साल जा रहा है ! साल आते ही है जाने के लिए ! आते वक़्त बंद मुठ्ठी और जाते वक़्त खुली मुठ्ठी ! "कभी कोई वक़्त किसी दहलीज पर सारी रात गुजारता है तो कहीं चंद लम्हे दिन के उजाले में खुले आसमान में उड़ते हैं - जैसे ये जीवन कुछ भी नहीं - कुछ पलों का आना और फिर चला जाना है ! "
साल भी अजीब होता है - कभी बीच साल छोड़ नहीं जाता - हमेशा अपनी उम्र बिता के जाता है - कभी ऐसा नही हुआ - जैसे जून में ही साल ख़त्म ....हमेशा दिसंबर के अंतिम दिन तक साथ देता है और फिर एक पल में ...खुद को ख़त्म कर हमें नए साल के हाथ में हमें सौंप देता है ...और फिर न पलट के देखने के अंदाज़ में ...मुस्कुराता निकल जाता है ...यूँ तो विदाई से ज्यादा दुखदायी कुछ भी नहीं होता ....फिर भी साल की विदाई भी अजीब होती है ...अंदाज़ ही निराला है ...खुद के जाने के साथ सपनों से भरा एक नया साल को हमारे सामने खडा कर देता है ...हम पल भर के लिए उस नए साल को देखते हैं और ....ये साल ...उसी पल में ...हमसे हमेशा के लिए दूर निकल जाता है ...
अलविदा ....2014....
@RR ३१ जनवरी २०१४
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