलिए ,खुद के लिए !
18.01.15

@RR

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