Saturday, December 29, 2007

तारे जमीन पर और भी हैं

आमिर खान द्वारा निर्देशित " तारे जमीन पर " पर देखा ! मेरी नज़र मे यह और "चक दे इंडिया " २००७ की कुछ कमाल के सिनेमा हैं ! यह संतोषजनक है की अब व्यावसायिक सिनेमा भी संदेश देने लगे हैं ! आमिर खान कमाल के एक्टर हैं और "तारे ज़मीन पर " से उन्होने यह भी दिखाया है की वह एक कुशल निर्देशक हैं ! वैसे आमिर खान ने सिनेमा के प्रचार मे भी काफी समय और बहुत कुछ "मीडिया" को दिया है !
आम आदमी की जिन्दगी से जुडी और बिना किसी लटके झटके के भी एक सफल सिनेमा दिखाया जा सकता है - तारे ज़मीन पर संवेदना से भरपूर सिनेमा है जिसमे पैसा वसूल के साथ साथ कई संदेश एक साथ नज़र आएंगे ! आपको अपने बच्चों के साथ साथ अपना बचपन भी नज़र आएगा ! आपके कई गुरुजन भी नज़र आएंगे ! और अगर आप थोडा भी संवेदनशील हैं तो रुमाल को साथ ले जाना नही भूलियेगा ! महिलाएं , बाल्टी भी ले जा सकती हैं ! मध्यमवर्ग के लिए यह सिनेमा देखना बहुत जरुरी है - क्योंकि आज़ादी के बाद यह वर्ग "शिक्षा" को सिर्फ और सिर्फ रोजगार के रुप मे देखता है - जिसके कारण समाज मे कई "साइड इफेक्ट" आ गया है ! और हमारे जीवन शैली , भाग दौड़ , पैसा- पैसा के खेल मे बच्चे काफी बुरी तरह से प्रभावित हैं ! महानगर तो और त्रशादी से गुजर रहा है - जिसके कारण अब " छोटे शहर " के बच्चों ने कमाल दिखाना शुरू कर दिया है !
आज के दौर मे "माँ" भी संवेदनशील है ! सिनेमा के साथ साथ सिनेमा हॉल मे भी मुझे यह नज़र आया ! मंहगे मोबाइल , कंधे पर लप टॉप और गला लटकता 'कम्पनी' का पट्टा होने के वावजूद लोग अपने बच्चों के साथ सिनेमा हॉल मे नज़र आये ! पटना से बिछुड़ने के बाद आज पहली दफा , सिनेमा खतम होने के बाद मैंने भी लप टॉप वालों के साथ जम कर ताली बजाया !
मल्टीप्लेक्स मे सिनेमा देखना काफी महंगा सौदा है - पर हम बच कैसे सकते हैं ? "मेट्रो समाज " के साथ भी तो चलना है ! :)
दिल्ली वालों के लिए खुशखबरी है की - वहाँ ये "टैक्स फ्री " है !

रंजन ऋतुराज सिंह , नॉएडा

4 comments:

Sarvesh said...

आज कल सिनेमा का प्रचार में मीडिया और ब्लोगर्स काफी सक्रिए हैं. दालान पर तारे ज़मीन पर की समीक्षा पढ़ कर बहुत अच्छा लगा. बच्चो के प्रति सम्वंशील इस सिनेमा को देखने के बाद शिक्षा के प्रति एक नया नज़रिये का एह्शाश होता है. आप को ताली बाजाते देख कर बड़ा अच्छा लगा. ज़माना कितना बदल रहा है. पहले रिक्शावा वाले के साथ ताली बजाते थे लोग आज कल लप्तोप और पत्ते वाले के साथ.

Sarvesh said...

You can be a wonderful film samikshak Mukhiya jee. I enjoyed reading your samiksha and was comparing with the one in TOI. You are very close. Keep it up.

Ashish Mishra said...

Ranjan,

Although I have read reviews of "TAARE ZAMEEN PAR" on various internet sites, it was ur review which made more sense and which litreally forced me to watch this movie, Its a brilliant movie which at least make you think about the plight of such kids. As a father of an autistic son .. It made me more sensitive towards the challenges faced by my son in daily life. Kudos to you.. and do not limit yourself to political/current affairs topics, you have the potential to write on any topic which you feel like. keep writing buddy...
-Ashish Mishra

M said...

मुखिया जी
सबसे पबले नया साल का मुबारकबाद , और सभी भाइयो को और देशवासियों को नया साल मुबारक हो,

बिल्कुल सही फ़रमाया आपने, राजनेता अपने स्वार्थ के लिए सबको इस्तेमाल करते है, लोगो बुधू बनते है, चाहे लालू जी हो या मोदी हो, बस हम लोगो को समझना चाहिए , मुखिया जी बेशक तारे जमीं पर बहुत ही अच्छी फ़िल्म है और पूरे फमिली के साथ देख सकते है, वैसे बेनजीर भूतो टू बहुत ही कर्मठ नेता थी और आगे बहुत कुछ करना था लेकिन उप्पर वाले को यही मंज़ूर था और क्या कह सकते है, ऐसे मे २००८ भी आ गया अब तो हम सभी को कुच्छ अच्छा सीखना और अच्छा करने का वादा करते हुवे सुख शान्ति के लिए दुआ करना चाहिए. उम्मीद करते है और दुआ करते है, की आने वाला साल हमारे लिए हमारे बिहार के लिए और पूरे देश के लिए खुश हाली को हो,........ शुक्रिया
मोहम्मद मुस्ताकिम
रियाध सौदी अरब