नैनो से जादू किया - जियरा मोह लिया ...:)) शकील बदायूँ का लिखा ,नौशाद का संगीत , लता मंगेशकर की आवाज़ , मधुबाला की अदाकारी और लच्छु महाराज का नृत्य निर्देशन । एक गीत में और क्या चाहिए । अपने आप में भारतीय हिंदी सिनेमा का एक सम्पूर्ण गीत और नृत्य ।
पढ़ रहा था - सम्पादक ने इस गीत को काट दिया था । बड़ी बहस हुई - जोधाबाई हिंदू थी सो इस गीत का औचित्य बनता है । बात नृत्य की आयी तो लच्छु महाराज ने मात्र पाँच दिनो के अंदर इस नृत्य को सजाया । मधुबाला ख़ुद एक बढ़िया नर्तकी नहीं थीं सो लम्बे दृश्यों के लिए एक पुरुष नर्तकी को मधुबाला के रूप में रखा गया ।
ख़ैर इस ख़ास दृश्य को कई बार के मेहनत के बाद मैंने स्क्रीन शॉट लिया - जहाँ मधुबाला अपने होंठों को दाँतो से दबाती हैं । यह अदा मधुबाला के बाद सिर्फ़ ऐश्वर्या ने बख़ूबी निभाया है । और भी एक्टर किए होंगे पर यह अदा भारतीय हिंदी सिनेमा में सिर्फ़ इन्ही दो पर जँचा ।
लच्छु महाराज ने पाकीज़ा में भी नृत्य निर्देशन दिया है ।
एक सवाल मेरे मन में बार बार आता है - नारी मन के अनुसार लिखे गीत , नारी के लिए तैयार किए गए नृत्य , नारी पर ज़ँचने वाले परिधान और यहाँ तक बढ़िया रसोईया - सब के सब पुरुष ही क्यों होते हैं ।
ख़ैर ...हम तो सिर्फ़ गीत और नृत्य का आनंद लेते हैं लेकिन इनको महान बनाने के पीछे और भी महान आत्माएँ होती है ...सबको सलाम ।
1 comment:
नृत्य , नारी पर ज़ँचने वाले परिधान और यहाँ तक बढ़िया रसोईया - सब के सब पुरुष ही क्यों होते हैं । गजब बात... कौन जबाब देगें
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