Tuesday, September 11, 2007

मन नही लगता है - भाग एक

मन नही लगता है ! मन करता है , बिहार वापस चले जाएँ ! दिल्ली मे पेट भरुआ नौकरी से क्या मिलेगा ? एक रुपईया जमा नही है ! ऊपर से ढ़ेर सारा हेडक , जो बचाता है पटना आने जाने मे खर्चा हो जाता है !
वहीँ पटना मे रहेंगे ! कुछ लोन ले के एक स्कार्पियो गाड़ी ख़रीद लेंगे ! हरा रंग का ! झकास लगेगा ! गाड़ी मे उजाला परदा लगा लेंगे ! सीट पर सफ़ेद तौलिया , फर वाला बिछा देंगे ! २- ४ ठो चेला चपाटी बना लेंगे ! सप्ताह दू सप्ताह पर गांव से घूम आवेंगे !
कभी कभी मन करता है कि कोई बिजिनेस करें ? अब क्या करें , यही नही बुझाता है ! बाबूजी के डर से नौकरी कर रहे हैं ! मेरा नौकरी करना उनके इज्जत से सरोकार रखता है ! अगर हम नौकरी नही किये तो लोग क्या कहेगा ? ई साला लोग के चक्कर मे हम अपना ज़िन्दगी नाश दिए , फेर भी लोग बहुत कुछ कहता है - मेरी सास कहती है कि सबका दामाद बड़का बड़का कम्पनी मे काम करता है - और एक आप हैं !! अब हम अपना सास को कैसे समझायें कि कम्पनी मे गदहा का जरूरत है घोडा का नही ! हमसे बोझा नही उठेगा !
दूर , माथा खराब हो जाएगा - जितना सोचेंगे ! मूड खराब हुआ ता गरीब रथ से वापस लॉट जायेंगे ! हो गया ! लोग जान गया कि फलना बाबु का लईका भी कुछ कर सकता है ! यही कम है , क्या ? एक ही ज़िन्दगी मे क्या क्या करें ? बाप - दादा , ख़ानदानी और रईस बना के रख दिया - संस्कार ऐसा डाल दिया कि किसी के सामने सर झुकता नही है ! पैसा ही सब कुछ का माप दण्ड हो गया ! बचपन मे देखा कि बडे बडे पैसा वाले को हिम्मत नही होती थी हम लोगों के सामने बैठने की  - अब सब कुछ उलटा हो गया ! ऐसा लगता है कि पैसा के खेला मे फंस गए !
लिखा होगा ता पैसा कहीँ भी मिल जाएगा ! क्या जरूरत है मान - सम्मान बेच के पैसा कमाने कि ! थोडा सकून भी होना चाहिऐ - जिन्दगी मे !
ता , कह रहे थे कि पटना चले जायेंगे - वहीँ राम बिलास चाचा का पार्टी जोइन कर लेंगे ! लालू जीं और नितीश जीं के यहाँ बहुत धक्का है ! रोज शाम को अपना स्कार्पियो मे चेला चपाती सब के साथ डाक बंगला चौराहा पर केदार के दुकान पर पान कचरेंगे और उज्जर उज्जर कुरता - पैजामा पहन कर खूब हवा देंगे ! एक रे बन का चश्मा भी ले लेंगे ! कभी कभी जेंस का पैंट और T शर्ट और बाटा का हवाई चप्पल पहन के बोरिंग रोड़ मे घुमेंगे या मौर्या लोक मे टहलेंगे !
मूड हुआ ता "महंगू" के दुकान मे जाके बगेरी या चाहा का मीट खायेंगे ! रिटेल का जमाना है ता - हर शहर मे कोर्ट - कचहरी के सामने "मीट-भात" का दुकान खोलेंगे ! आप देखे होंगे कि बहुत सारा लोग ऐसा होता कि जब तक वोह दू-चार कित्ता केस नही लडेगा उसका जीना बेकार है , ऐसा लोग के लिए ही - कोर्ट - कचहरी के सामने मीट - भात का दुकान होता है ! हर शहर मे आपको ऐसा कोई ना कोई फेमस दुकान मिल जाएगा ! वैसा मीट खाने के बाद पांच सितारा का खाना बेकार लगेगा !
बहुत सारा प्लान है - लेकिन ई पेट भरुआ नौकरी ज्यादा दिन नही होगा ! हमलोग काम करने के लिए पैदा लिए हैं कि करवाने के लिए ... बताईये तो महाराज ....
क्रमशः

रंजन ऋतुराज सिंह , नौएडा

15 comments:

Ajit Chouhan said...

sahi mein dile se likhe hai :o) aapse bahut log agree karenge lekin

Sarvesh said...

Aajgar kare naa chaakari, Panchi kare naa kaam!
Daas Maluka kah gaye, Sabake daata Raam!!
-Sarvesh

anand shekhar said...

thik kah rahe hai Bhaiya aap
hamara bhi man yahi karta hai !!

Anand Shekhar

Fighter Jet said...

Mukhiyajee!...mazaa aa gaya...aapke Dalan pe aake,Kya khub kahi hai....Scorpio wala idea to sachmuch me zhakaas hai...!

santoshpandeyca said...

Bahut bandhiya lkhle bani Mukhiya jee.Patna me holidaying karte karte apka man badaal raha hai lagta hai. Sachmuch me agar aap Patna jaane ka decision le lenge to ham jaise logo ko bahut prerna aur sahas milega wapas lautne me. Chahte to hamlog bhi yaahi hain..dile se..leking ye do takke ki nukri jo na karwaye,..pehle apna rajya phir apna esh dono chhorna paada....

Unknown said...

sirjee bhag 2 ka intjar hai.. mazza aa gaya ..

Gaurav Singh said...

Mukhiya Ji.. Wow. Bilkul sahi likha hain maharaj.. Ha ah . Sahi kehte hain ap..ghar ja ke ek scorpio kharid ke ghumne ka jo maja hai wo sala company ki ac sedan me ghumne me kahan.. aur ek bat.. maharaj ye meet-bhat ki dukan ka idea patent kara lijiye.. mukesh ambani ko pata chal to 1st movers advantage chala jayega..aha ah .. sahi kahuan, man khatta ho jata hai ye sab padh ke.. ghar pe rehne ka maja hi alag hai.. sala boss logon se ladai kar kar ke thak gaye hain.. wo kehte hai na, Rassi jal gayi lekin aithan nahi gayi..

Rajeev Ranjan Lal said...

मुखिया जी, हम देखिन की सब कोई कुछ ना कुछ लिखिये रहा है तो सोचे की कुछ तारीफ हम भी करिये दें। आप दिल्ली में हैं उहे में परेशान हो गये, जरा सोचिये की हम जैसन गदहा का क्या होता होगा जो बंगलौर में बोझा ढ़ो रहे हैं। स्कोर्पियो ना सही, पुरनका बुलेट भी मिल जाय ना पटना में आ बिहार में कोनो जगह, उसका बाते मत पुछिए। मन तो मेरा भी भुतियाता है कभी कभी कि गाँव भाग जाएँ और कुछ नहीं तो एगो स्कूले खोल लें। एको-दु हजार आयेगा तो सौ-दु सौ टका बचिए जायेगा महीना के अंतिम में। यहाँ तो महीना खतम होने पर भी Credit Card का कर्जा खतम नहीं होता। माय-बाबू को कैसे समझायें की इहाँ पर लोग-बाग पैसा कमाता है Reliance, Airtel, Citibank, HSBC, Indian Oil को देने के लिए, अपने लिए कैसे बचेगा।
देखिए हम जौं स्कूल खोले तो उद्घघाटन में आपको बुलैबे करेंगे।

-आपका एगो चेला
राजीव रंजन लाल

Manish said...

बहुत अच्छा आप लिखती है मुखिया जी. दिल खूस हू गया.

Unknown said...

kiya baat hai bhaiya? koe shabdh nahi hai iskae baad...

Unknown said...

thoda sa modification hai ki scarpio mein ego party ka jhanda aur chela chapati sabko ek ekgo Lalka gamcha,bus baaki sab theek hai.kaun chetra se ladiyega chun liye hain?Agar bhoter ka kami hoga ta boliyega humlog pahuch jaayaenge JAnsaadharan mein bhar ke....Bahut khoob likha,,,,JAAri RAKHO

Unknown said...

वो क्या है की हम भी एगो सजेशन देना चाहते है! जब कचहरी के पास दुकान खोलबे कीजियेगा ! त एगो मिट भात के दुकान के अलावा एगो दाल भात के भी दुकान खोलियेगा ..! काहे कि इ बार मुझे कचहरी में कुछ काम था तो सुबह से शाम हो गया , कचहरी में ही... और पूरा दिन भूखा ही रहना पड़ा था .!

Ranjan Varma said...

पटना में बैठकर दालान नोवेल लिखिए , कमाई के और साधन भी मिलेंगे . जरुरत है हौसले बुलंद करने की . मै भी वही प्रयास कर रहा हूँ :)

Ahmad Rasheed said...

arey bhai mukhiyajee ab ham ka likhen aapke is lekh ke tareef me waise rashmeejee ka sujhao badhiya hai uspe zaroor amal kijyega waise aap ko agar zarorat hai to meri scorpio use kar sakte hain maroon color ki hai aapka choice color nahi hai hahahaha.

pramod said...

Bahut accha likha hai... badi pasand aayaa .. jiyaa log sa