Saturday, January 18, 2020

कहानी जूता और पॉलिश की


कहानी जूता और पॉलिश की :
इस जूते की एक कहानी है । जब ये नया था , फरवरी 2014 में नोएडा के एक विश्व विख्यात शादी को अटेंड करने के बाद , इंदिरापुरम आवास के एक लंबे पर्दे के पीछे खिड़की पर रख भूल गया । बाद में लगा कि जूता चोरी हो गया । उस वक़्त उस तथाकथित चोरी पर कुछ लिख भी दिया । खैर चार साल बाद , इंदिरापुरम आवास को किराया पर चढ़ाते वक़्त , सामान खाली करते वक़्त , यह जूता वापस नजर आया । चार साल तक यह उसी जगह चुप चाप बैठा रहा । फिर पटना आ गया । फिर इसका गोंद इसका सोल छोड़ दिया तो मैंने लोकल सोल लगवा पहनना शुरू किया । पिछले साल एक दिन भी नहीं पहना । इस साल फिर से शुरू । पिछले 18 साल से एक ही ब्रांड और एक ही डिजाईन ।
" हम पुरुषों के लिए जूता और टोपी का बहुत महत्व होता है - अनजान महफिलों में हमारी पहचान यही दोनों तय करती है " । ऑफिस के पास दो मोची जी लोग बैठते हैं । आज वहां पॉलिश करवाने गया तो उन्होंने कहा कि - " अब वो सुगंधित चेरी पॉलिश नहीं आता , ब्रांड वही रह गया लेकिन कंपनी बदल गई , शायद इसलिए अब चेरी में वो खुशबू नहीं आती " । मै थोड़ा उदास हुआ । फिर उन्होंने कहा कि - कभी लिक्विड पॉलिश नहीं प्रयोग करें , चमड़ा बर्बाद कर देता है ...इत्यादि छोटे छोटे ज्ञान । मै स्टूल पर बैठ , उनसे गप्प लड़ाते रहा ।
अभी मूड हुआ तो चेरी पॉलिश कंपनी का इतिहास पढ़ा । सन 1906 में डेन और चार्ल्स ने इस पॉलिश की शुरुआत लंदन में की । फिर अपनी मार्केटिंग स्किल की बदौलत इसे चेरी को घर घर पहुंचाया । सन 1911 में इस कंपनी ने लंदन के क्रिस्टल पैलेस को एक दिन के लिए किराया पर लिया और आम जनता के लिए खोला , इस शर्त के साथ की जो इस पोलिश के टीन के साथ आएगा , उसी को प्रवेश मिलेगी :))
फिर कंपनी बनी , रेकिट और कोलमैन ने खरीदा , फिर बहुत कुछ हुआ और अंत में सन 1994 में एक दूसरी कंपनी इस ब्रांड की मालकिन बनी । शायद तभी से वो ख़ास चेरी पॉलिश वाली सुगंध गायब हुई ।
पर , मुझे ढेर सारे जूते और उन्हें सुबह सुबह पॉलिश करना बेहद पसंद , बेहद :)) छुट्टियों के दिन खासकर - हल्ला गाड़ी की चिंता किए बगैर ;)
कभी फुर्सत मिले तो अपने पसंदीदा ब्रांड के बारे में गूगल पर पढ़िए । मजा आएगा ।
ब्रांड बहुत बड़ी चीज होती है - और एक बार बन जाए तो उसे सहजने में दम निकल जाता है , है कि नहीं ? हा हा हा ।
~ रंजन / दालान / 16.01.20
#DaalaanDiary - Day 16 / 2020
@RR

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