Monday, October 27, 2014

छठ ...नहाय - खाय / नहा - खा ...


आज 'नहा - खा' / 'नहाय - खाय' है ! छठव्रती कद्दू की सब्जी , अरवा चावल , चना का दाल और साथ में सारा परिवार - मुझे नहीं लगता पुरे साल इससे भी ज्यादा पवित्र भोजन किसी और दिन मिलता होगा - जैसे सूर्य ने उसमे अपनी शुद्धता मिला दी हो ! सूर्य अग्नी के द्योतक है और अग्नी से शुद्ध और पवित्र कुछ भी नहीं ...कुछ भी नहीं ! 
पुराण में क्या लिखा और शास्त्र में क्या लिखा है - ये सब हमको नहीं पता ! हमको बस यही पता है - छठ मेरा संस्कार है - मेरी सभ्यता है - मेरे खून में है - और यह पर्व मेरे ह्रदय में बसता है ! 
आस्था से बड़ी चीज़ कुछ नहीं - जो आज डूबेगा वही कल उदयमान होगा और यही प्रकृती है - यही मेरा छठ है ! जहाँ 'शुद्धता' है वहीँ पवित्रता है ! जहाँ प्रकृती है वहीँ ईश्वर भी हैं ! 
चार दिनों तक चलने वाला - आस्था और पवित्रता के इस पर्व में - आप सभी की आत्मा / शरीर / मन / ह्रदय / दिमाग - सब के सब पवित्र रहें - आप विश्व के किसी भी कोने में रहें - यह संस्कार आपके अन्दर विद्यमान रहे ! 
~ रंजन ऋतुराज
@RR

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