जब से मेरा जेनेरेशन बड़ा हुआ है - राजदूत से लेकर अब हार्ले ! तरह तरह का बाईक देखा ! सब बेकार ! आज भोरे भोरे एक कश्मीरी लुक वाला छोकरा को यामहा पर देखा - यामहा याद आ गया - यही लगा यामाहा - आरएक्स १०० के सामने सब फीका ! एक मामू जान यामहा रखते थे - वो एक भोरे से उसको साफ़ करने में लग जाते थे - दे रिम ...दे सीट ..कान में सोनी का वाकमैन लगा के ! हम भी गिडगिडाते थे - मामू ...एक दोपहर हमको भी ...थोडा आस पास के मोहल्ला में 'सेकेण्ड गियर' में हुडहुडाते ...'झमका' के आयें कभी कभी मामू खुश हो गए - चावी हाथ में पकड़ा दिए ....आपकी कसम ...एकदम सेकेण्ड गेयर में यामहा को उठाते थे ...मामू का कलेजा हाथ में ! कोई दोस्त यार मिल गया - पीछे उसको लटका लिए - हवा में बात करते - पूरा पटना का एक चक्कर - जबतक पेट्रोल का टंकी सूख न जाए उसके बाद मामूजान से तरह तरह का श्लोक सुनना
कॉलेज में शौक़ीन दोस्त यार यामहा रखते थे - माँगने जाओ तो पहले ही 'पेट्रोल' नहीं है कह के मूड ऑफ कर देता था - खैर होस्टल में बहुत भाई लोग 'पउआ' के खाली बोतल में पेट्रोल रखता था ! एकदम इसी जाड़ा में - लेदर का जैकेट - जींस - और फुल कवर हेलमेट - हाथ में चावी को नचाते ...अहा ...वो भी क्या दिन थे ...एकदम स्टाईल से यामहा को स्टैंड पर लगाना - यामहा को भरपूर एक नज़र देखना ....फिर एक लम्बी सांस लेना ...फिर आस पास एक नज़र देखना ...जैसे हम ही शहजादा सलीम हैं ...हा हा हा हा ...!!!
@RR २७ दिसंबर २०१४
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