Tuesday, August 21, 2007

कडी मेहनत और सुकून : श्री अजीत चौहान

श्री नारायण मुर्ति से "Infosys अवार्ड ऑफ़ Excellence" लेते हुये श्री अजीत चौहान

अजीत को मैं WBF के द्वारा ही जानता हूँ ! फिर बाद मे पता चला कि वोह खुद का भी एक ग्रुप चलाते हैं और कई ब्लोग्स भी लिखते हैं ! वोह अक्सर मेरे mails कि तारीफ किया करते थे ! सो नजदीकी और दोस्ती होनी वाजिब थी ! 'प्रशंशा और पैसा सबको अछ्छा लगता है " !
पिछली दीपावली मे जब हम सभी पटना मे थे मुझे अजीत जीं से मुलाक़ात का सौभाग्य प्राप्त हुआ ! उनके साथ थे , चंदन जीं , अतुल और मयंक जीं ! काफी लोग मेरे प्रति थोडा पूर्वाग्रह से ग्रसित थे लेकिन मुलाक़ात के बाद हम सभी एक अछ्छे दोस्त बन गए ! फिर अगले दिन मुझे वापस नौएडा आना था पर अजीत जीं के निमंत्रण को अस्वीकार नही कर पाया और उनके द्वारा आयोजीत कैरीअर सेमिनार मे पिछली seat पर बैठ कर सभी का भाषण सुना ! बहुत अछ्छा लगा !

अजीत जीं मे असीम उर्जा है ! साथ ही साथ धारातल पर रह कर खुद अपने पैरों पर खडे एक सच्चे बिहारी हैं ! हाल मे ही इनके team द्वारा गौरवशाली बिहार नमक किताब छापी गयी थी ! अजीत जीं के दोस्त और मेरे हमउम्र श्री चंदन जीं का काफी योगदान था इस किताब को प्रकाशित कराने मे ! इन सबों मे प्रथम और एक मजबूत कडी हैं - अजीत जीं !
मिडिया के द्वारा बिहार कि प्रतिष्ठा को धूमिल कराने कि कोशिश को भी इन सबों ने भरपूर विरोध किया ! आज जब बिहार बाढ़ से पीड़ित हैं , अजीत जीं और चंदन जीं काफी कुछ कर रहे हैं ! चंदन जीं तो मुज़फ़्फ़रपुर मे बाढ़ पीडितों के बीच ही हैं ! समाज के लिए कुछ करना है पर वोह समाज हित के लिए हो - खुद के प्रचार और आत्म संतुस्थी के लिए नही ! अजीत जीं का यही मूल-मंत्र है !

रंजन ऋतुराज सिंह , नौएडा

2 comments:

Ranjan said...

Atul Sends me a Personal Mail

"First of all many congrats to Ajit and thanks to Mukhiyajee. More details awaited though.

Hindi mein there is a saying, "Jehan na pahunche Ravi (sun) wehan pahunche (kavi)". I feel like coining another one, "Jehan na pahunche Hava (air) wehan pahunche (Mukhiya). Sub ki khabar rakhte hain aap, patna nahin kaise ;). But aise hi achchi achchi khabarien aapke Dallalaan se sunai deta rahe to maja aayega.

Gauravshali Bihar, book ke bare mein bus ek comment ye hai ki, aapne pure kitab ke mukhya shutradhar "naveen" ka to naam hi nahin liya. Naveen aur Chandan ki ye kitaab hai , baki hum sub to kewal sahyogi. "

Atul Kumar
Chhapara - Patna- USA

Ajit Chouhan said...

Thanks for your kind words mukhiya jee.This was really more than i could ever imagine about myself.Its a team effort and we are collectively striving for achieving our dreams.Aur apka saath bahut jaroori hai.