Monday, March 3, 2008

" कब अईबू अंगनवा हमार ": भोजपुरी सिनेमा समीक्षा


अनजान शहर मे अनजान चेहरों के बीच अपनी सभ्यता और संसकृति की झलक देखने को ही मिल जाए - यही बहुत है ! काफी अरसा हो गया था - भोजपुरी सिनेमा देखे हुए ! श्री कवि कुमार द्वारा निर्मित " कब अईबू अंगनवा हमार " को नॉएडा के मल्टीप्लेक्स " P V R - Spice " ने दिखाने क निर्णय लिया तो यह भोजपुरी सिनेमा के इतिहास क पळ था क्योंकि यह अपने आप मे पहली भोजपुरी सिनेमा है जो किसी मल्टीप्लेक्स मे "चल " रही है !

कल यह सिनेमा देखने kaa मौका मिला ! श्री कवि कुमार बिल्कुल ही साफ सुथरी फ़िल्म लेकर आए हैं ! अभिनेता और गायक श्री मनोज तिवारी ne काफी स्वाभाविक अभिनय की जितनी तारीफ की जाए कम है ! विनीत कुमार भी दमदार नज़र आए ! सिनेमा के कार्यकारी निर्माता श्री अंशुमन मिश्रा ने बताया की इस तरह की साफ सुथरी बड़े बजट की भोजपुरी सिनेमा बनाना आसान काम नही हैं - मुझे भी ऐसा ही लगा ! इस सिनेमा मे पहली बार DABING के बिना काम चलाया गया है = जिसे टेक्नीकल भाषा मे "सिंक साउंड " कहते हैं - ऐसा प्रयोग सिर्फ़ लागान के कुछ दृश्यों के लिए किया गया था ! छरहरी बदन की मालकिन और मेरी हमउम्र श्वेता तिवारी ने काफी प्रभावित किया है !

सिनेमा अपने पहले मध्यांतर मे आपको अपने गाओं की याद से आखों को नम करेगा और दूसरे मध्यांतर मे एक प्रवासी "पूर्वांचल" के दर्द के कारन आपकी आँखें नम होंगी ! हाँ , सिनेमा एक स्वाभाविक कहानी और स्वाभाविक दमदार अभिनय पर केंद्रित है जिसके कारन थोडा लंबा हो गया जो निर्देशक की कमजोरी को दिखता है !
कुल मिला कर - यह सिनेमा आप हम सभी अपने परिवार के साथ बैठ कर देख ही नही सकते बल्कि इसकी खूबसूरत गानों क आनंद भी उठा सकते हैं !
निर्माता श्री कवी कुमार बिहार प्रान्त के सीतामढी निवासी हैं और सिनेमा की शूटिंग उनके गाओं मे ही हुयी है ! श्री कुमार एक बेहतरीन वक्ता भी हैं और पूर्वांचल और अर्थशास्त्र के मुद्दों पर खबरिया चैनल पर नज़र आते रहते हैं !
सभी पैसा खाने के लिए नही होता है - कुछ दिखाने के लिए भी होता है ! "तिरहुत" वासी सम्प्पन लोग समाज के प्रती अपनी जिम्मेदारियों को अच्छी तरह समझते हैं ! सिनेमा निर्माता श्री कवि कुमार अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों क निर्वाह करते नज़र आए और सिनेमा के मध्यम से अपनी मिटटी क क़र्ज़ भी कुछ हद तक उतरा है - जो एक सराहनीय कदम है

1 comment:

निशान्त said...

का बात बा... मल्टीप्लेक्स में भोजपुरी सिनेमा. चलिए भोजपुरी भी अप-मार्केट हो गया. कुछ लोग के लिए आसन हो गया सिनेमा देखना.