Thursday, September 11, 2008

स्काईलैब की याद

कल जेनेवा के नजदीक जो कुछ भी वैज्ञानिक परीक्षण हुआ - सन १९८० के स्काईलैब की याद आ गयी ! उस वक्त भी ऐसा ही हंगामा हुआ था ! हम लोग बच्चa थे और बाबु जी और दादा जी के पास रेडियो ! रेडियो की तरह तरह की आशंका व्यक्त की जाती थी ! ऐसा लगता था की - मुजफ्फरपुर की ही ठीक हमारे दरवाजे पर ही - स्काईलैब गिर पड़ेगा ! हम बच्चे काफी आशंकित हो उठे थे ! उसी दौर की हर रोज "बिहार के भाग्य-निर्माता" जे प्रकाश जी की मृत्यु की ख़बर भी बेचैन कर देती थी ! unake karan कई बार स्कूल छुट्टी दे दिया करता था ! फ़िर शाम को पता चलता था की जय प्रकाश नारायण नही मरे और हम बच्चे खुश हो जाया करते थे की चलो जिस दिन वोह मरेंगे उस दिन तो छुटी जरुर मिलेगी !
एक चैनल है - इंडिया टीवी - एक दू घंटा लगातार देख लीजिये तो फ़िर आपको रात भर नींद नही आयेगी या फ़िर आप पागलपन के शिकार हो जायेंगे ! अजीब हाल है ! बिल्कुल "सत्य-कथा" और मनोहर कहानियाँ की तरह ! प्रेम -अपराध और ना जाने क्या क्या ?
रविश बाबु , बिहारी हिन्दी की समाचार पढ़ते नज़र आ रहे हैं ! डरते भी हैं - कहीं "बिहारी" का ठप्पा न लग जाए ! मेरी दादी कहती है - "कोई कहीं जाए -जहाँ का जन्म होता है - वोह उसके साथ हमेशा लगा रहता है " ! कहने का मतलब की - रविश बाबु - राष्ट्रीय समाचार पढ़ते वक्त - भोजपुरी स्टाइल हिन्दी नही चलेगा ! "राज ठाकरे" अंकल आपको घुर कर देखते हैं !

रंजन ऋतुराज सिंह , नॉएडा

3 comments:

संगीता पुरी said...

अरे हां , हमें भी सारी बातें याद आ गयी। उस समय मेरा एक भाई , जिसे शायद अधिक हिम्मत थी कहा करता था , स्काईलैब गिरे , पूरी दुनिया नष्ट हो जाए सिर्फ मै रहूं और मेरे गांव के होटल , बहुत मजा आएगा।

Sarvesh said...

का मुखिया जी, महाप्रयोग के नाम पर आप मिठाई खाए कि नहीं? अपना originality नहीं छोड़ना चाहिए। हमको तो लेट से पता चला. जब एन डी टी वी पर देखे तो लगा कि शायद कुछ सिरियस चिज दिखाया जा रहा है।

pallavi trivedi said...

hame bhi yaad aa gaya skylab...tab ham bhi bahut chhote the par halka halka yaad hai.