बात उन दिनों की है ! २००३ की ! फेसबुक नहीं था ! ऑरकुट भी नहीं था ! याहूग्रुप हुआ करते थे ! घर से दूर होने के कारण मैंने भी कई 'याहूग्रुप' अपने स्वादानुसार ज्वाइन किया ! बिहारीओं के भी ग्रुप थे ! पढ़े - लिखे बिहार से बाहर बसे युवाओं का ग्रुप ! सबके अंदर एक ही भावना - मेरा बिहार ..देश की रफ़्तार के साथ कैसे जुडेगा ! अगर आप उनदिनो उन ग्रुप के मेंबर थे तो आपको उस छोटे ग्रुप में एक 'मिनी बिहार' नज़र आता !
इंटरनेट में बने याहूग्रुप दरअसल 'डिस्कशन फोरम' था - जिसको कई लोग समझ नहीं पाते थे ! फिर भी लोगों ने इस छोटे छोटे ग्रुप से बहुत कुछ निकालने की कोशिश की ! कई बार तरह तरह के काम के लिये 'चंदे' इकठ्ठे किये गए - थोडा बचकाना भी लगता था - पर् भावना ऐसी थी की आपको अपना 'झंडा' ऊँचा रखना था ! इन युवाओं में अपने 'राज्य' के लिये कुछ करने की बेचैनी थी - अजब सी बेचैनी - पर् साथ साथ 'बिहार के सारे रंग' ;-)
मुझे कुछ चीजें बहुत अच्छी लगी ! उनमे से एक था - 'मीडिया' का मुह बंद करना ! 'राष्ट्रीय मीडिया' ने अजब सा तमाशा बना दिया था - जब देखो तब 'बिहार' के लिये कुछ 'निगेटीव' ! इसमे आगे आये - आई टी - बी एच यू के अलुम्नी ठाकुर विकास सिन्हा जिन्हें सभी प्रेम से 'TVS' कहते हैं ! इनके साथ एक मजबूत कड़ी और थी इनका 'XLRI' का भी अलुम्नी होना - जिसके कारण 'अजित चौहान' इत्यादी लोग मजबूती से इनका साथ देते गए और नतीजा निकला - 'मीडिया' मुह बंद करने लगा ! कई लड़ाई इनलोगों ने लड़ी ! धीरे - धीरे इन्होने ने एक 'कोर इलीट ग्रुप - वन बिहार' भी बनाया ! फ्लड रीलीफ में इनलोगों ने पटना निवासी 'चन्दन सिंह' के एन जी ओ के द्वारा बहुत कुछ करने की कोशिश की ! लालू प्रसाद विदा हुए और नितीश के आगमन पर् इस ग्रुप ने एक बेहतरीन काफी टेबल बुक निकली - गौरवशाली बिहार ! जिसमे नवीन और चन्दन का बहुत बड़ा रोल था ! बिहार्टाईम्स के द्वारा आयोजित ग्लोबल मीट में ये ग्रुप काफी सक्रिय भी रहा ! नवीन आई आई टी - खरगपुर के अलुम्नी हैं और नितीश जी के काफी करीबी भी - जिसके फलस्वरूप 'नालंदा खँडहर' के गेट के ठीक सामने 'नितीश' जी ने इनको जगह दी - जहाँ इन्होने 'मल्टीमीडिया' सेंटर खोला ! सुना है लाखों में कमाई है ! अभी ५-६ दिन पहले अजीत चौहान ने मुझे फेसबुक पर् बने 'बिहार' ग्रुप पर् एड किया - जबकि वहाँ करीब तीन सौ मेंबर पहले से मौजूद थे - थोडा आश्चर्य भी हुआ - सोचा ..चलो कोई बात नहीं .....याद तो किया :-) थैंक्स ..अजीत भाई !! :))
अभी हाल में ही इलेक्ट्रोनिक मीडिया के एक वरिष्ठ पत्रकार ने बहुत गंदे ढंग से बिहार के लिये अपने शब्दों का प्रयोग किया - अजीत चौहान - टीवीएस टीम को पता चला और इनलोगों के उनको मुहतोड जबाब दिया - उन्हें अपने शब्द वापस लेने पड़े ! व्यक्तिगत रूप से मुझे काफी खुशी मिली !
२००३ में ही मेरी जान पहचान हुई - संजीव रॉय से ! वो भी आई टी - बी एच यू के अलुम्नी ! टोएफेल और जी आर् ई के वर्ल्ड टोपर :) सिंगापूर में 'बिहार और झारखण्ड' का ग्रुप "बिझार" को चलने वाले ! बेहद मृदुभाषी और सभ्यता - संस्कृति को अपने अगले जेनेरेशन तक ले जाने को बेचैन ! ये ग्रुप सिंगापूर में बिहारीओं के बीच लोकप्रिय भी हुआ और 'रीयल ग्रुप' के रूप में सामने आया - यह ग्रुप साल में सभी पर्व त्योहारों में आपस में मिलता और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी करता ! लोहा सिंह के कई नाटक - मैंने इस ग्रुप के वेब साईट पर् जा कर देखे हैं :) मेरे दालान को शुरू करने का सलाह 'संजीव रॉय ' का ही था ! वो सिर्फ बिहार ही नहीं रांची के अपने स्कूल और आई टी - बी एच यू अलुम्नी के बीच भी काफी व्यस्त रहते हैं साथ ही साथ अपनी कंपनी के 'ग्लोबल मैनेजर' भी हैं ! अब वो बे एरिया में शिफ्ट कर गए हैं - मैंने उनको 'मुंबई' के लिट्टी चोखा ग्रुप के बारे में बताया - तो वो बोले हाँ - मेरे ही आई टी - बी एच यू के सीनियर वहाँ एक्टिव हैं :) मै टीवीएस को याद कर मुस्कुरा दिया ! फिर संजीव रॉय बोले - कनाडा में 'मनोज कुमार सिंह' ने भी ऐसा ही ग्रुप बनाया है - मै फिर मुस्कुराया - क्योंकी मनोज भैया मेरे स्कूल के सीनियर ही नहीं 'दालान' के काफी बड़े फैन भी हैं :) मनोज भैया भी आई टी - बी एच यू के ही अलुम्नी हैं !
आई टी - बी एच यू के इन तीनो अलुम्नी को सलाम !
इंटरनेट से ही लोगों को जोड़ 'विभूती विक्रमादित्य और राम राज पांडे ' ने 'बिहार साईनटीफिक सोसाईटी' बना हर साल विश्व स्तर के कॉन्फेंस करते हैं ! यह काम आसान नहीं है ! इंटरनेट पर् दोस्ती तो बहुत जल्द होती हैं - पर् विश्वास बनाने में कई जनम भी लग् सकते हैं ! पर् अपने राज्य के लिये कुछ करने की जिद ने ऐसे लोगों को हर एक बाधा पार करने की क्षमता दी !
इन सबमे बिहारटाईम्स डॉट कोम के अजय कुमार का भी योगदान रहा ! वो १९९८ से लगातार अपनी साईट बिना किसी भेदभाव के चलाते रहे ! २००६ जनवरी में ग्लोबल मीट करवा - एन आर् बी की मजबूत आधार को और मजबूती दी ! पटना डेली भी है जो पटना के रंग बिरंगे फोटो और समाचारों के साथ अपने विजिटर्स का स्वागत करती है !
ये कोई फैशन नहीं है ! कोई जरूरत नहीं है ! यह एक भावना है ! मुझे बहुत अच्छी तरह याद है - सन २००४ में जब मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री बने तो दिल्ली के सभी अखबारों में 'वर्ल्ड पंजाबी फोरम' के तहत उनको बधाई सन्देश हाफ पेज में दिए गए थे !
सफर अभी लंबा है और बहुत सारी चीजों से लड़ना बाकी है !!
रंजन ऋतुराज सिंह - इंदिरापुरम !
9 comments:
बहुत अच्छा लगा सर पुराने दिनों को याद करके
लगे रहिये मुखिया जी , लगे रहिये :)
अपना नाम न देखकर थोडा बहुत उदास हूँ .पर चलता है भाई .
काफी अच्छा लगा पढ़ कर...
यह बात तो तय है की अगर सभी लोग अपने अपने तरीके से बिहार के लिए कुछ करे तो हमारा बिहार भारत का सर्वोत्तम राज्य होगा..
रितुराज भाई
दलान पे मेरा पहला कमेंट और बेहद खुशी की बात यह है की आप ने इंटरनेट के बिहारीकरण और बिहारियो के आधिपत्य और इंटरनेट से बिहारियो के द्वारा किये सफल प्रयासो को बेहद संजीदगी और खुबसुरती से पेश किया है ।
बिल्कुल इन यादो से और इन बातो से आने वाले लोगो को कुछ अच्छा करने की प्रेरणा मिलेगी जो बिहार के लिये स्वर्णिम युग कहलायेगा ।
धन्यवाद
Great pride at being Bihari filters through these writings and the wish to change things too.
Firmly believe we, Biharis, are hard workers in any sphere and contribute a lot towards nation development with our dedication.
Internet is amazing level playing field and everybody is equal on it.
bahut achha lagta hai aise articles padhkar..hats off to u for publishing these good things..
purani yad . bahut kuch yaad dila dete hai
पुराणी यादों को तजा करने के लिए धन्यवाद्. यदि मैं याद करूँ तो २००२ में मैं याहूग्रुप "बिहारी" से जुदा. शायद कभी सर्च भी नहीं करता यदि ऑफिस में बिहारी के नाम पर कॉर्नर न किया गया होता. उस समय ऑफिस के ५०० लोगों में मैं अकेला बिहारी होता था और मैं खुद को गौरवान्वित महसूस करता हूँ की अपने काम और vision के बलबूते हर को कन्विंस कर पाया की बिहारी हर लिहाज से अच्छे होते हैं.
उन दिनों ये याहूग्रुप इतने संजीदा शायद नहीं थे ..लोगों के अन्दर कुछ लड़ियाँ भी चलती रहती थी. २००४ के आसपास मेरे अन्दर भी बिहार के support में कुछ करने का जज्बा आया और कई सरे ग्रुप को join किया.
गौरवशाली बिहार का प्रकाशन एक मिल का पत्थर रहा. मुझे याद है की मैंने नविन भाई को bangalore फ़ोन करके इसकी साइज़ को छोटा कर coffee बुक बनाने का suggetion दिया था. प्रकाशन से जुरा रहा हूँ, मेरी धर्मपत्नी किताबें लिखने की शौक़ीन हैं सो सोचा कुछ योगदान कर पाऊँ. यदपि देर हो चुकी थी.
biharbrains के साथ बहुत सारे कम किये और अभी बहुत कुछ करना है. विभूति जी पटना आ गए हैं. बिहार साइंस कांफेरेंस शायद अलग तरह से करने की जरुरत है. अब शायद समय आ रहा है जब ये जोशीले लोग आगे आयें.
इनमें नितिन चन्द्र की "bring back bihar " एक अदयुतीय फिल्म रही. मैं आज भी इस dvd को देखता हूँ.
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