Tuesday, September 13, 2016

सच का सामना - भाग पांच और छः

बात वर्षों पुरानी है ! मै पटना में अपने कंप्यूटर सेंटर में बैठा था ! एक सुबह  एक सज्जन आये ! सफ़ेद कुरता और पायजामा में ! मुझसे उम्र में पांच - छः साल बड़े ! मैंने हेलो कह उन्हें अपने केबिन में बैठाया ! उन्होंने कहा - मै शिपिंग कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया में हूँ ! छुट्टी में अपने ससुराल आया हूँ  सोचा कंप्यूटर क्यों न सिख लिया जाए ! और भी बात हुई और बातों बातों में पता चला की उनका ससुराल मुझसे पूर्व परिचित है ! अगले दिन वो पति - पत्नी दोनों साथ आये ! बेहद स्मार्ट !
गप्पी हूँ ! फुर्सत में उनके साथ देश दुनिया की खबर पर चर्चा होने लगी ! बातों बातों में पता चला की वो भी मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं ! फिर मैंने अचानक से बोला - कहीं आप वो तो नहीं ................! वो सर झुका के बोले - हाँ , मै उसी परिवार से हूँ ! मैंने पूछा - क्या हुआ था , सच जानना है ! वो बोले - अगले इतवार फुर्सत में सब बताऊँगा !
" भैया इंजिनियर बना तो टाटा स्टील में नौकरी हुआ - शहर के सभी नामी लोग शादी के लिए आने लगे - जितने भी लोग आये - उसमे सबसे खुबसूरत मेरी भाभी थी - गोल्ड मेडलिस्ट और नामी डॉक्टर की बेटी ! भैया मुझसे भी हैंडसम था ! ऐसी जोड़ी कहीं नहीं देखी ! भईया का ससुराल भी शहर में ! तब मै नेतरहाट से टॉप करके - पटना के सायंस कॉलेज में था ! भैया , टाटा से आता जाता रहा ! भाभी कभी हमारे घर तो कभी अपने मायके तो कभी टाटा ! और एक दोपहर भाभी ने हमारे मुजफ्फरपुर आवास पर अपनी जिंदगी समाप्त कर ली ! दहेज़ कानून में भैया , माँ और पापा सभी जेल चले गए ! मै और छोटा भाई बच गए ! जग हंसाई अलग - बेहद खुश मिजाज भाभी का जाना अलग , पूरा परिवार जेल में ! भाभी के पिता जी और समाज हमारे परिवार के पीछे ! मै सायंस कॉलेज होस्टल में पढता रहा - उस हालात में भी आई आई टी और टी एस राजेंद्र दोनों जगह क्लियर किया ! लोगों ने कहा शिपिंग में जाओगे - जल्द पैसा मिलेगा - तभी परिवार को सहारा ! छोटे भाई का पढ़ाई डिस्टर्ब हो गया ! भईया हिम्मत नहीं हारा - जेल में रहकर भी वो गेट ( एम टेक प्रवेश परीक्षा ) में टॉप किया ! मै जल्द नौकरी में जाकर पैसा कमाने लगा ! इसी बीच पांच छ साल गुजर गए - सभी जेल में ! फिर किसी तरह कोर्ट कचहरी हुआ और अंत में पूरा परिवार बरी हुआ ! "
अब सवाल उठता है - हुआ क्या था ? उनकी भाभी ने आत्महत्या क्यों की - वो भी शादी के दो वर्षों बाद ? मै दिवंगत आत्मा पर कोई आरोप नहीं लगा रहा - जो परिवार वर्षों जेल में रहा - उसने भी उनकी इज्जत को बरक़रार रखा !
अक्सर खुबसूरत लड़किया - जवान होते ही - जिस किसी ने अप्रोच कर दिया - वो उसके साथ निभाती हैं - जबतक की परिवार वाले कहीं और शादी का न बोले ! लड़कियां प्रेम और शादी दोनों मामले में अलग ढंग से सोचती हैं - प्रेम एक लोफर सड़क छाप से भी हो सकता है पर शादी हमेशा सुरक्षित भविष्य को देख वो करती हैं ! कुछ ऐसा ही केस था ! संभवतः प्रेमी एक सड़क छाप था जिसके हाथ एक हीरा लग गया था ! हीरा हाथ से फिसल गया - वो बेचैन होकर लड़की की शादी के बाद तक उसका पीछा करता रहा ! अक्सर उसकी गली से गुजर जाता ! लड़की की नज़र पड़ी तो वो बेचैन ! और इसी बेचैनी में जब ग्लानी / गिल्ट हुई - घर अकेला - आत्महत्या का रूप ले लिया जिसमे एक परिवार झूलुस गया ! लड़का गीत गाता था - गली से गुजरते वक़्त वही तान छेड़ देता , जो लड़की माँ पसंदीदा ! उसने भी ख्वाब सजाये थे - बड़े घर की लड़की से बियाह और ऐशोआराम की ज़िन्दगी ! उसके सपने टूटे - उसने लड़की की लीला ही ख़त्म कर दी !
पुरुष ऐसे धोखे को 'कुंठा' में परिवर्तित कर देते हैं ! पुरुषों की कुंठा को एक दूसरा पुरुष ही समझ सकता है ! पुरुषों की कुंठा को समझ पाना - यह महिलाओं का वश नहीं ! छल उसी कुंठा का बाहरी रूप होता है ! मजबूरी और धोखा में अंतर होता है ! लड़की को एक दिन समाज को भी मुंह दिखाना है - अगर आप सक्षम नहीं है - प्रेम तो यही कहता है - चुपके से अपने प्रेम की सलामती का दुआ करते हुए - बाहर निकल जाईये ! पर ऐसा होता नहीं है ! ऐसे सम्बन्ध विच्छेद कहीं से धोखा नहीं है - यह एक सामाजिक मजबूरी है ! क्या वही इंसान अपने पचास के उम्र में - अपनी बेटी का वैसा सम्बन्ध स्वीकार करेगा ? कतई नहीं !

सच का सामना - भाग छः
अभी तीन साल पहले एक डॉक्टर मित्र ने एक सच्ची कहानी बताई ! बिहार के एक मेडिकल कॉलेज में - एक लड़का और एक लड़की पढ़ते थे ! दोनों हसीन और जवान ! लड़की कुछ ज्यादा ही सुन्दर थी ! पिता भी नामी डॉक्टर ! पर दोनों की शादी नहीं हुई ! लड़की की शादी दक्षिण भारत में पदस्थापित एक सिविल सर्वेंट से हुई ! प्रेमी शहर छोड़ विदेश चला गया ! लड़की अपने पति के साथ अपनी ज़िन्दगी में व्यस्त ! बच्चे हुए ! बच्चे बड़े हुए ! इंटरनेट आया ! उस महिला को इंटरनेट पर पूर्व प्रेमी मिला ! 'हेलो ...ढक्कन ..कैसे हो' ! मस्त हूँ ! बीवी बच्चों का फोटो दिखाओ ! मैंने अभी तक शादी नहीं की ! महिला यह सुन ग्लानी / गिल्ट में चली गयीं ! अब रात दिन प्रेमी से बात का मन ! महिला डॉक्टर ने ठान ली ! वो एक ट्रेनिंग के बहाने विदेश गयीं ! वहां दोनों मिले ! यहाँ भारत में पति अपने बच्चे को संभालते हुए - अब पत्नी लौटेगी तो अब लौटेगी ! पत्नी नहीं लौटी ! बारहवीं के बच्चों की माँ नहीं लौटी ! विदेश में दोनों पूर्व प्रेमी पति पत्नी की तरह रहने लगे ! अब वादा निभाना था - मंगलसूत्र पहनना था ! छ महिना - एक साल हो चुके थे ! महिला को वहीँ नौकरी भी मिल गयी थी ! एक दिन अचानक वो प्रेमी महोदय गायब हो गए ! कुछ दिनों बाद पता चला - वो भारत लौट कहीं और भतीजी उम्र की लड़की से विवाह कर लिए !
और वो महिला डॉक्टर ? अपना मायके छोड़ दिया ! पति छुट गया ! बच्चे घृणा करने लगे ! पर वक़्त और फाइनेंसियल इंडीपेनड़ेंसी गजब की चीज़ होती है ! बड़े से बड़े जख्म को भर देती है ! मैं उस महिला का तस्वीर इंटरनेट पर देखा - चेहरे पर कोई ग्लानी नहीं थी - भले रातों को नींद नहीं आती होगी !
अब सवाल उठता है - वह इंसान इतने दिनों तक शादी क्यों नहीं किया ? क्या वह अपनी प्रेमिका का इंतज़ार कर रहा था ? शायद नहीं ! उसके पुरुष अहंकार को चोट लगी थी ! वह उस अहंकार को पाल पोश कर बड़ा किया - वक़्त ने भी उसके अहंकार को मदद किया ! जिस दिन उसके पुरुष अहंकार को शान्ति मिली - वह निकल पडा !
अजीब होता है - यह पुरुष अहंकार जो कुंठा में परिवर्तित हो जाता है ! बहुत करीब से देखने पर यह नज़र आता है ! बड़े से बड़े राजनेता और व्यापारी इसके रोगी होते हैं ! मैंने देखा है ! यही पुरुष अहंकार उन्हें चोटी तक ले जाता है ! पर यही कुंठा उनसे ऐसे घिनौने काम भी करवाता है !
प्रेम हर हाल में अपने प्रेम की सलामती चाहता है ! प्रेम कभी बदला ले ही नहीं सकता ! प्रेम कभी बदनाम नहीं कर सकता क्योंकि प्रेम में इतना ताकत होता है की वह कैसा भी दर्द बर्दास्त कर लेता है ! प्रसव पीड़ा कैसे कोई बर्दास्त कर लेता है - वह एक माँ का प्रेम होता है ...:))
प्रेम कीजिए ....लेकिन किसी के अहंकार और अहंकार से परिवर्तित कुंठा से बचिए ! ज़िन्दगी न मिलेगी दुबारा :))

@RR

4 comments:

Shekhar Jha said...

ज़बर।

Prakash Kumar said...

पुरुष और स्त्री दोनों एक दूसरे के मनोविज्ञान अगर समझ जाए, तो फिर ऐसी कहानियाँ ही ना लिखी जाए

Ranjan said...

यह समझ आते आते जवानी ख़त्म हो जाती है और तब तक कई कहानी लिखी जा होती है ;)

Unknown said...

लाजवाब