ये पांच साल पुरानी तस्वीर है ! ठीक पांच साल पुरानी ! यह तस्वीर अब और बड़ी हो चुकी है ! नितीश और बड़े होकर निकले ! जनता के पास और कोई उपाय नहीं था ! विकल्पहीनता के बेताज बादशाह को इस बार फिर 'ताज और राज' मिला !
बिहार का स्वर्णीम काल चल रहा है या नहीं - ये मुझे नहीं पता पर् 'नितीश कुमार' पर् 'समय' इस कदर मेहरबान है की वो एक साथ अपने कई दोस्तों और दुश्मनों को अपनी और उनकी अवकात दिखा दिया ! इनकी जीत में विकास से ज्यादा कुछ और फैक्टर है - और सबसे बड़ा फैक्टर है - "ईबीसी और एमबीसी" वोट का लालू से नितीश के तरफ शिफ्ट करना ! यहाँ नितीश उनका 'विश्वास' जीतने में सफल हुए !
इस बार नितीश कुमार के सामने कई और चैलेन्ज होंगे ! उनका ड्रीम कानून - "बटाईदार कानून" के साथ वो क्या करेंगे - यह देखना होगा ! क्या इस बार भी वो 'नालंदा और अपनी जाति' के लोगों को मलाईदार पदों पर् बैठाएंगे ? सवर्णों के प्रती उनका क्या रवैया रहेगा ?
नितीश तो उस दिन ही जीत गए थे - जिस दिन 'दिग्विजय बाबु' का देहांत हो गया था और लालू ने रघुवंश बाबु को मुख्यमंत्री के रूप में आगे नहीं बढ़ाया .....बाकी की सभी चीज़ें खानापूर्ती थी !
अंततः ...नितीश मोदी ..बिहार को एक नयी छवी देंगे ..इन्ही आशाओं के साथ ....
2 comments:
रंजन जी, बड़े ही अरसे से छिटपुट आपकी इ मेल्स, आपके ब्लोग्स एवं मैसेज पढ़ रहा हु. कभी भी नियमित नहीं रहा, पर जब भी पढ़ा, काफी पसंद किया.
उम्र में तो आपसे काफी छोटा हु, और दुनिया का तो नहीं पता, पर बिहार आपके मुकाबले कम ही देखा है. आपके मैसेज में शुरू शुरू में नितीश जी के लिए आदर भी देखा था, और अब हिकारत भी देख रहा हु. इक बात जो मैंने गौर की है, वो ये है कि ज्यादा दुःख आपको विकास के धीमी गति से होने के मुकाबले, अगड़ी जातियो के खासकर आपकी जाति के राजनीती में हाशिये पे जाने से हुआ है! मै नितीश जी का समर्थक तब भी था जब वे लालू जी से बिहार को बचने कि लड़ाई लड़ रहे थे. (मै किसी का भी समर्थक था जो लालू जी से लड़ रहा था!) विकास वाकई २००५ से २०१० में जिस गति से होना चाहिए था, उस गति से नहीं हो पाया, इसका सारा ठीकरा आप नितीश जी के ही माथे पे फोड़ के अच्छा नहीं करते. और इसमें सिर्फ आपके अपनी जाति के हाशिये पे चला जाना ही इक कारण दीखता है मुझे. हर साल मै इक बार कम से कम बिहार का चक्कर जरुर लगता हु और पारिवारिक कमिटमेंट्स कि वजह से लगभग पूरा बिहार ही घूमना पड़ता है! और मै ये जरुर कहूँगा कि सड़के वाकई बेहतरीन दिखी. मुजे ८९ से पहले का भी जमाना याद है, और ये सड़के उससे ज्यादा अच्छी थी. आप ये कहते है कि नितीश ने कांग्रेस कि सडको को रेपैयर किया! फिर तो ये भी कह सकते है कि अंग्रेजो कि सडको को रेपयेर किया! आप कुर्मी जाति के लोगो को नितीश के द्वारा आगे बदने कि बात करते है, पर मुजे उनसे ज्यादा तो भूमिहार अफसर आगे दीखते हैं! इक भी नेता बिहार का बता दीजिये जिसने नितीश कि तरह अपने परिवार को सत्ता से दूर रखा हो? आप के अपने विवरण ( मेरा गाँव, मेरा देश) में ही आप अपने परिवार के सत्ता केन्द्रित संबंधो कि बड़ी बारीकी से जानकारी दे रहे हैं, क्या नितीश जी ने अपने बेटे को प्रचार प्रसार में इन्वोल्व किया, जिस तरह से आपके दादाजी आपको करते थे? नितीश जी के ही सिर्फ विकास केन्द्रित होने से बिहार आगे नहीं बढता, हम सभी लोगो का होना जरुरी है. आपका ब्लॉग बहुत बढ़िया है और मै आपको, आपके ब्लॉग को बहुत पसंद करता हु, पर इसे कृपया अगड़ी जातिओ का ब्लॉग मत बनाइये! बिहार का ब्लॉग बनाइये! आप इस चुनाव में भी ebc obc ढूंड रहे है..मुझे तो इसमें विकास फैक्टर ही दिख रहा है..शायद मै गलत हु..पर कल के बिहार और कल के भारत के लिए यही जरुरी है कि लोग इन सरे फैक्टरो से ऊपर उठे एवं विकास का ही फैक्टर देखे!
लागता है नितीश जी के बारे में आप बहुत कम जानकारी रखते हैं :)) कोई नहीं !!
नितीश कुमार को मैंने बधाई दे दिया है !!
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