Drishya aabhaar : www.patnadaily.com
यह विहंगम दृश्य देश कि आर्थिक राजधानी मुम्बई कि नही है और ना ही दलालों का शहर दिल्ली कि है ! यह पटना है ! विश्वास नही होता है , ना ! विश्वास क्यों होगा ? इसी बिहार के दुसरे रुप को बेच कर आपके परिवार के लिए दो वक़्त कि रोती आती है ! कौन सा गुनाह किया था "बिहार" ने आपको जनम देकर ? आये थे दिल्ली मे कलक्टर बनने के लिए ! अब "दलाल" बन गए हैं ! हाथ मे "कलम" क्या मिला , छुरी समझ कर चलाने लगे ? "
रंजन ऋतुराज सिंह , नौएडा
8 comments:
bahut khub
साहेब को प्रणाम....
गजब की प्रस्तुति..
और कुछ नहीं कह सकता......
आपने जो बात कही है.......दरअसल वो पते की है...
नीमन लिखें हैं
नीमन लिखें हैं
क्या बात है?
मनमोहक.
हमारे आत्मविस्मृति की जड़े गहरी हैं. बिहार को पिछड़ा बनाकर प्रस्तुत करने में एक वर्ग का हित सधता था इसमें दो राय नहीं. घबराईये नहीं अगला दशक बिहार का है और बिहार अर्थव्यवस्था का केन्द्र होगा. यह भविष्यवाणी नहीं ठोस दावा है.
आपकी सोच सही है कि रिपोर्टिंग बिहार के सकरात्मक पहलुओं पर भी होनी चाहिए।
पर भाई बिस्कोमान भवन की तसवीर दिखा के आप कहना क्या चाहते हैं कि पटना का काया कल्प हो गया है। ये बात भी सत्य से परे है बंधुवर!
बहुत बढ़िया !!
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