पटना। बिहार के पटना जिले के बिक्रम क्षेत्र की महिलाओं ने स्वावलंबी बनने का नया जरिया खोज निकाला है। सावन महीने में बिक्रम क्षेत्र के कई गांवों की महिलाएं हल-बैल और कुदाल लेकर खेतों की ओर चल पड़ी है।
गौरतलब बात है कि ये महिलाएं खुद हल भी चला रही हैं। बिक्रम के विभिन्न गांवों में महिलाओं ने समूह बनाकर किसानों से पट्टे पर जमीन ली और स्वयं मेहनत कर फसल उगाना शुरू कर दिया। बिक्रम प्रखंड के उदचरक गांव की मीना देवी ने बताया कि महिलाओं ने पहले महिला एकता मंच का गठन किया और फिर 20-20 महिलाओं का समूह बनाकर खेती शुरू की। उन्होंने बताया कि सामूहिक खेती से लाभ होने का अनुमान है। वे कहती है कि इस प्रकार की खेती के गुर आसपास की महिलाओं को भी सिखाए जाएंगे। सुंदरपुर गांव की हीरामनी देवी का कहना है कि इस कार्य से वे स्वावलंबी हो सकती है। यदि उन्हें बैंकों द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की गई तो वे उन्नत खेती करने में भी सक्षम हो सकती है। वे कहती है कि हम महिलाएं किसी से कम नहीं है। हम सिर्फ घर का काम ही नहीं खेतों का काम भी कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकती है।
सामूहिक खेती के लिए इन महिलाओं को प्रेरणा देने का काम प्रगति विकास समिति द्वारा किया गया है। समिति के सह संयोजक उमेश कुमार बताते है कि उनकी योजना सभी गांवों को जोड़ने की है, जिससे आसानी से महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाया जा सके। इच्छाशक्ति और उत्साह से परिपूर्ण मनेर गांव की धर्मशीला का कहना है कि सरकार बड़े किसानों को तो बीज उपलब्ध कराती है, लेकिन जमीन नहीं होने के कारण वह इस योजना से दूर ही है। यदि उन्हे खेती का प्रशिक्षण, उचित साधन एवं बढि़या बीज उपलब्ध कराए जाएं, तो एक एकड़ में 45 क्विंटल तक धान का उत्पादन किया जा सकता है। बताया जाता है कि बिहटा प्रखंड के बारा, सुंदरपुर, चिहटा, पड़रियांवा, शिवगढ़, महजपुरा, मनेर और तेलपा जैसे गांवों में महिलाएं सामूहिक खेती कर रही है।
गौरतलब बात है कि ये महिलाएं खुद हल भी चला रही हैं। बिक्रम के विभिन्न गांवों में महिलाओं ने समूह बनाकर किसानों से पट्टे पर जमीन ली और स्वयं मेहनत कर फसल उगाना शुरू कर दिया। बिक्रम प्रखंड के उदचरक गांव की मीना देवी ने बताया कि महिलाओं ने पहले महिला एकता मंच का गठन किया और फिर 20-20 महिलाओं का समूह बनाकर खेती शुरू की। उन्होंने बताया कि सामूहिक खेती से लाभ होने का अनुमान है। वे कहती है कि इस प्रकार की खेती के गुर आसपास की महिलाओं को भी सिखाए जाएंगे। सुंदरपुर गांव की हीरामनी देवी का कहना है कि इस कार्य से वे स्वावलंबी हो सकती है। यदि उन्हें बैंकों द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की गई तो वे उन्नत खेती करने में भी सक्षम हो सकती है। वे कहती है कि हम महिलाएं किसी से कम नहीं है। हम सिर्फ घर का काम ही नहीं खेतों का काम भी कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकती है।
सामूहिक खेती के लिए इन महिलाओं को प्रेरणा देने का काम प्रगति विकास समिति द्वारा किया गया है। समिति के सह संयोजक उमेश कुमार बताते है कि उनकी योजना सभी गांवों को जोड़ने की है, जिससे आसानी से महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाया जा सके। इच्छाशक्ति और उत्साह से परिपूर्ण मनेर गांव की धर्मशीला का कहना है कि सरकार बड़े किसानों को तो बीज उपलब्ध कराती है, लेकिन जमीन नहीं होने के कारण वह इस योजना से दूर ही है। यदि उन्हे खेती का प्रशिक्षण, उचित साधन एवं बढि़या बीज उपलब्ध कराए जाएं, तो एक एकड़ में 45 क्विंटल तक धान का उत्पादन किया जा सकता है। बताया जाता है कि बिहटा प्रखंड के बारा, सुंदरपुर, चिहटा, पड़रियांवा, शिवगढ़, महजपुरा, मनेर और तेलपा जैसे गांवों में महिलाएं सामूहिक खेती कर रही है।
रंजन ऋतुराज सिंह , नॉएडा
3 comments:
प्रेरक समाचार है। जानकारी देने का शुक्रिया।
हल से समस्या का हल ! वाह ! क्या बात है ! सरकार साथ दे इस साहसिक कदम को तो सुखद सफर रहेगा .आज सचमुच नारी आगे है पुरूष से .
Wonderful news on Dalaan. Its important for Bihar that women become self independent and take up the work in fields the way females in Punjab manages whole agriculture their own.
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