बिहार में नितीश राज के दस साल होने वाले हैं ! कुछ नौ महीने श्री जीतन राम मांझी के भी रहे , जो की उनके अनर्गल बयानों , विवादित कुंठीत सरकारी कर्म कर्मचारीओं के प्रोमोशन और परदे के पीछे कई कांडो के कारण बदनाम रहा !
अब सवाल उठता है - नितीश ने क्या किया और क्या नहीं किया ! नितीश ने जो कुछ भी साढ़े सात साल किया या नहीं किया , उसमे भाजपा भी शामिल रही है !
मुझे अपने एक दोस्त संतोष के द्वारा वर्षों पहले कही गयी एक बात याद आती है - ' किसी भी राष्ट्र , राज्य , इलाका , धर्म , जाति या परिवार के फॉरवर्ड / एडवांस होने का एक मात्र पैमाना है - वहां की औरतों / बेटी / बहु को कितने अधिकार मिले हुए हैं या उनका सामाजिक स्तर क्या है ' !
नितीश जिस इलाका / समाज / जाति से आते हैं , वहां के मिडिल क्लास में औरतों को लगभग पुरुषों के बराबर का अधिकार मिला हुआ है ! और इंसान जब शक्तीशाली होता है तब वह जिस समाज से आता है उसकी विशेषताओं को फैलाना चाहता है ! नितीश ने लगभग यही किया !
आज पटना का कोई ऐसा मिडिल क्लास का परिवार नहीं है , जहाँ बेटी को स्कूटी / स्कूटर नहीं मिला हुआ है ! आप किसी भी गली मोहल्ले में चले जाईये आपको किसी कोचिंग से ठहाका लगाते , अपने कंधे पर झोला लटकाए और अपने सपनों को उड़ान भरते हुए लड़कियाँ मिल जायेंगी ! यह परिवर्तन 'बॉटम - अप ' हुआ ! नितीश ने गाँव के हाई स्कूलों में पढ़ने वाली हर बेटी को साईकिल दिया ! जो बाप अपनी बहन को स्कूल जाने से रोकता था , वही बाप अपनी बेटी को साईकिल सिखाते नज़र आया !
सुबह नौ बजे गाँव की सडकों पर जब एक साथ बीस पच्चीस लड़कियाँ साईकिल पर सवार होकर स्कूल के लिए निकलती हैं , कोई भी संवेदनशील प्राणी का ह्रदय भर आएगा ! सपने पुरे होंगे या नहीं वो बाद की बात है , सपने आये तो सही ..यह एक जबरदस्त सामाजिक क्रांती थी , जिसका भरपूर फायदा नितीश कुमार - भाजपा की सरकार को नवम्बर 2010 में मिला ! जैसा की मैंने कहा - यह क्रांती ' बॉटम - अप ' था सो गाँव से शहर में भी आया ! कल तक जो सपने समाज के अभिजात वर्ग के महिलाओं के लिए थे , वो सपने धरातल पर फ़ैल कर हर किसी के लिए हो चला था !
बिहार बदलने लगा ...अखबार सकरात्मक होने लगे ...नितीश ने दूसरा एक बहुत बढ़िया काम किया , वो है 'सड़क निर्माण' ! गाँव गाँव सड़क बनवा दिया ! उदहारण के लिए , पटना से मेरा गाँव मात्र सौ किलोमीटर के एरियल डिस्टेंस पर है , लेकिन गाँव जाने में छः - सात घंटे लग जाते थे ! आज के तारीख में मुझे अपने गाँव पहुँचने के कई रास्ते हैं !
नितीश का स्लोगन ही था , राजधानी पटना से बिहार के किसी भी जिला मुख्यालय में पहुँचने में मात्र - पांच घंटे लगाने चाहिए और बहुत हद तक उनका सपना साकार नज़र आ रहा है !
इसके कई फायदे हुए , समाज का मिडिल और अपर मिडिल क्लास शहर के साथ साथ गाँव में भी बढ़िया घर बनाने लगा ! आप अपनी कार उठा , किसी भी मुख्या सड़क पर निकल जाईये , सड़क किनारे आपको कई गाँव और उन गाँव में एक से बढ़कर एक बढ़िया मकान नज़र आयेंगे ! हर एक बढ़िया गाँव में पचास लाख , एक करोड़ तक के घर नज़र आ जायेंगे !
इस सड़क निर्माण का दूसरा असर यह है की - अब हर घर में 'महिन्द्रा' के जीप नज़र आ जायेंगे ! पंचायत सदस्य से लेकर लोकसभा सांसद तक , सबके पास महिंद्रा कंपनी की 'स्कार्पियो' कार है ! बिहार के कोने कोने से औसतन हर दिन पटना में लगभग पांच हज़ार स्कार्पियो प्रवेश करती है ! पटना ठसमठेल रहता है !
ग्रामीण विकास का नतीजा यह है की जिला मुख्यालय भले ना पनप पायें हों पर छोटे मोटे कसबे में बहुत पैसा हो गया ! पिछले दस साल में सिर्फ केंद्र सरकार से बिहार के विभिन्न योजनाओं में करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपैये आये ! यह पैसा विकास के साथ साथ , जिस जिस हाथों से गुजरा - उन उन हाथों को मजबूत बनाया
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अब यह आपका नसीब - आपके हाथ कितना आया लेकिन धरातल पर भी काम हुआ ! छोटे - मोटे कस्बे / प्रखंड में कई करोडपति नज़र आयेंगे , ठीकेदार से लेकर डॉक्टर तक ! सेमी अरबन इलाकों के प्रमुख डॉक्टर / फिजिसियन की कमाई लगभग पांच लाख रुपैये प्रतिमाह से ज्यादा है , जो पटना - मुज़फ्फरपुर इत्यादी प्रमुख शहरों के डॉक्टर्स की औसत कमाई से बहुत ज्यादा है ! यही हाल अन्यों का है ! सरकारी 'कर - कर्मचारी' भी फिल्ड पोस्टिंग के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार थे / हैं ! ( फिल्ड पोस्टिंग - छोटे शहर में पोस्टिंग ) क्योंकी सारा मलाई उधर ही बह रहा था !
बढ़िया सड़क और नए सड़क के चलते कई खेत सड़क किनारे हो गए जिसके चलते अचानक से कई खेतों का दाम भी बहुत बढ़ा , लेकिन उसी रफ़्तार में अन्य विकास नहीं होने से दाम घटा भी !
एक और बढ़िया चीज़ हुई , उद्योग / बिजनेस के नाम पर - हर बड़े शहर से लेकर छोटे शहर तक - ऑटोमोबाईल्स की एजेंसी खुल गयी और आज बिहार में यही ऑटोमोबाईल एजेंसी वाले नए 'कुबेरपति' है ! पेज थ्री आइटम से लेकर , हर कोई इनसे दोस्ती करना चाहता है ! अधिकतर चालीस / पैंतीस से कम उम्र के लडके हैं , जिनके बिजनेस में सरकारी कर कर्मचारी के पैसे लगे होते हैं ! पर , विकास नज़र आता है ! हर शहर के बाईपास पर बड़े बड़े शो रूम ! अब पचायत सदस्य भी अपनी बेटी को शादी के बाद किसी बड़े चार पहिया में विदा कर रहा है !
टैक्सपेयर का गाढ़ी कमाई ...हर तबके में बराबर बंट रहा है ...थोडा सड़क निर्माण हो रहा है ...थोडा इंजिनियर / ठीकेदार साहब का छत भी ढला रहा है ...:))
बिहार बदलने लगा ...अखबार छपने लगा ...
इस सीरिज के पहले हिस्से के पहले पैरा में ही कुछ बातें हैं , ध्यान से पढियेगा ! मै कोई भाजपा - नितीश - लालू नहीं कर रहा , बल्की चीज़ों को अपनी नज़र से देख रहा हूँ ! इसमे कोई दो राय नहीं की अगर बिहार की राजनीति एक दुल्हन है तो नितीश से बढ़िया कोई दुल्हा नहीं ! अब येन सिन्दूर दान के वक़्त दुल्हा बेवडा होकर भाग जाए तो यह एक दुर्भाग्य ही है , ऐसे मौकों पर बाराती में से ही किसी अन्य को खोज दुल्हन का सिंदूरदान करवा दिया जाए तो यह कोई मेल भी नहीं !
नितीश ने ग्रामीण विकास पर जोर तो दिया पर शहर बुरी तरह नेगलेक्ट हो गए ! शहर विकास के नाम पर इनके पास कुछ नहीं था ! हर चुनावी घोषणा पत्र में 'ग्रेटर पटना' की बात हुई पर हुआ कुछ नहीं ! मिडिल और अपर मिडिल क्लास को देने के लिए इनके झोली में कुछ नहीं था ! कुछ एक ओवरब्रिज बना देना ही विकास नहीं होता है !
समाजवादी और कम्युनिस्ट नेताओं का यह जबरदस्त भ्रम रहता है की जो कल गरीब था वो आज भी गरीब है और वो कल भी गरीब रहेगा ! जबकी पिछले पच्चीस साल में देश के हर तबके , जाति , समाज के जीवन स्तर में जबरदस्त सुधार आया है और जो कौमें मेहनतकाश हैं वो तो आसमान छू रही हैं ! हर जाति के लोग मिडिल क्लास / अपर मिडिल क्लास में प्रवेश किये हैं ! और आप जैसे ही एक ऑर्बिट से दुसरे ऑर्बिट में प्रवेश करते हैं , आपकी कई जरूरते और आदतें बदल जाती है ! यही वो क्लास है जो सबसे ज्यादा टैक्स पे करता है !
उदहारण के लिए , पटना में कहीं भी , कोई भी एक कॉफ़ी हॉउस नहीं है जहाँ कुछ बुद्धिजीवी वर्ग एक जगह बैठ कर कुछ बहस कर सकें ! मिडिल क्लास की बहुत सारी जरूरतें होती हैं - बच्चों के लिए बढ़िया स्कूल , पार्क से लेकर एक बड़ा मॉल तक ! उसको अपनी कार पार्किंग के लिए भी जगह चाहिए ! इस क्लास को बहुत कुछ चाहिए !
नितीश यहाँ बुरी तरह फेल हैं ! जिस बाज़ार से मेरी नानी अपने लिए चूड़ी खरीदती थीं , उसी बाज़ार से मेरी बेटी भी अपने लिए चूड़ी खरीद रही है - यह एक जबरदस्त दुर्भाग्य है ! देश के दुसरे राजधानी मसलन रायपुर , रांची , भुवनेश्वर कहाँ से कहाँ पहुँच गए पर पटना वहीँ खडा है - कंकडबाग में ! हद हाल है !
और यही वजह है की बिहार से पलायन नहीं रुका ! आज भी ट्रेन / प्लेन पकड़ के बाहर कमाना एक स्टेटस सिम्बल है ! आदमी वही है , जगह बदल गया तो वो राजा बन गया , बिहार में रह गया तो गर्त में समा गया !
कुछ नहीं करना था , बस पटना के आस पास एक हज़ार एकड़ ज़मीन एक्वायर कर के , वहां आधा में आईटी पार्क बना देना था और आधा को बिल्डर में बाँट देना था ! बस आईटी पार्क में देश के कोने कोने से लोग आते , अपने साथ अपनी सभ्यता लाते , कुछ कमाते - कुछ खर्च करते और वहीँ से बिहार में एक 'सिविक सेन्स' शुरू होता !
मालूम नहीं ये सामाजिक क्रांती के नाम पर चलने वाली राजनीति में और कितने पीढी बर्बाद होंगे ....
शक्ती अंधा बना देती है ! इंसान अपने कानो पर ज्यादा भरोसा करने लगता है ! पर यह गलत है , कई बार देश , राज्य , परिवार या किसी रिश्ते के हित में अपने अहंकार को झुका देना होता है ! इंसान तो इंसान ही है - गलती करेगा ही करेगा !
और यहीं नितीश मात खा गए ! शेर के इर्द गिर्द भेड़िये बैठे होते हैं , पहले वो शेर के जूठे खाते हैं और एक दिन शेर को ही खाने के फ़िराक में होते हैं ! यही कुछ नितीश के साथ हुआ ! एक गलती कर बैठे - राज्य के विकास को रोक भाजपा से अलग हो गए ! फिर दूसरी गलती मांझी जैसे मंझे हुए खिलाड़ी को मुख्यमंत्री बना कर ! फिर तीसरी गलती लालू से दोस्ती ! पिछले दो साल में पूरा बिहार चरमरा गया , लड़की लोग का शिक्षा - सड़क निर्माण - प्रशासन सब का सब बैठते चला गया !
पिछले लोकसभा चुनाव में कुछ एक जगह मै घुमा ! लोगों का यही कहना था - लोकसभा में नरेन्द्र मोदी को वोट देंगे और विधानसभा में नितीश कुमार को ! नितीश भय में चले गए - लोकसभा चुनाव में भाजपा की जबरदस्त जीत ने उनके कॉन्फिडेंस को हिला कर रख दिया और आस पास 'भेडिये' बैठे ही हुए थे - हाथ मिलवा दिया लालू से !
आज के दिन में लालू के पास अपनी जाति को छोड़ कोई वोट बैंक नहीं है , मुझे यह भी शक है की उनकी खुद की जाति के नौजवान भी उनको वोट नहीं देंगे ! नितीश खुद को ज़िंदा करने के चक्कर में लालू को ज़िंदा करने लगे !
अकेला रहना कहीं भी गलत नही है - कई बार आपके अकेलेपन को भी इज्जत मिलती है पर किसी गलत से हाथ मिला लेना , यह गलत है ! लोग आपके व्यक्तित्व पर ही सवाल उठाने लगते हैं !
लालू और मांझी ने प्रशासन का जो हाल किया है वो किसी से छुपा नहीं , नितीश को इसको संभालते - संभालते देर हो गयी ! भाजपा विपक्ष में है - वो तो चाहेगी ही की नितीश से गलती हो ! हर कोई संजय नहीं होता जो बंद कमरे से भी महाभारत का हाल देख ले ! नितीश जिस जुबान पर भरोसा किये वो सारी जुबाने उन्हें कुएं में धकेलने के लिए बैठी थी !
भाजपा के साथ वो शेर थे , लालू के साथ वो दरिद्र बनते नज़र आ रहे थे !
अभी भी वक़्त है - अगर वो अकेले चलेंगे - बिहार की जनता उनको चुन सकती है ! रवि शंकर प्रसाद , सुशील मोदी से काफी बेहतर नेतृतव देने की क्षमता नितीश के पास है !
@RR
2 comments:
Excellent!
एक बात में आप से पूर्ण सहमति है कि बिहार की सँस्कृति मे बदलाव हेतू एक IT पार्क जैसा कुछ किया जाना चाहिए था !
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