Thursday, February 4, 2010

भ्रष्टाचार की जरूरत !

अपूर्व शेखर जी हमसे बहस कर रहे थे – समाज में ‘क्रिमनल’ की कितनी जरुरत है ! वो दलील पर दलील दिए जा रहे थे – खास कर बिहार के सन्दर्भ में ! बढ़िया लगा !



‘क्रिमिनल’ और ‘भ्रष्टाचार’ दोनों एक ही सिक्के के पहलू हैं! चलिए पहले गौर फरमाते हैं – ‘भ्रष्टाचार’ कितना जरुरी है ! बात २००४ की रही होगी – अचानक पटना जाने की जरुरत आ पडी ! सुबह सुबह , नॉएडा के रेलवे टिकट काउंटर पर गया तो भीड़ देख ‘माथा’ घूम गया ! होली का टाइम था ! किसी तरह – ‘पूछ-ताछ’ वाले काउंटर पर पहुंचा – धीरे से बोला – पटना जाना है  एकदम गाय की तरह मुह लटकाए हुए ! काउंटर वाला बोला – ‘हो जायेगा’ ! हम बोले आज के गाड़ी का ! ‘हो जायेगा’ - ‘गौहाटी राजधानी चलेगा ! हम बोले – चलेगा नहीं – दौडेगा ! टिकट मिल गया ! वैसे वहाँ ‘नो रूम’ दिखा रहा था ! बहुत इमरजेंसी था ! अगर ‘भ्रष्टाचार’ नहीं होता – तो हम सपरिवार – दो छोटे छोटे बच्चों के साथ कैसे पटना जाते ! उस ज़माने में – पैसा होते हुए भी मन से ‘हवाई जहाज’ की यात्रा का अवकात नहीं था !



आप सभी के जिंदगी में ऐसे कई अवसर आये हुए होंगे जहाँ ‘भ्रष्टाचार’ के कारण आपको सहूलियत हुयी होगी और आप मन ही मन ‘भ्रष्ट’ अधिकारिओं को दुआ दिए होंगे ! बिहार में ट्रांसफर – पोस्टिंग बड़े बड़े लोगों का एक व्यवसाय है ! अगर यहाँ ‘ भ्रष्टाचार’ ना हो तो – कई चाचा – मामा –लोग प्रतिभा रहते हुए भी ‘झुमरी तिलैया’ जैसे जगहों में जिंदगी गुजार दें ! ‘भष्टाचार’ के कारण ही कई प्रतिभावान लोग राजधानी का मुह देख लेते हैं ! ‘ट्रांसफर-पोस्टिंग’ के समय बिलकुल ही कॉर्पोरेट की तरह ‘भ्रष्टाचारी’ काम करने लगते हैं – एक बड़ा आदमी सौ-पचास का ठीक लेता है फिर खुद वो अपने अंदर डीलर की नियुक्ति करता है और ये डीलर जरुरतमंद और प्रतिभावान ‘अधिकारिओं-इंजिनियर इत्यादीओं को खोज उनसे दाम तय कर के – उनका काम करवाता है ! कई डिपार्टमेंट में देखा गया है की ‘दाम’ में कोई मोल भाव नहीं होता ! दुकानों की तरह – ‘मोल भाव कर हमें लज्जित न करें ‘ !

मेरा यह भरपूर मानना है की – अगर ‘भ्रष्टाचार’ न हो तो – को ‘बाबू’ आपकी फाईल कई वर्षों तक न देखे ! वो तो ‘भ्रष्टाचार’ ही है की आपका कोई रुका काम जल्द से जल्द हो जाता है ! ऐसे लोग ओवर टाईम काम करते हैं – घरों को दफ्तर बना – आपकी जिंदगी महफूज करते हैं !



भ्रष्टाचार के कारण सरकार बनती है – कई बार गिरने से बचती है – देश में ऐसे ‘भ्रष्टाचार’ के कारण ‘राजनितिक स्थिरता आती है जिसका लाभ समाज का हर वर्ग उठता है ! वर्ना आदमी अपने पावर के गुनाम में – न जाने क्या कर बैठे ! वो तो ‘भ्रष्टाचार’ ही जो उसको कुछ काम करने पर मजबूर कर देता है !

 


भ्रष्टाचार से सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढती है ! बाल बच्चों की अच्छी शादी बियाह हो जाती हैं – वरना भूखे नंगे ईमानदार की बेटी से कौन नौजवान बियाह करेगा ?



विशेष , आप लोग भी अपनी प्रतिक्रिया दें ....!




रंजन ऋतुराज सिंह - इंदिरापुरम !

7 comments:

Fighter Jet said...

jai ho bhratachar aur bhrastachari kaa...magar lakh matha khujlane ke baad bhi ye baat samjh nahi aati ki kaise bhrastachar ke bine bhi 'wesetrn world' me kaise chote mote kam apne aap ho jate !

Anonymous said...

aapko padhkar ghaalib kaa sher yad a gayaa...

Dil bahlaane ko ghaalib khayaal acchhaa hai...

yaa phir...

Angoor naa mile to khatte hain...

Arun sathi said...

रंजन जी बात तो आपने ठीक ही कही है सचाई भी यही है पर बात को थोड़ी और गंभीरता की जरूरत है। यह मुददा ऐसा है जो देश को खोखला कर रहा है बात एक रूप्ये के लेन देन से आगे बढ़ कर 1000करोड़ से आगे चली गई है,,,

अरबिंद मिश्र said...

हम अपने बच्चों को चॉकलेट का लालच दे कर 'रंजन अंकल' को हेलो कहवाते हैं और ऐसे बच्चे जब बड़े हो जाएँ तो उनसे ईमानदारी की उम्मीद लगते हैं| बहुत अन्याय है| शत प्रतिशत सहमत हूँ रंजन जी आपसे|

Unknown said...

To be very frank, Bharat ki adhikaansh aabadi bahut bhaari hypocrites hai..Kehne ke liye bade bade dialogues hain per karni dhele bhar ki nahin,,,Itni high level ki integrity namumkin lagtai..shayad yehi hamari maansikta hai,,,Aisa koi bhi vyakti nahi hoga jisne kabhi bhi bhrastachaar ka sahara nahi liya hoga,,aapka dalaan sampurna roop se unhi ko samarpit ya yun keh lein hami ko samarpit.
:-)))

Unknown said...

मगर अब क्या होगा! अब तो सुना है ईमानदारी के सर्टिफिकेट इशु हुआ करेंगे, जंतर मंतर से.

Niraj Shahi said...

Its a good satirical article but seriously you can NOT make a case for corruption. For every point you have made, I can give a rebuttal and argue that corruption is necessarily not a good way to tackle those issues. In fact it brings lack of trust in the society and slows down growth and morale of the society. This is the reason behind this uprising you see across India because people are smart and they know this is not the way to go..
/Niraj