Monday, September 26, 2016

सच का सामना - भाग सात

सच का सामना - भाग सात 
बात वर्षों पुरानी है । अपने विवाह के तुरंत बाद हनिमून पर नहीं गया था - सास ने वीटो लगा दिया , कहीं लड़का किसी पहाड़ से उनकी नाजूक बेटी को ठेल न दे 😐 
एक महीने बाद घूमने गए । एक शहर में एक बेहतरीन रेस्तराँ में डिनर कर रहे थे । पत्नी बेहतरीन सिल्क साड़ी में । हम भी चमक रहे थे । डिनर कर के जैसे ही रेस्तराँ से निकले - एक परिचित परिवार मिला । वहाँ एक परिचित चेहरा भी । हम ख़ुश होकर उनके टेबल के पास गए और सबसे अपनी पत्नी का परिचय करवाने लगे । 
वहाँ भूतों न भविष्यति टाइप एक अत्यंत ही ख़ूबसूरत कम्प्यूटर इंजीनियरिंग टॉपर लड़की बैठी थी , जिनसे पूर्व में महज़ दो बार मेरी बात हुई थी , हेमामलिनी की ख़ूबसूरती और भाग्यश्री की आवाज़ । पिता डॉक्टर , बाबा डॉक्टर , चाचा डॉक्टर , फुआ डॉक्टर । अपने शहर में पूरी गली का सारा प्लॉट उसके परिवार के नाम । ख़ूबसूरत भी अत्यंत । बस कह दिया ...हेमामालिनी ...:)) 
अब देखिए । वो लड़की अचानक से अपने टेबल से बाहर की तरफ़ रोते हुए निकली । हम कुछ समझते की मेरी पत्नी और ज़ोर से अपना हाथ मेरी कमर पर । इन दोनो महिलाओं की उस वक़्त की अभिव्यक्ति मुझे समझ में नहीं आयी । 
हम भी रेस्तराँ से बाहर हो गए । लेकिन उसका रोते हुए बाहर जाना - मेरे मन को पोक कर दिया । पत्नी ने एक सवाल मुझसे नहीं पूछा । अगर ऐसा ही कुछ मेरी पत्नी के साथ होता तो - हम उनका जीना हराम कर देते , कौन था - कहाँ का था - कब से जानता है , इत्यादि इत्यादि ...लेकिन मेरी पत्नी ने एक सवाल नहीं पूछा । कुछ महीनो बाद , मैंने पत्नी से पूछा तुमने कोई सवाल या हंगामा क्यों नहीं किया और उस वक़्त बड़े ज़ोर से ढीठ की तरह मुझे क्यों पकड़ ली ? पत्नी मुस्कुरा दी और बोली - यह दो औरत के बीच का संवाद था । हम माथा ठोक लिए - बियाह हुआ नहीं कि सिनेमा 'अर्थ' चालू 😳 
 समाज में इंटरनेट आया । मरद जात - कूकुर - सबसे पहले उस मोहतरमा का ईमेल खोजे और धड़ाम से एक ईमेल ठोक दिए । जबाब आने लगा । एक साल । बीच में हमको बेटा हुआ - नाम क्या रखा जाए , यह सलाह उनके तरफ़ से आया 😬😝 एकदम सात्विक दोस्ती । सिर्फ़ होटमेल पर । तब आर्ची कार्ड का ज़माना - न्यू ईयर पर , एक नहीं पूरा पाँच हज़ार का भेज दिए , अपनी पत्नी के हस्ताक्षर के साथ । 
एक साल बाद - हमको बर्दाश्त नहीं हुआ - हम पूछ दिए - आप उस रेस्तराँ में रोते हुए क्यों बाहर गयी ? ऐसा कुछ था तो पहले ही बोलना था - आपका ही माँग टीक़ देते 😝 हालाँकि मैंने महज़ मज़ाक़ किया था । 
ये क्या हुआ  ...मेरी ये बात उनके तथाकथित सेल्फ़ स्टीम को चोट पहुँचा गयी । ईमेल बंद । 
इस सच्ची घटना का कोई विश्लेषण नहीं कर रहा । लेकिन पोक उधर से ही हुआ था । मरद जात के सामने कोई औरत रो दे - उसके बाद यही सब होता है 😐 
वो एक कम्प्यूटर इंजीनियर होते हुए भी किसी भी सोशल मीडिया पर नहीं हैं । लेकिन यह पूरा सच नहीं था - शायद एक ज़बरदस्त म्यूचूअल क़्रश रहा हो । आदततन मैंने कभी उनका पीछा नहीं किया था लेकिन उनके रोने वाली घटना के बाद - मैं उनके मुँह से सच सुनना चाहता था । जीत उनकी हुई - उनकी ज़ुबान बंद ही रही लेकिन जब कभी आमना सामना होता था उनकी आँखें बहुत कुछ कह जाती थी । शायद उन्होंने वो क़र्ज़ लौटा दिया - जब मेरी आँखें उनको संदेश देती और उनकी ज़ुबान मुस्कुरा देती , सबसे छुपा कर - सबसे बचा कर । 
पर मेरा एक सवाल - आजीवन वाली दोस्ती तोड़ दी । मैं भी लाचार था - सवाल नहीं पूछता तो बेचैन रहता और पूछ दिया तो सम्बंध ख़त्म । 
अँतोगत्वा ...हम ख़ुद के दिल के लिए जीते हैं - कई बग़ैर जवाबों वाले सवाल के साथ ...पर सवाल बेचैन करते हैं - और इंसान उन सवालों के जबाब में कई हदें पार कर बैठता है ! 
हर रिश्ते का एक पडाव होता है या उसकी एक आयु होती है - जो उनमे से कोई एक तय करता है ! दिक्कत तब होती है - जब सामने वाला अपने उस हमसफ़र का हाथ पकड़ एक अन्धकार में चलता है और अचानक पता चलता है की - हाथ तो छुटा ही साथ में वो रिश्ता भी पल भर में मर गया ! पर वो रिश्ता अपनी आयु पूर्ण कर के मरा है  , बस यह बात किसी एक को पता होती है ! 

और कई बार रिश्तों का गर्भपात भी हो जाता है ...जिसे हमारा संकोच , लिहाज , भय , अहंकार , चीटिंग - इनमे से कोई गर्भपात करवा देते हैं ...यूँ कहिये तो हर रिश्ते का गर्भपात ही होता है ...कोई भी रिश्ता पूर्ण नहीं है ...अगर नहीं हुआ तो ...वक़्त उस रिश्ते को अपंग बना देता है ...कई बार भावनात्मक डोरी कमज़ोर हुई तो ...मर्सी किलिंग ...
कभी किसी रिश्ते का मर्सी किलिंग देखा है ...? धीरे धीरे मर रहे रिश्ते को अचानक से मार देना ...ताकि बाकी के लोग शान्ति से रह सकें ...आईसीयु में भर्ती रिश्ते का ...एक झटके में ...ओक्सीजन पाईप खिंच देना ...और चुपके से बाहर निकल जाना ....:)) ऐसा भी होता है ...और वो भी इंसान ही करता है ....कभी हम तो कभी सामने वाला ...

सॉरी ...एक गरिमा के साथ लिखने की कोशिश की है ...पत्नी खुद के लिए नहीं बल्कि आपके लिए ज्यादा चिंचित हैं ...पत्नी का आपके लिए चिंता ...फिर से मुझे कन्फ्यूज कर दिया ...महिलायें सोचती कैसे हैं ...:)) 

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