कब समुन्दर में चाँद डूबा है
कब बेचैन लहरों को चाँद मिला है
आसमां का मुसाफिर है
आसमां में ही जागता है
आसमां में ही सोता है
समुन्दर की लहरों की आगोश
ज्वारभाटा है
जो पूनम की रात आती हैं
अमावास की रात खुद में ही बह जाती हैं
यह खेल सदीओं पुराना है
प्रकृती को कौन जीत पाया है
कब चाँद पृथ्वी में समाया है
फिर भी उसकी जिद है
यही उसकी प्रकृती है
ना कल थका था
ना कल थकेगा
हर पूनम की रात
अपनी चांदनी के साथ
अपनी पृथ्वी के करीब आएगा
ना कुछ बोलेगा
ना कोई ख़त लिखेगा
सारी रात यूँ ही जागेगा
फिर सुबह होते ही
न जाने किस आसमां में
अगली रात तक के लिए
खो जायेगा ...
धीरे धीरे मध्यम होता जायेगा ..
अमावास की रात
दीपक के हवाले पृथ्वी को छोड़ जायेगा ..
थका हारा ..फिर एक एक रात
धीरे धीरे जागेगा ...
यही उसकी प्रकृती है
यही उसकी जिद है ...
"जिद के आगे प्रकृती भी झुकती है"
एक रात चुपके से
पृथ्वी भी अपने चाँद से मिलती है ...
और
उसके संग
उसकी चांदनी में नहाती है....:))
~ RR
रंजन ऋतुराज - इंदिरापुरम !
कब बेचैन लहरों को चाँद मिला है
आसमां का मुसाफिर है
आसमां में ही जागता है
आसमां में ही सोता है
समुन्दर की लहरों की आगोश
ज्वारभाटा है
जो पूनम की रात आती हैं
अमावास की रात खुद में ही बह जाती हैं
यह खेल सदीओं पुराना है
प्रकृती को कौन जीत पाया है
कब चाँद पृथ्वी में समाया है
फिर भी उसकी जिद है
यही उसकी प्रकृती है
ना कल थका था
ना कल थकेगा
हर पूनम की रात
अपनी चांदनी के साथ
अपनी पृथ्वी के करीब आएगा
ना कुछ बोलेगा
ना कोई ख़त लिखेगा
सारी रात यूँ ही जागेगा
फिर सुबह होते ही
न जाने किस आसमां में
अगली रात तक के लिए
खो जायेगा ...
धीरे धीरे मध्यम होता जायेगा ..
अमावास की रात
दीपक के हवाले पृथ्वी को छोड़ जायेगा ..
थका हारा ..फिर एक एक रात
धीरे धीरे जागेगा ...
यही उसकी प्रकृती है
यही उसकी जिद है ...
"जिद के आगे प्रकृती भी झुकती है"
एक रात चुपके से
पृथ्वी भी अपने चाँद से मिलती है ...
और
उसके संग
उसकी चांदनी में नहाती है....:))
~ RR
रंजन ऋतुराज - इंदिरापुरम !
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