जब से हिन्दी मे ब्लोग लिखना शुरू किया हूँ , हर रोज -हर वक़्त सब से यही पूछता रहता हूँ - क्या , आप ने मेरा "दालान" पढा ? साथ ही साथ यह भी आशा करता हूँ को वह आदमी मेरे "दालान" कि बड़ाई मेरे सामने करेगा ! अपना "बड़ाई" सुनने के लिए आदमी क्या कुछ नही करता है ! कई दोस्त मुझे झेल जाते हैं ! दोस्ती को लिहाज रखते हुए "दालान" पढ़ना पङता है ! फिर वह गाली देते हैं कि - मुखिया को कितना टाइम है ! मुझे पता है - ऐसे लोग ज्वलनशील होते हैं ! मुखिया का एक ब्लोग उनको बर्दास्त नही होता है ! बहुत दुःख कि बात है ! खैर - कोई बात नही - कसाई के श्राप से गाय थोडे ही मरती है !
१८-१९ साल से लिखता आ रहा हूँ ! पहले हिन्दी समाचार पत्रों मे लिखता था ! अब इलेक्ट्रोनिक दुनिया मे लिखता हूँ ! ज़िंदगी के हर अनुभव से गुजरा हूँ ! कल्पना शक्ति काफी मजबूत है ! जो पल जिन्दगी मे नही आये - उनकी कल्पना कर सकता हूँ - शायद यही सोच "कुछ लोग" मुझे अजीब नज़र से देखते हैं ! जैसे मैं पटना का कोई "लोफर" हूँ और बालकोनी से उनकी धरमपतनी पर बुरी नज़र रख रहा हूँ !
भाषा कमज़ोर है - साहित्य नही ! बहुत लोग भाषा और साहित्य को एक साथ देखते हैं ! मैं ऐसा नही मानता हूँ ! क्या सुन्दर लड़की होने के लिए "कुंवारा" होना जरुरी है , क्या ? मैं अपने साहित्य मे भाषा का कौमार्य भंग नही किया है !
11 comments:
हाँ भाई देख लिया
आप लिखिये, जरूर पढ़ा जायेगा। बस ऐसा लिखिये जो उपयोगी हो, रुचिकर हो, ज्ञानवर्धक हो। अवश्य पढ़ा जायेगा।
पढ़ लिया है और टिप्पया दिया है.
abhi turat padhe hain mukhiya jee
ओ जी, आप टैंशन मत लो, लिखते रहो। कोई न कोई तो फंसेगा पढ़ने को। :)
क्या हुआ भाई? परेशान से दिखे. जारी रखें अपना निरंतर लेखन. शुभकामनायें.
bhai kya kahe..sirf ek hi sabda hai mere paas...WAAH!
Jabardast likhte hai aap. :)
"जैसे मैं पटना का कोई "लोफर" हूँ और बालकोनी से उनकी धरमपतनी पर बुरी नज़र रख रहा हूँ !"
Dekhiye Patna ke baare me aise likhiyega to hum log aandolan shuru kar denge. Aap koi aur city ka naam likhiye (non-Bihari City).
ज्यादा??? मैं आपसे ये शिक़ायत करने वाला था कि आप इतना कम क्यों लिखतें हैं?
Manoj
मुखिया जी, रउआ लिखत रहीं, हमनी सब के सपोर्ट रउआ संगे बा.
This theme is simply matchless :), it is interesting to me)))
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