Monday, February 10, 2014

हे ..ऋतुराज ...


हे ऋतुराज वसंत ...
कौन दिशा आते हो ...
शिशिर के घमंड को तोड़...
किस रंग में हमें रंग जाते हो ...
हे ऋतुराज वसंत ...
तेरे आने की खबर हमें कौन दे जाता है ...
खेतों में लहलहाते सरसों के फूल ...
या कोयल की मधुर बोल ...
"हे ऋतुराज वसंत ...
तुम्हारे इंतज़ार में ...ठिठुरती धरती भी ...
तेरे आगमन से...थोडा इठलाती है ...
परागों के यौवन को देख ...'प्रकृती' भौरों में समा जाती है ..."
~  
रंजन ऋतुराज 

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