टीवी पर बिहारियों को पीटाते देख थोडा सुकून हुआ ! लेकिन थोडा और हंगामा होना चाहिऐ था ! जम के ! दहशत का माहौल भी खड़ा होना चाहिऐ ! "अपना घर" बर्बाद हो रहा है और चले हैं दूसरों के घर को सजाने के लिए ! "दूसरा" हमेशा से ही दूसरा ही होता है !
ऐसी प्रतिक्रिया स्वाभाविक है ! उदाहरण के तौर पर - हम लोग करीब १०० साल से मुजफ्फरपुर शहर मे बसे हैं ! दादा-परदादा की जमींदारी थी ! घर - परिवार के लोग मुजफ्फरपुर से ही पढे लिखे हैं ! लेकिन आज तक "तिरहुत" वाले महीन लोग हमलोगों को अपना नही सके ! आज भी हम सभी "छपराहिया " ( छपरा जिला का रहने वाला ) ही कहलाते हैं ! हम भी अडे हैं - अपनी भाषा "भोजपुरी" ही बोलते हैं !
अगर आप - गाँव के रहने वाले हैं तो देखा ही होगा की किस कदर बाहर से आ कर बसे हुए लोगों को तंग किया जाता है ! खासकर " तड़का" वाले केस मे ! जहाँ " दामाद" को अपने ससुराल मे सम्पति मिलता है ! लोग अपने भागिना - नाती को अपना लेते हैं लेकिन "दामाद" को हमेशा से ही पराया समझा जाता है !
बहुत साल पहले - मैंने अपने गृह जिला "गोपालगंज" मे एक स्कूल मालिक के यहाँ गया ! वह केरल राज्य के रहने वाले थे ! उनका स्कूल काफी पैसा कम रह था ! पर स्कूल मालिक का जीवन शैली काफी निम्न था ! मैंने मजाक मजाक मे ही कुछ पूछ दिया - उन्होने जबाब दिया की - वह केरल मे एक माकन बना रहे हैं और फिर अपने माकन का फोटो दिखाया - फोटो देख कर मुझे ऐसा लगा की वह केरल मे कई करोड़ का मकान बना रहे हैं !
"बाबा" आये हुए थे - कह रहे थे की "खेत" मे काम करने को नही मिलता है - सभी के सभी "पंजाब" "दिल्ली" और गुजरात" चले जाते हैं ! पटना के एक तकनिकी कॉलेज के मालिक ने कहा - कोई पढ़ने वाला नही मिलाता है ! बिहार सरकार के एक उच्च पधाधिकारी से मेरी बात हो रही थी - बता रहे थे की पटना के सड़क पर आपको एक भी युवा नही मिलेगा ! या तो २० बरस से कम उमर वाले या फिर ४५ से ज्यादा वाले !
चलो "बिहारियों" - घर चलो ! जब हम सभी दूसरों का घर स्वर्ग बना सकते हैं तो फिर अपना क्यों नही ?
रंजन ऋतुराज सिंह , नॉएडा
6 comments:
खुद को उनकी जगह रख कर जिल्लत को महसूस कीजिए और तब फैसला कीजिए कि सही है या गलत। सड़क और ट्रेनों में पिटने वाले लोग मुंबई किसी सैर-सपाटे के लिए नहीं गए हैं, पेट की आग उन्हें वहां ले गई है। वैसे भी मुंबई, दिल्ली, पंजाब या गुजरात किसी के बा... की जागीर नहीं है, कानून ने हर हिंदुस्तानी को कहीं भी रहने-बसने का हक दे रखा है। फिर ये भेदभाव क्यों. लेकिन जितना लोग अफसोस मुंबई में परदेसियों को पिटते देख कर हुआ, उससे कहीं ज्यादा अफसोस आपके विचार जानकर हो रहा है... खुदा खैर करे...
खूब, बहुत खूब। आप ने सही स्टेण्ट लिया है। यह होना ही चाहिए।
If the same applies to Indians living abrod..they should not go there and come back to India??
While what you say is one side of the coin and correct...that does not mean any one has right to physically abuse anybody from 'outside'.
मुखिया जी ,वो लोग जो मराठी बोलना सिख गए है थोड़े न पिटा रहे है ,और जो न पिटा रहे हैं उनके ही हाथ महाराष्ट्र विकास और बिहार विकास की चाभी है .
Migration puts lot of pressure on the Local economy this is 100% correct and hence the resentement and Raj Thackray type of incident's..So what is the solution develop more urban centers so that people move to their own center's not to different states..but my only question is will a Mumbaikar be Ok if tomorrow the north indian population is replaced by people from the villages of maharastra...because the jobs created by the Mumbai economy which these north indians were doing has to be done by some one...and will our dear Mumbaikar's be Ok if North Indian's are swaped by their own Marathi people...If yes then the argument about the problem of pressure on the limited mumbai resource does not hold good...and secondly that's racism and regionalism..which again may not be good for a country..it is vexed issue and the planners should seriously work to fix this disparity before our beloved country becomes a falied state as our neighbour....remember the reason why Bangladesh split from Pakistan even being a muslim country was given a second class citizen treatment by the Pakis...India stand a chance of going through the same..What I am saying is it is not a small problem and it is high time the lopsided planning of 4-5 metros centric should be stopped and develop one metro in most of the big population states (UP, Bihar, MP and Orissa) to stop migration...if state govt is not doing it , declare that city (in those states) as center property and do the necessary changes..high time ...-Sharad
The real problem is the development of the state...but on the same token what should be the fate of millions of NRI's (marathi included) residing in US, UK and other countries...even father of the nation was in Africa...If india is so mean that it cannot tolerate people from other states, then we have an option of dividing the country, let poor states like Bihar suffer and go afghanistan or pakistan way...anyway India is a failed democracy..not sure where it is heading with these types of activities...When Bihar was not divided, the entire raw material of the state was used by TATA and other big firms to run the offices and add to the properties of cities like Mumbai and Calcutta, at that time Bihar could not say much because it thought the money is going to India not to some Mumbai or Calcutta..we were dumb at that time..we are paying the price..so dear indian..opps sorry west indian or south indian brothers, pls kill us as we have been badly led down by our politicians and hence we should suffer and die...regs to all..
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