तेरी बाहों में है जानम , मेरे जिस्म-ओ-जान पिघलते !
रंजन ऋतुराज सिंह , इंदिरापुरम
काफी दिनों के बाद शायद वर्षों बाद कल शाम "सिलसिला" देखी ! अमिताभ की कुछ चुनिन्दा फिल्मों में से एक ये भी है जिसके गीतों को मै कई हज़ार बार गुनगुना चुका हूँ ! १९८१ में जब यह रिलीज़ हुई उस वक्त शायद फ्लॉप हो गयी थी - पर संदेश और प्रेम के अनेक रूप इसमे देखने को मिलते हैं ! अमिताब गजब के स्मार्ट दिख रहे हैं वहीँ रेखा एक परफेक्ट "महबूबा" ! कुछ भी कहिये - अमिताभ की पेर्सोनालिटी के सामने बॉलीवुड के कई अभिनेता फीके नज़र आते हैं ! इस सिनेमा में कश्मीर की वादियों में अमिताभ जब रंग बिरंगे स्वेटर पहने अपनी भरी आवाज़ और लंबे कदमों से चलते नज़र आते हैं तो सिनेमा देख मज़ा आ जाता है !
कहानीकार के रूप में ख़ुद को विख्यात बनाने वाले "जावेद अख्तर " साहब इस सिनेमा में पहली बार "गाना" लिखे जिसे अमिताभ और लता दीदी ने अपनी आवाज़ दी है - " यह रात है .........यह कहाँ आ गए हम ..यूँ ही साथ चलते चलते ...." प्रख्यात संतूर वादक और वान्सुरी वादक श्री शिव और हरिप्रसाद चौरसिया जी ने संगीत क्या दिया - ये संगीत आज भी जवान है !
रेखा अमिताभ से १०-१२ साल छोटी हैं और इस सिनेमा को बनते हुए वक्त उन दोनों का प्रेम अपने चरम सीमा पर रहा होगा ! सिनेमा देख ऐसा लगता है - जैसे अमिताभ के लिए वक्त ठहर गया हो ! 36-37 वर्षीय अमिताभ सचमुच में एक मर्द नज़र आ रहे हैं - जिससे कोई भी "रेखा" निकल आए !
कहानीकार के रूप में ख़ुद को विख्यात बनाने वाले "जावेद अख्तर " साहब इस सिनेमा में पहली बार "गाना" लिखे जिसे अमिताभ और लता दीदी ने अपनी आवाज़ दी है - " यह रात है .........यह कहाँ आ गए हम ..यूँ ही साथ चलते चलते ...." प्रख्यात संतूर वादक और वान्सुरी वादक श्री शिव और हरिप्रसाद चौरसिया जी ने संगीत क्या दिया - ये संगीत आज भी जवान है !
रेखा अमिताभ से १०-१२ साल छोटी हैं और इस सिनेमा को बनते हुए वक्त उन दोनों का प्रेम अपने चरम सीमा पर रहा होगा ! सिनेमा देख ऐसा लगता है - जैसे अमिताभ के लिए वक्त ठहर गया हो ! 36-37 वर्षीय अमिताभ सचमुच में एक मर्द नज़र आ रहे हैं - जिससे कोई भी "रेखा" निकल आए !
रंजन ऋतुराज सिंह , इंदिरापुरम
2 comments:
Prem andha hota hai. Amitabh Rekha ki jodi ke aage sab jodiyan fiki hain. Amitabh ki oochaiyon ke aage sachmuch sare actor baune nazar aate hain specially SRK.
आप अच्छा सलाह बाजपेयी जी को दे गए । एक आवाज नही उठा दी कि आप पीछे पड़ गए । वैसे विहार का तकदीर संभालना सब के बस की बात नही है । लिकिन विहार में सुधार का जो माहौल है वह पयाप्त नही है । नीतिश ने लोगो के सामने काम के बजाय ठगने का काम ज्यादा किया है । विकास तो कागज पर हुई है जमीन पर तो होना अभी बाकी है
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