अब जरा इनसे पूछिये की महबूबा कैसी हो ? चंदर से चाँद बन गए और फिजा को अपना लिया ! साली , मुहब्बत चीज़ ही कुछ ऐसी है ! वोह वाला गाना याद आ गया - 'ये दुनिया ये महफिल मेरे काम की नहीं ' ! जब स्वप्नसुंदरी मेनका सामने हो फिर 'विश्वामित्र' की क्या औकात ? पर , विश्वामित्र बनने को कौन बोलता है ? चंदर बन जाईये ! एक से मुक्ति पायें और दुसरे को अपना लें ! सिनेमा में मुहब्बत बहुत अच्छा लगता है और हकीकत में समाज गाली देता है ! "शिल्पा शेट्टी" और कंगना राउत वाला "लाइफ इन मेट्रो " देखा है , न ! बेहद ख़ूबसूरत और दिल के करीब ! पर हकीकत में ऐसा कुछ हो जाए तो मेरे जैसा "बिहारी" को फांसी पर लटका दिया जाए ! समाज न तो जीने देता है और न ही मरने ! बहुतों की फिदरत में घुट घुट के मरना नहीं लिखा होता है - सो वोह अपना रास्ता खुद ही बना लेते हैं !
"बुढाऊ" धर्मेन्द्र में दिव्यसुन्दरी हेमा आंटी को कुछ न कुछ तो जरुर नज़र आया होगा ! बस , यही "कुछ नज़र आना " सब बवाल का जड़ है ! कहते हैं ३२ वर्षीय राम को १४ वर्षीय सीता से धनुष तोड़ने के पहले ही वाटिका में "नज़र" मिल गयी थी ! वोह ! क्या जालिम घड़ी होगी ! रामायण लिख गया ! खुद से कई वर्ष बड़ी राधा के प्रेम में वंशी बजाते कृष्ण को हम सभी अपने घर में पूजते हैं !
पर असली आनंद तो नज़र मिलाने में ही है ! मिलाते रहिये ! बस स्टाप से लेकर ऑफिस तक ! नज़र से दिल का रास्ता को 'ब्लाक' कर दीजिए - आप खुश रहेंगे वर्ना पेट पर लात लगते देर नहीं लगेगा !
खैर , इंशाल्लाह ! चाँद और फिजा की मुहब्बत - चाँद के पैसे ख़तम होने के बाद तक भी बरक़रार रहे - हम तो बस यही दुआ कर सकते हैं !
तभी तो - 'रब ने बना दी जोड़ी " !
रंजन ऋतुराज सिंह , इंदिरापुरम !
7 comments:
मंत्री की महबूबा को टी.वी. पर सुना मंत्री भोंदू और महबूबा स्मार्ट दिखी ,
सुना है फिजा को दो दो शादी तोड़ने का अनुभव है .तो चाँद साहब को एक ही शादी तोड़ने का अनुभव .
खैर जोड़ी तो रब ही बना पाते है .
"पर हकीकत में ऐसा कुछ हो जाए तो मेरे जैसा "बिहारी" को फांसी पर लटका दिया जाए ! समाज न तो जीने देता है और न ही मरने ! .."
Mukhiya jee, Lagta hai ki aap Prof. Matuknaath jee ko bhul gaye.. Vo bhi to Bihari hi hai :)
aap to hum jaise yuvaon ko digbhramit kar rahe hain. Aise sabjbag na dikhayen.
Khair mantri ji ki imandari ki daad deni chahiye. Ek Amarmani bhi the bechare kahin jail me pade hue hain.
महबूबा कैसी हो ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि महबूब कैसा है।
दीप्ति जी की बात में दम है.
पोस्ट के लिये धन्यवाद.
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