Wednesday, April 22, 2009

मुसलमानों को भी जीने दो !!

अजीब तमाशा है ! बिहार के चुनाव में मुसलमानों को पेर कर रख दिया है ! नेता और मीडिया ने उनके रातों को नींद ख़राब कर दी है ! क्या किसी का गुनाह सिर्फ इसलिए हैं की वोह मुस्लमान में जनम ले लिया ? क्यों नहीं हम भी उनको अपनी तरह मानते हैं ? कितना थूक का घूँट उनको पीने पर मजबूर करेंगे !
मई ऐसा इसलिए महसूस कर रहा हूँ की ऐसा मेरी जाती के साथ भी पत्रकार और बाकी के नेता करते आ रहे हैं - वैशाली से रघुवंश बाबु खडा है - कोई पत्रकार उनकी जाती नहीं लिखेगा लेकिन उनके खिलाफ लड़ रहे - मुन्ना शुक्ल को भूमिहार बाहुबली जरुर बोला और लिखा जायेगा ! अजीब तमाशा है - भाई ? रविश जैसे पत्रकार भी खुलेआम हमला बोल देते हैं !
ऐसा लगता है की बाहुबली भूमिहारों का और नचनिया बजनिया - कायस्थों का प्रयाय्वाची शब्द बन गए हों ! वैसा ही तो मुसलमानों को भी लगता होगा ! क्या उनका वोट सिर्फ लालू-मुलायम को सता की गाडी तक पहुचने के लिए है ? क्या वोह कभी इस देश के मुख्या धरा में शामिल नहीं होंगे ? क्या हमेशा उनको वोट बैंक से ज्यादा कुछ नहीं समझा जायेगा ?
क्यों नहीं जीने देते उनको - क्यों नहीं उनको बच्चों को यह महसूस करने देते हो की वोह भी एक भारतीये हैं ? क्या गुनाह किया है उन्होंने ?

रंजन ऋतुराज सिंह - इंदिरापुरम !

6 comments:

drdhabhai said...

आप भी वही गलती कर रहे हं बंधु ...क्यों नहीं आप मुसलमानों को भी आम भारतीय की तरह ही मानो...आप ऊपर तो लिख रहे हैं कि मुन्ना शुक्ला हो या अन्य उनको भी किसी को भूमिहार किसी को बाहूबलि बताया जा रहा है ...तो इसमें मुसलमानों के न जीने वाली कौनसी बात हो गई....

Unknown said...

का कीजियेगा. सब जाती के दुराग्रह से ग्रसित हैं. एक दिन रविश भाई नीतिश पर भी गरमाए हुए थे. उनकी तरह बहुत ब्राह्मिण लोग नीतिश से नाराज़ थे क्यों की नीतिश जी ने एक भी ब्राहमिन को टिकट नहीं दिया था. अब देखिये ना बिहार में एक जगह है आरा, उहाँ दुनिया भर के राजपूत आ गए हैं चुनाव लड़ने. अब तो भाई बिहार में बाहुबली नक्सली सब हो गया है. अगर किसी के नली में दम है तो लिखे और एक्शन ले उनके विरुद्ध. रविश जैसन पत्रकार नक्सलियों के खिलाफ नहीं बोलेंगे. आप भी किसके चक्कर में बोलने पर पड़ गए. उसका और एक है मनोरंजन कर के है का बोलता है सब बुझाता ही नहीं है. दोनों समाचार बोलने के अलावा अपना राय भी देने लगते हैं वो भी इतना बकवास की कहिये मत. पता नहीं कहाँ से ये सब चाहुप गया है इतना बड़ा ब्रांड नेम के चैनेल पर.

संजय शर्मा said...

देश में एक मात्र राष्ट्रीयकृत वोट बैंक है तो वो मुस्लिम वोट बैंक है .अपनी एकता कायम रखकर इस स्थिति को प्राप्त किया है . आपकी बात से हम कतई सहमत नहीं हैं . बैंक को बैंक ही माने जाने में गुनाह क्या है .

Kaunain Shahidi said...

dekhiye, bolney key liye to bada bada baat log bol dete hain..lekin karna kaya hai..kuch karyakaram banana padega na..

Kaunain Shahidi said...

baat to sahee hai..lekin hum musalmano kee bhee ghaltee hai..apney aap ko khali vote bank bana key rakh liye hain..lekin eee jaat paat hindu muslamaan say uth ker..sub milkey insaniyat kee baat kahe nahee karte hain...behad afsos hai...sochiyega..

Meraj A. Ansari said...

KAUN NAHI JEENE DETA MUSALMANO KO? musalman ek jeenda kaum hai, jiska itihas gawah hai aur ab tak hum aur aap padte aaye hai. Todi si bhatak gaye the, kuch sawarthi logo ke bahkawe me aa kar, lekin ab musalman har field me compete kar raha aur ho sakta, a day will come when they will revive their lost glory and will emerge with same strength as in history.
Es article me to ek khas jati bishesh ke lekar tippadi ki gayi, to esme musalman ko beech me thusne ki kya zarurat hai. Aaj kal to yahi ho gaya hai jaha kahi mazak ka subject dhodhna ho to bas Musalaman ko le lo. Lekin ek kahawat maine bachpan me gaon ke bujurgo se suna hai "Agar koi aadmi kisi ke peeche lagta hai ya uski shikayat karta hai ya criticism karta hai to maan lo wah tarraqi kar raha ya us se powerful ho raha hai". Hathi ko dekh kar kutte kyo bhonkte, kyo nahi billi ya koi chhote janwar ko dekh kar.