यूँ तो हम भी एक ब्राह्मण है ! लेकिन दादा- परदादा खेती बारी कराने लगे और छोटे मोटे खेतिहर बन गए ! बड़े बड़े जमींदारों को देख दरवाजे पर उनलोगों ने एक हाथी रख लिया ! हम सभी बचपन की हाथी की सवारी करते थे ! कभी कभी हाथी का महावत खेतों से उसको ले कर जाता था ! जिसके खेत की घुस गया - १०-२० किलो अनाज खा जाता था ! कभी गाली सुनने को मिलता तो कभी किसान चुप चाप ही रहते ! "कभी किसी खेत की हाथी अपना 'लीद' छोड़ दिया करता था - तब वही किसान खुश भी हो जाते , क्योंकि मुफ्त का 'खाद' मिल जाता था ! "
हमारे महावत होते थे - "अल्शेर मियां' ! उनका दो काम होता था - पहला - हाथी का देख भाल करना और दूसरा घर की बन्दूखों की नली को साफ़ करना !
एकबार हाथी पगला गया और "अल्शेर मियां' को पटक दिया ! ऐसा लगा की आज तो 'अल्शेर मियां ' की मौत आ ही गयी ! खैर , किसी तरह उनकी जान बची !
तो भाई लोग , आप लोगों को पता चल ही गया होगा की - इस बार के चुनाव की उत्तर प्रदेश का "हाथी" किसका खेत चार गया और किसके खेत की 'लीद' दे गया ! यह तो देश की प्रमुख राजनितिक हस्तियों को पता होगा !
पर महावत के रूप की हाथी की sawari कर रहे पंडित लोगों को हाथी के पागल होने के पहले ही सावधानी से रास्ता बदल लेना होगा !
रंजन ऋतुराज सिंह ,
4 comments:
इस बार हाथी जब पगलायेगा-तो देखने लायक स्थितियाँ बनेंगी.
(संस्मरण बेहतरीन रहा..)
Mayawati hatni ha yo mulam singg mahawat hai ... Mahawat brahaman hai aur hati rajnitik dal ...
accha hai ..corelation has make some sense
Ee bataiye ki leed kiske khet me de gaya. Lekin aapka word of caution jo ki haathi ki sawari kar rahe hain oonke liye bhi bada mazedar hai.
bhahut khub!
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