"राजा" को क्यों दोष दें ? जैसी प्रजा वैसी राजा ! या फिर जैसी राजा वैसी प्रजा ! दरिद्रनारायण के भूखे पेट से निकली "आह" बहुत जहरीली होती है ! "कफ़न" से लिपटी लाश क्या "आह" निकालेगी ?
लालू जीं ने बिहार के राजा को "नेरो" कह ही दिया तो कौन सा पाप कर दिया ? लोकतांत्रिक वयवस्था मे जब नौकरशाह राजा बनेगा और जनप्रतिनिधि सड़क पर ख़ाक छानेगा फिर उस राज्य का अर्थ ही महत्वहीन है !
अजीब राज्य है :( अभिमन्यु कि तरह यहाँ का हर बालक राजनीति अपनी माँ के कोख से ही सीख के आता है ! लेकिन चक्रव्य्हू तो जनता जनार्दन बनाती है , ना ?
क्या लालू , क्या नितीश और क्या पासवान और क्या मुखिया जीं ? किसको दोष दें ? महाराज , हमारा जीन ही ऐसा है ! क्या हिंदु और क्या मुसलमान ? क्या भूमिहार और क्या गोवार ? सब के सब , वैसे ही हैं !
किसी ने पूछा " अकेला , नितीश क्या करेगा ? " क्या नही कर सकता है ? थोडा सोचना होगा ! मुख्य सचिव कि भूमिका से बदल कर मुख्यमंत्री बनाना होगा ! क्या मज़बूरी है - नौकरशाह के इशारे पर चलाने कि ? क्या मज़बूरी है सभी जगह सिर्फ और सिर्फ जगह "नालंदा" को ठुसने कि ! " नेता" जात का नही जमात का होता है ! अब आप सिर्फ नालंदा के मुखिया नही हैं , पुरा बिहार आपका है !
हुज़ूर , माई - बाप , जनता कराह रही है ! कुछ कीजिये ! यही वक़्त है कुछ कराने का ! गाडी को "नालंदा" से थोडा घुमा के "दरभंगा" "मधुबनी " के तरफ भी ! बहुत दुआ मिलेगा !
मेरी दुआ कबूल कीजिये !
रंजन रितुराज सिंह , नौएडा
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