मलाला युसुफ़ज़ई ने अपनी डायरी में लिखा था -
"आज स्कूल का आखिरी दिन था इसलिए हमने मैदान पर कुछ ज्यादा देर खेलने का फ़ैसला किया। मेरा मानना है कि एक दिन स्कूल खुलेगा लेकिन जाते समय मैंने स्कूल की इमारत को इस तरह देखा जैसे मैं यहां फिर कभी नहीं आऊंगी। "
उन्होंने अपनी डायरी लिखना - बगैर किसी मकसद के शुरू किया होगा और कब सोचा होगा - ये छोटी सी घटना उसे विश्व के शिखर पर पहुंचा देगी ! मलाला तुमको पुरे विश्व की उन करोड़ों लड़कीओं और मेरी बेटी की तरफ से भी बधाई ! तुमको पता भी है - तुमको इस विश्व जगत ने किस शिखर पर ला खडा किया है - और तुम न जाने कितनों की ज्योती बन गयी और जब करोड़ों हाथ एक साथ दुआ के लिए उठते हैं - फिर भगवान् भी किसी चमत्कार के इंतज़ार में रहता है !
मेरा एक दोस्त अक्सर यह कहता है - हर एक विशेष आत्मा किसी न किसी एक अलग कार्य के लिए इस धरती पर भेजी जाती है ....हाँ ..मलाला ...तुम एक हिम्मत से परिपूर्ण नन्ही ...क्रूरता के हर एक बंधन को तोड़ती ....अपना सफ़र जारी रखो ...
शुभकामनाओं के साथ ...
~ रंजन ऋतुराज
@RR - 10 October - 2013
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