पटना याद आ गया ! वहां एक बस स्टेशन होता था - हार्डिंग पार्क ! हम लोग रिक्शा से वहां तक पहुंचते - अभी रिक्शा रुका भी नहीं की "दलाल" चारों तरफ से घेर लेते थे ! कोई "डोलची" उठा लिया तो किसी ने रिक्शा वाला का हाथ पकड़ लिया और किसी ने धकेल के किसी बस में चढा दिया ! "लेडिज" सीट खाली होता - वहां बैठा देता और चटक से टिकट भी काट लेता ! फिर कोई "लेडिज" आती तो हमें सीट से उठा भी देता ! जिंदगी में कई अवसर ऐसे आयेंगे जहाँ आप खुद को "दलालों" के हाथ मजबूर पाएंगे ! दिल्ली का मशहूर पेशा "दलाली" है ! कहते हैं - यहाँ के "दलाल" इतने मजबूत हैं की आपको मंत्री तक बनवा सकते हैं ! ( मुझे विश्वास नहीं होता ) पर बड़े अधिकारी के इर्द गिर्द आपको दलाल जरुर मिल जायेंगे ! इनके अपने फायदे भी हैं - सही "दलाल" मिल गया तो आपका "काम" आसानी से हो सकता है ! ड्राइविंग लाइसेंस बनाने से लेकर हवाई जहाज का टिकट तक - सब कुछ दलाल के हाथों में है ! दिल्ली के स्कूल में एडमिशन में दलालों की बड़ी भूमिका है ! दिल्ली में मकान या फ्लैट आप बिना DALAL के मदद से नहीं ले सकते ! अब तो कई बड़े और इज्जतदार लोग भी "दलाली" के पेशा में आ गए हैं ! मेहनत कम और कमाई ज्यादा !
रंजन ऋतुराज सिंह - इंदिरापुरम !