Tuesday, April 22, 2008

दिल मे छुपे बात और दर्द भी


शायद ऐसे कई दर्द और राज आपके दिल मे छुपे हों ! अमेरिका मे एक ऐसा ही मुहीम चल रहा है ! जहाँ लोग अपने घर मे बने हुए पोस्ट कार्ड से अपने दिल मे छुपे दर्द और कई बातों का इज़हार करते हैं ! ज्यादा के लिए आप http://postsecret.blogspot.com/ को देख सकते हैं !

रंजन ऋतुराज सिंह , नॉएडा

12 comments:

Dr Parveen Chopra said...

आपने तो आत्मा का बोझ थोड़ा कम करने का एक बढ़िया सा रास्ता सुझा दिया है। काश, ऐसा कुछ हिंदी में भी होने लगे।

संजय शर्मा said...

ऐ मुखिया जी कहाँ आप धकिया रहे हैं अमेरिका ! अरे दिल की बात हम अपने ब्लॉग पर ही क्यों न लिखें ?

Manas Path said...

गांव के दालान अमेरिका नही जाना हमें.

Jivitesh said...

It happens.....Whenever we are missing anything...we used to blame it on lesser priviledged people without knowing their sentiments and commitments.....utterrly Insensitive.....

This is a geat initiative to loosen some of the dark secrets from soul....Thanks !

Jivitesh said...

Can somebody do me a favor..i dont know How to write in Devnagri here ...please let me know ..If you have any idea...I really hate to write in english on our Dalaan...

Sarvesh said...

वाह मुखिया जी. दिल मी छुपे बात और दर्द को पोस्ट कार्ड के जरिये व्यक्त करने का ये अलग तरीका है. ब्लॉग पर लिख कर भी लोग व्यक्त कर सकते हैं.

Sarvesh said...

जिवितेश,
मुखियाजी के दालान के पहला पेज पेर एक स्लेट है. उस पर हिन्दी मी लिख सकते हैं. अगर शब्द सही नहीं बता रहा है टू एक बार बैक स्पस दबाइए टू वो ओप्शन देगा. उसमे से शब्द सेलेक्ट कर लीजिये.

Anonymous said...

एहिजा भोजपुरी मी भी लिखे के छुट बा का? दिल के बात आपन भाषा मे लिखे मे बड़ा आनंद आवेला.

Jivitesh said...

अब मेरी समझ मे गया. धन्यवाद सर्वेश जी .

Ram N Kumar said...

भारत मे तो दिल का दर्द रो के निकालता है या फिर गीत-संगीत मे. हम तो अपने दिल का गुबार मेल मे निकल देते है. वैसे गुड आइडिया है, पोस्टकार्ड और ब्लॉग पर दर्द डालने का. अहेम अहेम अहेम

drpawansharma said...

आपका ब्लोग पढकर अच्छा लगा. रंजन जी ,हिंदी में इतना सुव्यवस्थित ब्लोग. आज मैं मान गया कि अंतर्ताना के आंगन में हिंदी खेलकर बडी हो गयी है. मैं भी थोडा बहुत लिखता हूं. कलम की कमाई मैं भी खाता हूं, डाक्टर जो हुं, पर वो बस पर्चे लिखने तक है. हिंदी से प्यार अवश्य है और आपके प्रति ह्रिदय में शुभकामना भी. आशा है आगे भी विचार विमर्श होते रहेंगे.

Batangad said...

कमाल की मुहिम है। ऐसी कोशिश समाज को सभ्य बनाए रखने के लिए जरूरी है। यहां भी होनी चाहिए।