बात २००५ के जून महीना कि है पटना मे अचानक से मेरी जरुरत आ पडी और मैंने सुब्रतो रोय के जहाज से पटना के लिए निकल पड़ा ! बगल वाली सीट पर एक खबरिया चैनल के पटना प्रमुख बैठे हुये थे - मैंने पुछा कि आप तो फलना न्यूज़ चॅनल के लिए काम करते हैं - वोह मुसकुरा दिए ! मैंने बातों ही बातों मे पूछ लिया कि - कंपनी के काम से आये थे , क्या ? वोह बोले नही एक नेता जीं के बेटी के बियाह मे आये थे ! हम बोले बेटी के बियाह मे आये हैं सो खुद के पैसा से हवाई जहाज का खर्चा वहन किये होंगे ! वोह बोले - 'नही , नही - सब ARRANGE हो जाता है ' !
कुछ दिनों के बाद - वही नेता जीं जो केंद्रिये मंत्रिमंडल के सदस्य भी हैं , उनको हार्ट अटैक आया ! हार्ट हॉस्पिटल मेरे घर के पास ही था - पटना मे ! सो 'ब्रेकिंग न्यूज़' देख मैं भी एक आम जनता और थोडा जागरूक होने के कारण , पैजामा कुर्ता मे हॉस्पिटल कि तरफ दौड़ पड़ा ! वहाँ देखा तो वही न्यूज़ चैनल वाले 'पत्रकार' महोदय अपने केमरा मैन के साथ हॉस्पिटल के गेट के सामने खडे थे ! केमरा ऑफ़ था ! और पत्रकार महोदय - मंत्री जीं के एक खास करीबी दुसरे नेता के साथ - ही - ही- आ रहे थे ! मैं उनको 'ही-ही-आते ' देख दंग रह गया ! पत्रकार महोदय के चारों तरफ राज्य स्तर के नेता थे ! कोई पूर्व मंत्री तो कोई वर्तमान विधायक ! इन सबों के बीच पत्रकार महोदय का STATUS देख मेरा कई भ्रम एक साथ चकनाचूर हो गया ! जिसको मैं एक आम जनता का पत्रकार समझाता था - वोह "खास' लोगों का "खास" पत्रकार निकला !
यही सच्चाई है और इस दुनिया मे सब कुछ बिकाऊ है ! अगर मैं नही बिक पता हूँ तो इसमे उस पत्रकार कि क्या दोष है ?
क्या मैं भी कुंठित हो गया हूँ ?
रंजन ऋतुराज सिंह , नौएडा
रंजन ऋतुराज सिंह , नौएडा
1 comment:
बात सोलह आने सच है। प्रमुख वही बनता है जो किसी खास-म-खास का खास होता है। अदम गोंडवी का एक शेर...
हर लुटेरा जिस तरफ को भागता है।
वो सड़क दिल्ली शहर को जा रही है।।
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