Saturday, August 18, 2007

हिम्मत, नेक इरादे और साहस कि अंतिम बिदाई



पत्नी के प्रेम में 22 वर्ष के कठिन परिश्रम के बाद गया जिले में गहलौर पहाड़ को काटकर गिराने वाले दशरथ मांझी (78) का लंबी बीमारी के बाद शुक्रवार की शाम निधन हो गया। लिम्का बुक आफ व‌र्ल्ड रिकार्ड में शामिल बाबा मांझी एम्स में भर्ती थे। उनकी अंत्येष्टि राजकीय सम्मान के साथ होगी। ऐसा निर्देश मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिया है। मूलरूप से गया जिले के अतरी के रहने वाले दशरथ मांझी गांव में ही रहकर खेती करते थे। करीब 47 वर्ष पूर्व एक दिन उनकी पत्नी खेत में उनके लिए खाना लेकर आ रही थी कि गांव के निकट गहलौर पहाड़ पर उनका पैर फिसल गया और कुछ दिन बाद उनकी मौत हो गई। पत्नी की मौत के लिए पहाड़ को जिम्मेवार मानते हुए उन्होंने पहाड़ को गिराने की ठान ली। करीब 22 साल तक वह छेनी हथौड़ी लेकर इस काम में जुटे रहे और आखिरकार 1982 में सफल हुए। वह गया से पैदल चलकर दिल्ली आए। इस अद्भुत कार्य के लिए 1999 में उनका नाम लिम्का बुक आफ रिकार्ड में दर्ज हुआ था। पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक वह लंबे समय से बीमार थे। कई अस्पतालों में इलाज कराने के बाद भी स्वस्थ न होने पर उन्हें दिल्ली लाया गया। वह विगत 24 जुलाई से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती थे, जहां शुक्रवार शाम उनका निधन हो गया। उनके इलाज का खर्च राज्य सरकार वहन कर रही थी। पुरुषोत्तम एक्सप्रेस से उनका शव गया लाया जा रहा है। मांझी की अंत्येष्टि राजकीय सम्मान के साथ होगी। उन्होंने पहाड़ को काटकर जिस सड़क का निर्माण किया था अब उसे सरकार बनाएगी। कैबिनेट से इसकी मंजूरी मिल चुकी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दशरथ मांझी के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वे कर्मठता की जीवंत मिसाल थे। गहलौर पहाड़ी को काटकर जिस सड़क का निर्माण उन्होंने किया उस पथ का नाम दशरथ मांझी पथ कर दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त उन्होंने अपने गांव में एक अस्पताल भी शुरू किया था। उक्त अस्पताल का नाम भी अब दशरथ मांझी अस्पताल होगा। भू-राजस्व मंत्री रामनाथ ठाकुर ने भी दशरथ मांझी के निधन पर शोक जताया है।



रंजन ऋतुराज सिंह , नौएडा

4 comments:

Sagar Chand Nahar said...

दशरथ मांझी के निधन का समाचार सुनकर बहुत दुख: हुआ। परमपिता दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे।
राज्य सरकार ने दशरथ मांझी द्वारा निर्मित सड़क और अस्पताल के संदर्भ में जो भी घोषणायें की वे भी सराहनीय है।

Udan Tashtari said...

दिव्य आत्मा को नमन एवण श्रृद्धांजली.

Sanjeet Tripathi said...

जीवटता की इस मिसाल को नमन!!

Unknown said...

his wife was not seek, but couldn't get proper treatment because, the hospital. that was near to his village and where his wife can get treatment was 22 km away from his place.. After cutting of the mountain it's now just 5 KM away..