( १९५३ - २००७ )
और आज बेनजीर भी चली गयीं ! अब वो खाक - ऐ - सुपुर्द हो जायेंगी ! कुछ तो वजह है - जब से पाकिस्तान का जनम हुआ - वहाँ कभी भी स्थिर सरकार नही रही और बहुत सारे राजनेता मारे गए !
हमे आज भी याद है १९९० का दौर जब उनका दुपट्टा और मुस्कान भारत मे भी काफी मशहूर हुआ था ! हम सभी उनको एक खानदानी और सभ्य महिला के रुप मे जानते थे ! उनके पिता भी काफी कड़क मिजाज थे और पाकिस्तान की राजनीती के शिकार हुए !
किसी भी राष्ट्र की तरक्की वहाँ की राजनीती स्थिरता मे है - यह बात अब पाकिस्तानी राजनेताओं को समझ लेनी चाहिऐ वरना २१ वी सदी की चाल मे वह कहीं अफगानिस्तान न बन जाएँ !एक वीर महिला को हमारा अंतिम सलाम !
रंजन ऋतुराज सिंह , नॉएडा
2 comments:
भारत को राखी बांधना चाह रही थी .ऐसे मे बचना जरा मुश्किल था . राजनेता या भावी राजनेता हूँ नही अतः मुझे गहरा धक्का लगा है ये न लिखूंगा . बकरी की तरह ही सही पर कश्मीर के आतंक पर कभी मिमियाई जरूर थी . करे कुसंग चाहे कुशल ! ये कैसे हो जाएगा भाई .
खाक - ऐ - सुपुर्द -> X
"सुपुर्द-ए-ख़ाक़"
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