Friday, April 24, 2009

देश का बीमा कैसे होगा ?


देश का बीमा कैसे होगा ? किसके हाथ देश सुरक्षित रहेगा ? इतिहास कहता है - किस किस ने लूटा ! जिस जिस ने नहीं लूटा - वोह इतिहास के पन्नों से गायब हो गया ! गाँधी जी , राजेन बाबु , तिलक इत्यादी को अब कौन पढ़ना और अपनाना चाहता है ?
विनोद दुआ मेरे सब से पसंदीदा पत्रकार है ! सन १९८४ से उनको देखता आया हूँ - जब उनकी और कोट वाले प्रणय रोंय दोनों का कद लगभग बराबर होता था ! अब प्रणय रोंय के लिए विनोद दुआ एक बेहतर इमानदार ढंग से काम करते हैं !
विनोद दुआ के कल वाले प्रोग्राम में अपूर्वानंद जी आये थे - कुछ ४-५ वाक्य ही बोल पाए की समय ख़तम हो गया - जो कुछ वो बोले - बहुत सही बोले - नेता अब जनता से दूर हो गए हैं - भारतीय जनता पार्टी और खानदानी कौंग्रेस को छोड़ किसी के पास देश के लिए नीति नहीं है - बाकी के क्षेत्रीय दल बस "सियार" की भूमिका में शेर के शिकार में अपना ज्यादा से ज्यादा हिस्सा मात्र की खोज में हैं , कोई दलगत नीति नहीं है !
अब इस हाल में देश का कौन सोचेगा ? देश को एक रखने में धर्म का बहुत बड़ा रोल है ! देश का विभाजन १९४७ में धरम के आधार पर हुआ क्योंकि एक ख़ास जगह हिन्दू और मुस्लिम का जमावाडा हो गया था ! अब ऐसा लगभग नहीं है - हिन्दू मुस्लिम दोनों देश के हर प्रान्त और हर गाँव में हैं - और यही डोर देश को बंधे रखे हुयी हैं और भारतीय जनता पार्टी को भी अपनी रणनीति बदलने से मजबूर कर दी !
विकास ही हर वक़्त मुद्दा नहीं होता है - ऐसा होता तो "दलालों" से भरपूर पिछली सरकार सन २००४ में नहीं हारती ! विकास का सही मायने में अर्थ चमकता दिल्ली और बंगलुरु नहीं है - जहाँ वहां एक भाई - बड़ी गाडी में घूम रहा है और दूसरा भाई खेतों में भूखा मर रहा है ! इस मामले में सानिया गाँधी बधाई के पात्र हैं !
संजय शर्मा भैया कहते हैं - हम भारतीय भावुक होते हैं - बस , इंतज़ार है - प्रियंका गाँधी के राजनीती के मैदान में कूदने का - फिर देखियेगा ! उनका इशारा बिलकुल ही साफ़ था की कैसे फूंक फूंक के , देश को एक रखने के लिए सानिया गाँधी अपने बच्चों में परिपक्वता ला रही हैं और सही समय का इंतज़ार कररही हैं !
वोह आगे कहते हैं - क्या अडवाणी अगर प्रधान मंत्री नहीं बन पाए तो भारतीय जनता पार्टी का क्या होगा ? क्या नरेन्द्र मोदी जैसे कट्टर हिन्दू पुरे देश को स्वीकार होंगे ? क्या राजनाथ सिंह जैसे लोग बुध्दिमान अरुण जेटली को स्वीकार होंगे ? अगर आडवानी प्रधानमंत्री नहीं बन पाए तो ??? भारतीय जनता पार्टी का क्या होगा ?
देश के सुरख्सित बीमा के लिए - कौंग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों का जिन्दा रहना बेहद जरूरी है - ताकी - देश को क्षेत्रीय "सियारों" से बचाया जा सके !
रंजन ऋतुराज सिंह - इंदिरापुरम !

Thursday, April 23, 2009

रेलगाडी का अपहरण

रेलगाडी का अपहरण ! मतलब की सुन के माथा चकरा गया ! आदमी का , हवाई जहाज का पनिया जहाज का , ई सब का अपहरण सुने थे - रेलगाडी के अपहरण का आईडिया जिसके पास आया था - उसको पुरस्कार मिलाना चाहिए !
बच्चा थे त चरी सुने थे , फिर डकैती कैसे होता है सुने और देखे भी ! हम लोग का बाल बच्चा सब त जनम से ही आतंकवाद , नकसलवाद सुन रहा है ! बाबु , जमाना अडवांस हो गया है !
अब कुछ दिन में सुनियेगा की पटना का अपहरण हो गया :( एक पत्रकार बोला , बबुआ लालू जी त १५ साल से पूरा बिहार का ही अपहरण किये हुए थे ! वाह ! भाई वाह ! तले दुसर पत्रकार बोला की - महाराज ई नेता सब त पूरा देश का ही अपहरण कर लिया है ! हो गया शुरू - बहस !
ई सब लोगिक सुन के लगा की रेलगाडी का अपहरण त कुछ नहीं है :( सब कोई लुटने पर लगा हुआ -लगता है बहुत कुछ हाथ से फिसल गया ! दुःख हुआ - टेंशन में नींद आ गया !
सुबह नींद खुला त सुने की शर्मा जी का गाडी चोरी हो गया ! वाइफ बोली की - बीमा से पैसा उनको मिल जायेगा - आप जाईये और कुछ लूट कर लाईये तब घर में कुछ चूल्हा चौकी जलेगा !
बेटा सब बात चित सुन रहा था - हंसने लगा - और गाने लगा -
यह देश है वीर लुटेरों का ,
ड़कैतों का
इस देश का यारों
क्या कहना ?

Wednesday, April 22, 2009

मुसलमानों को भी जीने दो !!

अजीब तमाशा है ! बिहार के चुनाव में मुसलमानों को पेर कर रख दिया है ! नेता और मीडिया ने उनके रातों को नींद ख़राब कर दी है ! क्या किसी का गुनाह सिर्फ इसलिए हैं की वोह मुस्लमान में जनम ले लिया ? क्यों नहीं हम भी उनको अपनी तरह मानते हैं ? कितना थूक का घूँट उनको पीने पर मजबूर करेंगे !
मई ऐसा इसलिए महसूस कर रहा हूँ की ऐसा मेरी जाती के साथ भी पत्रकार और बाकी के नेता करते आ रहे हैं - वैशाली से रघुवंश बाबु खडा है - कोई पत्रकार उनकी जाती नहीं लिखेगा लेकिन उनके खिलाफ लड़ रहे - मुन्ना शुक्ल को भूमिहार बाहुबली जरुर बोला और लिखा जायेगा ! अजीब तमाशा है - भाई ? रविश जैसे पत्रकार भी खुलेआम हमला बोल देते हैं !
ऐसा लगता है की बाहुबली भूमिहारों का और नचनिया बजनिया - कायस्थों का प्रयाय्वाची शब्द बन गए हों ! वैसा ही तो मुसलमानों को भी लगता होगा ! क्या उनका वोट सिर्फ लालू-मुलायम को सता की गाडी तक पहुचने के लिए है ? क्या वोह कभी इस देश के मुख्या धरा में शामिल नहीं होंगे ? क्या हमेशा उनको वोट बैंक से ज्यादा कुछ नहीं समझा जायेगा ?
क्यों नहीं जीने देते उनको - क्यों नहीं उनको बच्चों को यह महसूस करने देते हो की वोह भी एक भारतीये हैं ? क्या गुनाह किया है उन्होंने ?

रंजन ऋतुराज सिंह - इंदिरापुरम !

Tuesday, April 21, 2009

चुनाव और लगन !!

बिहार में चुनाव और लगन दोनों का जोर है ! छपरा जिला के लौंडा के नाच और पटना के चुनाव - दोनों में कोई फरक नहीं नज़र आता है - मुझे ! अजीब हाल है - पढ़ा लिखा , नौकरी पेशा वाला जात को बस "नचनिया - बजनिया " ही अपना नेता नज़र आता है ! ये चुनाव नहीं जिद है ! दुःख होता है - चुनाव को जिद की तरह लड़ा जाता है !
बचपन का दिन याद है - चुनाव में "खड़ा" कैसे हुआ जाता है - समझ में नहीं आता था - फिर लोग चुनाव में "बैठ" कैसे जाता है ? कौंग्रेस और इंदिरा गाँधी पसंदीदा थी ! अब कभी कभी टी वी वाला सब इंदिरा गाँधी का विजुअल दिखता है तो बचपन याद आ जाता है !
चौधरी चरण सिंह ने एक बार कहा था - देश का प्रधान मंत्री - वही बन सकता है - जो दिल्ली में रहेगा ! बाबु जी हमको दिल्ली भेज दिए ! यहाँ त अजब का हिसाब किताब है - कोई नेता १००-२०० करोड़ से कम का अवकात ही नहीं रखता है ! कल रविश भाई का स्पेशल रिपोर्ट देख रहा था - मंत्र मुग्ध हो गया - रविश भाई पसंदीदा हैं - लेकिन अंत में जब वोह बिहार और अपनी जात का दरद - अपनी लेखनी में लिखते हैं तो दुःख होता है - ऊंचाई के साथ साथ आपको बहुत कुछ छोड़ना होता है ! खैर !
पहला चरण के बाद - लालू जी को पसीना आ गया फिर क्या रातों रात , कल तक उनका जूठा खाने वाले पत्रकार भी बदल गए ! नीतिश भी वैसे पत्रकारों को आँख तरेर दिया ! अब मरता दलाल - क्या न करता :(
लेकिन प्रधान मंत्री कौन बनेगा ? देवेगौडा जैसा प्रधानमंत्री बनाने से अच्छा है की साल भर के अन्दर दूसरा चुनाव ! सवाल और भी हैं ? अडवानी बाबा का क्या होगा ? उनका पार्टी का क्या होगा ? कुकुर के भांती सब लडेगा ! डूब जायेगा ! और भारतीय राजनीती को सियार सब खा जायेगा !


रंजन ऋतुराज सिंह - इंदिरापुरम !

Saturday, April 4, 2009

चुनाव स्पेशल : - देश का दुर्भाग्य !


चुनाव स्पेशल : देश का दुर्भाग्य !
मालूम नहीं कब और कैसे धीरे धीरे क्षेत्रीय राजनितिक दल दिल्ली की कुर्सी अपने अपने हाथों से हिलाने लगे और कुर्सी दिन बा दिन कमज़ोर होती गयी ! वाजपयी जी तो आंध्र के चन्द्र बाबु नायडू के शिकार बने तो मन मोहन के चारों तरफ लालू - मुलायम और पासवान जैसे लोग थे !
हम वोटर भी अजीब हैं ! लोकसभा का चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़ता देखना चाहते हैं ! साडी धोती की गठ जोड़ की तरह वोट देते हैं ! जात पात में पूरा देश बटा हुआ है ! कोई भी अछूता नहीं है ! अगर कोई खुद को कहता है की मई इस तरह के जात पात से अलग हूँ - तो वोह सफ़ेद झूठ बोलता है ! भले ही वोह ब्राहमणों के द्वारा चलाया जा रहा इंफोसिस में काम कर रहा हो या किसी न्यूज़ चैनल का खुख्यत या विख्यात पत्रकार !
बिहार में नीतिश कुमार ने ब्राह्मणों को टिकट नहीं दिया - अब देखिये - इसका दर्द रविश जैसे पत्रकार पर भी पड़ने लगा ! भले वोह मुह से नहीं करह रहे हों लेकिन दर्द तो चेहरा पर नज़र आ ही जाता है - जैसे मुहब्बत को आप छुपा नहीं सकते !
कौंग्रेस भी अजीब है - बिहार में भूंजा की तरह टिकट को बांटा है ! कभी कभी लालू की बी टीम की तरह नज़र आता है ! कहीं वोट कटवा तो कहीं परंपरा को ढ़ोने की तरह !
कुछ भी हो - हमें वोट राष्ट्रीय दलों को ही देना चाहिए ! विधान सभा चुनाव में क्षेत्रीय दल ठीक हैं लेकिन लोकसभा चुनाव में क्षेत्रीय दल को वोट देने का मतलब - आने वाले समय में देश को बांटना है !
मेरी बात से कई लोग सहमत होंगे और कई नहीं भी ! आशीष मिश्र जो अमेरिका में रहते हैं - कहते हैं - अमेरिका में रह कर मै जात पात से ज्यादा उस सरकार को देखना पसंद करूँगा जो राज्य या देश की इकोनोमी को दिशा और गती प्रदान करे - भले वोह लालू हों या नीतिश या राहुल बाबा !
वहीँ अजीत जो अमेरिका में हैं - जो बिहार के सभी पत्रकारों से हमेशा संपर्क में रहते हैं - कहते हैं - अगर मै चुनाव लडूं - तो मुझे मेरे घर वाले भी वोट नहीं देंगे ! समाज सेवा करने के और भी विकल्प हैं !
बंगुलुरु के रहने वाले श्री सर्वेश उपाध्द्याय कहते हैं - एक साफ़ सुथरी छवी वाले उम्मीदवार और राजनितिक दल ही देश को सही दिशा में ले जा सकता है ! क्षेत्रीय दल को आगे बढ़ने में राष्ट्रीय दलों की ही भूमिका रही है ! राष्ट्रीय दलों की मुध्धा विहीन राजनीती और अडवानी जैसे कमज़ोर नेतृत्व का फल है - क्षेत्रीय दल !
अब आप क्या कहते हैं ?

रंजन ऋतुराज सिंह - इंदिरापुरम !