मुझे यह नही पता नही था या इसका यह अहसास नही था की यह "ब्लॉग" की चर्चा मे पुरा देश लपेट मे आ जाएगा ! अखबार मे पहले पृष्ठ पर "जाति गत" गमले देख मैं स्तब्ध रह गया !
मैं शर्मिंदा हूँ अपने उन पाठकों से - अपने बचपन के दोस्तों से और अपने साथ वालों से की जति के जहर पर चर्चा ने सब के मुह को बेस्वाद किया ! हम सभी पत्रकार नही है - हमारी आवाज़ "हिंदुस्तान दैनिक" मे नही उठ सकती है - हमारे पीछे कोई राज नेता नही है ! और न ही हम सभी कोई दवा कम्पनी के "दलाल" हैं ! न ही किसी राजनेता के इशारे पर कर रहे हैं और न ही किसी "दवा कम्पनी " से उगाही का इरादा है !
दुःख सिर्फ़ यह हुआ की "दवा के व्यापार " को जति से जोड़ दिया गया ! ठीक कुछ महीनों पहले उक्त 'कथित पत्रकार' ने एक रिपोर्ट मे आईडिया कम्पनी के प्रचार को जोर शोर से दिखाया - वह वही प्रचार था जिसमे एक खास जति को लड़ते हुए दिखाया गया ! ये वही कथित पत्रकार है - जिनके रिपोर्ट से बाकी दुनिया जानी ! उसके पहले "कथित पत्रकार" ने उपन्यास लिखने के दौरान लगातार एक खास जाती को निशाना बनते चले गए ! उसी दौरान - बिहार के एक बाहुबली विधायक पर न्यूज़ रूम से लेकर कैमेरामन तक एक साजिश रची और फलस्वरूप खुलेआम न्यूज़ रूम से खास जाति को बाहुबली विधायक से जोड़ दिया गया ! किसी भी ब्रह्मण के लिए यह कितना कष्ट दायक होगा जब हम यहाँ दिल्ली मे बैठे - यह घोषित कर देन की बिहार के सबसे कुख्यात अपराधी "सतीश पण्डे" को पूरे ब्रह्मण समाज का आशीर्वाद प्राप्त है - यह सरासर अन्याय होगा ! जबकि पुरा बिहार जनता है की सतीश पण्डे एक खास जाति के खून के प्यासे हैं और वह जितने खुद कर चुके है - उसमे अधिकतर एक खास जाती के ही निर्दोष लोग हैं ! अगर "जातिये दुराग्रह " पर आधारित ऐसे आरोप भारत के प्रतिभाओं को गाली देना होगा ! देश मे आज भी कई एक से बढ़ कर एक प्रतिभावान "ब्रह्मण" हैं ! कहाँ भी जाता है - देश को तीन ब्रह्मण चला रहे हैं - तमिल ब्रह्मण , कश्मीरी ब्रह्मण और मैथिल ब्रह्मण ! क्योंकि इनसे तेज कोई जाति नही है ! पर सतीश पांडे जैसे अपराधी को भारत के समस्त ब्राहमणों से जोड़ कर देखना कितना उचित होगा ? ठीक उसी तरह किसी दवा व्यापारी को , किसी बाहुबली विधायक को या किसी पत्रकार को जाति की नज़रों से देखना किसी भी पढे लिखे इंसान को शोभा नही देता है !
मैं शर्मिंदा हूँ अपने उन पाठकों से - अपने बचपन के दोस्तों से और अपने साथ वालों से की जति के जहर पर चर्चा ने सब के मुह को बेस्वाद किया ! हम सभी पत्रकार नही है - हमारी आवाज़ "हिंदुस्तान दैनिक" मे नही उठ सकती है - हमारे पीछे कोई राज नेता नही है ! और न ही हम सभी कोई दवा कम्पनी के "दलाल" हैं ! न ही किसी राजनेता के इशारे पर कर रहे हैं और न ही किसी "दवा कम्पनी " से उगाही का इरादा है !
दुःख सिर्फ़ यह हुआ की "दवा के व्यापार " को जति से जोड़ दिया गया ! ठीक कुछ महीनों पहले उक्त 'कथित पत्रकार' ने एक रिपोर्ट मे आईडिया कम्पनी के प्रचार को जोर शोर से दिखाया - वह वही प्रचार था जिसमे एक खास जति को लड़ते हुए दिखाया गया ! ये वही कथित पत्रकार है - जिनके रिपोर्ट से बाकी दुनिया जानी ! उसके पहले "कथित पत्रकार" ने उपन्यास लिखने के दौरान लगातार एक खास जाती को निशाना बनते चले गए ! उसी दौरान - बिहार के एक बाहुबली विधायक पर न्यूज़ रूम से लेकर कैमेरामन तक एक साजिश रची और फलस्वरूप खुलेआम न्यूज़ रूम से खास जाति को बाहुबली विधायक से जोड़ दिया गया ! किसी भी ब्रह्मण के लिए यह कितना कष्ट दायक होगा जब हम यहाँ दिल्ली मे बैठे - यह घोषित कर देन की बिहार के सबसे कुख्यात अपराधी "सतीश पण्डे" को पूरे ब्रह्मण समाज का आशीर्वाद प्राप्त है - यह सरासर अन्याय होगा ! जबकि पुरा बिहार जनता है की सतीश पण्डे एक खास जाति के खून के प्यासे हैं और वह जितने खुद कर चुके है - उसमे अधिकतर एक खास जाती के ही निर्दोष लोग हैं ! अगर "जातिये दुराग्रह " पर आधारित ऐसे आरोप भारत के प्रतिभाओं को गाली देना होगा ! देश मे आज भी कई एक से बढ़ कर एक प्रतिभावान "ब्रह्मण" हैं ! कहाँ भी जाता है - देश को तीन ब्रह्मण चला रहे हैं - तमिल ब्रह्मण , कश्मीरी ब्रह्मण और मैथिल ब्रह्मण ! क्योंकि इनसे तेज कोई जाति नही है ! पर सतीश पांडे जैसे अपराधी को भारत के समस्त ब्राहमणों से जोड़ कर देखना कितना उचित होगा ? ठीक उसी तरह किसी दवा व्यापारी को , किसी बाहुबली विधायक को या किसी पत्रकार को जाति की नज़रों से देखना किसी भी पढे लिखे इंसान को शोभा नही देता है !
आज के दौर मे जाति कहीं से भी ना तो आपकी पहचान है और न ही मेरी ! हमारा ब्लॉग गाओं मे बैठा कोई नही पढ़ रहा है - जिसके बदौलत मुझे कोई राजनीती करनी है - और ना ही आपको - फ़िर यह जाति का जहर क्यों ? क्या आप डाक्टर के यहाँ जाति देख कर इलाज कराने जाते हैं ? क्या दवा कम्पनी की जात देख कर दवा खरीदते हैं ? या फ़िर आप नया इतिहास लिखेंगे ?
इस हमाम आप बिल्कुल नंगे खड़े हैं ! जातिये दुराग्रह छोडिये और उपन्यास लिखिए !
इस हमाम आप बिल्कुल नंगे खड़े हैं ! जातिये दुराग्रह छोडिये और उपन्यास लिखिए !
"बिहार" जैसे प्रान्त को सपूत की जरूरत है यह ना की अपनी माँ के फटे आँचल को दुनिए के सामने बेचने वालों की !
मैं उन सभी लोगों से क्षमा प्रार्थी हूँ जिन्हें मेरे लेख से दुःख हुआ होगा ! व्यक्तिगत हमलों के दौरान शायद हम सभी ने जातिये हमले भी किए होंगे - जिसका इरादा और सोच बिलकूल नही थी !
6 comments:
Wonderful analisys Mukhiyajee. You write what happens in society. Criminals have no caste whoever it may be. They have only one caste that is criminal. That’s the difference between a journalists thought and a common man’s thought. Journalists pick up what they want from any incidence and print/write the distorted ones.
सर्वेशजी बात आप सही कह रहे हैं. लेकिन सारे पत्रकारों को एक ही श्रेणी मे रखना अनुचित होगा. काबुल मे भी गधे होते हैं. और मैं समझता हूँ की ऐसे लोग (ओछी हरकत वाले पत्रकार) उसके अच्छे उदाहरण हो सकते हैं. जैसा की मुखिया जी ने कहा की एक जाती विशेष के क्रिमिनल को जाती से नहीं जोडा जा सकता उसी तरह से एक पत्रकार की ओछी हरकत को सारे पत्रकारों से जोड़ कर नहीं देखी जानी चाहिए.
a point to point analysis. a timely analysis on so called journos...Kudos to Mukhiya jee...
You are very right Chiranjiv.
Through this blog we are getting into more and more interesting facts about caste systems in India. End of the day you feel like saying "ees hamaam me aap bhi".
I request my journalist friends not take my words in generic terms but its seer frustration when we hear such things.
सर्वेश जी , चिरंजीवी जी ,
यह एक गिरोह है - जो सरकार और आम आदमी को अपनी लेखनी से धमकाता है - जब इनकी पोल खुलती नज़र आती है टू ये और आक्रामक हो जाते हैं ! "चाणक्य" की तरह चोटी खोल - किसी को भी मटिया मेट कराने की सौगंध खाते हैं !
ये लोग बहुत ताकतवर है - आप और हम गैर पत्रकार इनकी ताकत का अंदाजा नही लगा सकते !
भारत सरकार मे "रघुनाथ झा " की बहाली और बिहार मे नए पुलिस प्रमुख - सब इनके प्रेशर ग्रुप का कमाल है !
मुखिया जी अब छोड़ दीजिये. सांप बिल में घुश गया छुप कर. आपनी गलती का अहसास उसे हो गया है. अब आप लाठी लेकर काहे बिल के मुहं पर बैठे हुए हैं.
Post a Comment