Friday, December 2, 2011

मेरा गाँव - मेरा देस् - पत्र पत्रिका

मैंने शायद पहले भी लिखा है रांची के डोरंडा मोहल्ले के नेपाल हॉउस में नाना जी रहते थे और करीब पांच बजे दिल्ली वाला टाईम्स ऑफ इंडिया आता था ! बरामदे में अखबार वाला अखबार को सुतरी से बाँध फेंक जाता था ! मै अखबार की तरफ दौड पड़ता ! आर् के लक्ष्मण के कार्टून को देखने के लिये ! अखबार से जुडी यह मेरी पहली याद है !

रांची प्रवास के दौरान ही मौसी की पहली पोस्टिंग इटकी ( रांची के पास ) हुई थी ! एक ट्रक नुमा बस फिरायालाल से खुलती थी ! दो तीन दिन इटकी में रहा फिर मौसी के साथ वापस ! वहीँ फिरायालाल के पास लौटते वक्त मौसी मेरे लिये पराग और पौप्पिंस खरीद देती थीं ! पराग मेरे उम्र के लिये नहीं था मुझसे बड़े बच्चों के लिये था पर् पराग पढ़ने के बाद कुछ और पसंद नहीं आया ! चम्पक और चंदा मामा कभी नहीं पढ़ा ! और फिर पराग से सीधे कादम्बिनी J ! फिर नंदन ! फिर अमर चित्र कथा ! पागलों की तरह पढता था ! धर्मयुग ! पत्र पत्रिका के चलते बहुत बचपन में ही बहुत कुछ बहुत जल्द समझ में आया गया जिसके कारण जीवन में बहुत चमकीली चीज़ें बहुत फीकी लगती थी ! खैर ..

मुजफ्फरपुर लौटा ! यहाँ दर्शन हुए आर्याव्रत और इन्डियन नेशन से ! बड़े बाबा मिजाज़ से बहुत रईस थे ढेर सारे अखबार वो खरीदते थे जाड़े के दिन में पूरा मोहल्ला दरवाजे पर् आ जाता था अखबार पढ़ने के लिये बदले में उनलोगों को बड़े बाबा का गप्प सुनना पड़ता था ! बड़ी दादी रोज अखबार वाले को धमकी देती थीं ! सर्च लाईट प्रदीप !

पिता जी जब पीजी में एडमिशन लिये तब हम सपरिवार मुजफ्फरपुर में ही दूसरे जगह शिफ्ट कर गए ! यहीं मुझे अमर चित्र कथा पढ़ने का मौका मिला ! इंद्रजाल कॉमिक्स वेताल बहादुर फैंटम ! अमर चित्र कथा के माध्यम से ही मैंने भारत वर्ष को जाना ! फिर अचानक से स्माल पॉकेट बुक्स में राजन इकबाल सीरीज ! पागल की तरह ! एक अटैची भर गया राजन इकबाल से ! दोस्तों से एकदम सिनेमा माफिक सीधे अटैची का आदान प्रदान ! एक दो साल खूब पढ़ा ! एक रविवार बाबु जी के पॉकेट से  मैंने पचास रुपैये भी चुराए किंग कॉंग खरीदने के लिये ! दो चटकन में मुह से सब चोरी निकल गया ! L नंदन में राजा राजकुमार की कहानी J

पिता जी का पीजी समाप्त हुआ और वो अचानक से सभी अखबार और पत्र पत्रिकाएं खरीदने लगे ! देर शाम वो अपने लम्ब्रेटा के बास्केट में सभी अखबार और पत्र पत्रिकाएं ले आते थे ! मै किसी और को छूने नहीं देता ! सारिका से परिचय वहीँ हुआ ! इलस्ट्रेटेड वीकली , धर्मयुग , साप्ताहिक हिंदुस्तान ! तीनो काफी लंबे चौड़े मैग्जीन होते थे ! करीब एक दो साल जम के सारिका पढ़ा ! हिन्दी साहित्य की समझ और समाज से परिचय हुआ ! तब तक मै हाई स्कूल भी नहीं गया था ! जितनी कम उम्र में जितना पढ़ा और समझ में आया एक आश्चर्य है मेरी हिन्दी उतनी ही कमज़ोर है L


भारत क्रिकेट का वर्ल्ड कप जीता ! डा० नरोत्तम पूरी की खेल भारती से परिचय हुआ और और खेल भारती को तब तक पढ़ा जब तक वो छपता रहा ! इसी टाईम में टीनएजर के लिये सुमन सौरव आया ! मै कभी नहीं पढ़ा एक बार एक नज़र देखा और एक दोस्त के मुह पर् मारा ई सब बउआ लोग के लिये है ! मुझे सारिका पढ़ने दो ! ;)

इसी दौरान क्रिकेट सम्राट आ गया ! उसमे किसी खिलाड़ी का पोस्टर होता था ! वो पोस्टर मेरे कमरे में चिपक जाता था !

बाबा राजनीति में थे सो उनके अटैची में माया रखी होती थी ! चुप चाप माया को निकाल दिन भर पढ़ना ! दिनमान और रविवार भी बाबु जी खरीदते थे ! शायद दिनमान में पिता जी के एक सीनियर दोस्त के साले साहब काम करते थे !


खैर , पटना आ गया ! मामा लोग इन्टेलेकचूयल टाइप थे ! इंडिया टूडे और रीडर्स डाईजेस्ट हाथ में लेकर घुमते थे ! इण्डिया टूडे को पीछे से पढ़ना J तब वो पाक्षिक होती थी ! पटना आने पर् एक खुशी यह हुई की यहाँ सुबह में ही अखबार मिलता था ! स्पोर्ट्स का पेज लेकर गायब J किसी कोना में मैल्कम मार्शल के बारे में पढ़ रहा हूँ J  क्रिकेट सम्राट चालू रहा ! पुरे कमरे में वेस्ट इंडीज के खिलाड़ी का पोस्टर ! एक बार गाँव से कोई आया वो मेरे कमरे में ही ठहरे एक सुबह सुबह बोले भोरे भोरे ई करिया करिया सब का चेहरा देख जतरा खराब हो जाता है ;)

खैर ..पटना में पाटलिपुत्रा टाइम्स आज इत्यादी से परिचय हुआ ! मैट्रीक में रहा हूँगा नव भारत टाईम्स और टाईम्स ऑफ इंडिया पटना पहुँच गयी ! हाँ , आठवीं में ही हर शाम दिल्ली के अखबार मै अपने पॉकेट मनी से खरीदने लगा ! शाम पांच बजे तक कंकडबाग में दिल्ली वाले मोटे मोटे अखबार आने लगे !

हम लोग पटना में किराया पर् थे मकानमालिक के सीढ़ी घर में एक बड़ा ट्रंक होता था हिन्दी साहित्य की सभी मशहूर किताबें ! आठवीं में सब पढ़ गया ! स्कूल से आने के बाद सीढ़ी घर में एक हाथ में अमरुद और एक हाथ में एक उपन्यास ! चुप चाप पढ़ना और फिर जहाँ से किताब निकाला वहीँ रख दिया !

प्लस टू में गया तो रीडर्स डाईजेस्ट ! हर दूसरा अंक में हाउ टू सेभ यूर मैरेज हा हा हा हा ..तब नहीं बुझाता था अब बुझा रहा है ;)


कॉलेज में हिंदू से परिचय हुआ ! फिर बंगलौर में नौकरी के दौरान वहाँ से छपने वाली लगभग सभी अंग्रेज़ी अखबार ! इतवार पूरा दिन रूम में बैठ कर अखबार पढ़ना ! बस !

रांची में पीजी के दौरान मेरे कमरे में लगभग सभी अंग्रेज़ी अखबार आते रहे ! इण्डिया टूडे और रीडर्स डाइजेस्ट लगभग पचीस साल से साथ में हैं ! नॉएडा गाज़ियाबाद में दस साल से हूँ ! पुरे मोहल्ले में सबसे ज्यादा अखबार मेरे यहाँ ही आता है ! अब जब सुबह में समय नहीं है तो अखबार को देर रात पढता हूँ ! पेज थ्री नहीं पढता हूँ ! पत्नी पढ़ती हैं कहाँ कहाँ डिस्काउंट लगा है देखने के लिये J

और क्या लिखूं ..अखबार पढ़िए ! जरुर पढ़िए ! एक बढ़िया चाय और दो तीन अखबार के साथ सुबह हो उसके आगे सब फेल है ! इंटरनेट कुछ ज्यादा समय ले रहा है ! टीवी - टावा कम देखता हूँ - बस न्यूज चैनल ! 

विश्वविद्यालय की सेमेस्टर एग्जाम शुरू हो चुका है ! ठण्ड भी बढ़ रही है ! ढेर सारे उपन्यास 'पाइप - लाईन' में हैं ! 

कुछ बढ़िया उपन्यास पढ़ कर - उनके बारे में यहाँ लिखना चाहता हूँ ! समय चाहिए !



रंजन ऋतुराज - इंदिरापुरम !